गूगल ने प्ले स्टोर से 77 खतरनाक ऐप्स हटाए, लाखों ऐप्स पर पहले भी हुई कार्रवाई

नई दिल्ली (एजेंसी)। गूगल ने हाल ही में एक बड़ी कार्रवाई करते हुए प्ले स्टोर से 77 खतरनाक ऐप्स को हटा दिया है। ये ऐप्स यूज़र्स की सुरक्षा और प्राइवेसी के लिए खतरा बन गए थे। फोर्ब्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, यह कोई पहली बार नहीं है। गूगल ने पिछले साल लगभग 40 लाख ऐप्स को डिलीट किया था, जिसका मतलब है कि हर दिन औसतन 11,000 ऐप्स हटाए गए। यह जानकारी सर्फशार्क (Surfshark) की रिपोर्ट और गूगल के डेटा से सामने आई है। हटाए गए आधे से ज्यादा ऐप्स डेटा सुरक्षा और गोपनीयता के नियमों का उल्लंघन कर रहे थे।
गूगल ने 2023 में ऐप पब्लिशिंग को लेकर सख्त नियम बनाए थे, और अब इसका असर दिखना शुरू हो गया है। 2024 की शुरुआत तक, प्ले स्टोर पर मौजूद लगभग आधे ऐप्स हटाए जा चुके थे। इसके साथ ही, इस साल 1.55 लाख डेवलपर अकाउंट्स को भी ब्लॉक किया गया है। अब कंपनी साइडलोडेड ऐप्स पर भी सख्ती बरत रही है। गूगल ने कहा है कि अब केवल वे डेवलपर्स ही ऐप्स पब्लिश कर पाएंगे जो वेरिफिकेशन की प्रक्रिया से गुजरेंगे।
अगर कोई ऐप प्ले स्टोर से हट जाए तो क्या करें?
गूगल ने यूज़र्स को चेतावनी दी है कि यदि कोई ऐप प्ले स्टोर से गायब हो जाए, तो इसका मतलब यह नहीं है कि डेवलपर ने उसे हटाया है। अक्सर ऐसा इसलिए होता है क्योंकि ऐप ने गूगल के नियमों का उल्लंघन किया होता है। यदि ऐप आपके फोन में पहले से ही है, तो वह काम करता रहेगा, लेकिन उसे आगे कोई अपडेट नहीं मिलेगा। कंपनी ने यह भी साफ़ किया कि अगर कोई ऐप खतरनाक पाया जाता है, तो प्ले प्रोटेक्ट (Play Protect) आपको उसे अनइंस्टॉल करने का अलर्ट देगा। यदि ऐसा अलर्ट नहीं आता, तो ऐप आपके फोन में बिना सिक्योरिटी अपडेट्स के चलता रहेगा।
सुरक्षित डाउनलोडिंग के लिए ध्यान रखने योग्य बातें:
विशेषज्ञों का कहना है कि यूज़र्स को सुरक्षित डाउनलोडिंग की आदत डालनी चाहिए। इसके लिए, ऐप डाउनलोड करते समय उसकी परमिशन ज़रूर जांचें, रिव्यू पढ़ें, और केवल भरोसेमंद डेवलपर्स के ऐप्स ही इंस्टॉल करें।
इसी बीच, एंड्रॉइड अथॉरिटी (Android Authority) की एक रिपोर्ट के अनुसार, गूगल प्ले स्टोर पर एक नया “अनइंस्टॉल (Uninstall)” बटन टेस्ट कर रहा है। यह बटन सीधे ऐप के पेज पर दिखाई देगा, जिससे यूज़र्स किसी भी ऐप को अपने फोन से तुरंत हटा सकेंगे। अभी तक किसी ऐप को अनइंस्टॉल करने के लिए “ऐप्स और डिवाइस प्रबंधित करें” (Manage apps & devices) में जाकर अलग से ऑप्शन चुनना पड़ता था।