छत्तीसगढ़

अस्थायी कर्मचारियों पर रोज़गार का संकट : कंप्यूटर ऑपरेटर्स की हड़ताल ख़त्म होने के बाद

गरियाबंद। ज़िले के धान ख़रीदी केंद्रों में प्रशासन की ओर से की गई अस्थायी व्यवस्था अब एक बड़े विवाद में बदल गई है। हड़ताल पर गए कंप्यूटर ऑपरेटर्स की अनुपस्थिति में जिन बेरोज़गार नौजवानों को तुरंत काम पर रखा गया था, उन्हें मूल ऑपरेटर्स के वापस आने के बाद बिना किसी पूर्व सूचना के काम से हटा दिया गया है। इस फ़ैसले से नाराज़ इन युवाओं ने 26 नवंबर को कलेक्टर कार्यालय पहुँचकर अपना कड़ा विरोध दर्ज़ कराया।

काम ख़त्म होते ही अचानक निकाला गया

अस्थायी रूप से काम कर रहे युवाओं का कहना है कि धान ख़रीदी केंद्रों पर काम तेज़ होने के दौरान उन्होंने लगन के साथ अपनी सेवाएँ दीं। कई केंद्रों पर डेटा एंट्री और ख़रीदी से जुड़ा पूरा काम इन्हीं के भरोसे चलता रहा। उन्हें आश्वासन दिया गया था कि धान ख़रीदी का मौसम ख़त्म होने तक उनकी सेवाएँ जारी रहेंगी। मगर, जैसे ही पुराने ऑपरेटर्स की हड़ताल समाप्त हुई, प्रशासन ने इन अस्थायी कर्मचारियों को तुरंत कार्यमुक्त कर दिया।

रोज़गार की अवधि जारी रखने की मांग

नाराज़ युवाओं ने ज़िलाधिकारी को ज्ञापन सौंपकर मांग की है कि पहले दिए गए आश्वासन के अनुसार उन्हें ख़रीदी सीज़न की समाप्ति तक काम करने दिया जाए। उनका तर्क है कि इस अचानक हटाए जाने से वे एक बार फिर बेरोज़गारी का सामना करने के लिए मजबूर हो गए हैं।

प्रशासन के व्यवहार पर उठे सवाल

कलेक्टर को दिए गए विरोध पत्र में युवाओं ने इस बात पर ज़ोर दिया कि नियुक्ति के समय उन पर भरोसा जताया गया था और उन्हें बड़ी ज़िम्मेदारी सौंपी गई थी, लेकिन अब प्रशासन ने उन्हें पूरी तरह से नज़रअंदाज़ कर दिया है। प्रशासन के इस क़दम ने युवाओं में गहरा आक्रोश पैदा किया है, और उन्होंने स्पष्ट किया है कि जब तक उन्हें न्याय नहीं मिलता, वे अपनी आवाज़ उठाते रहेंगे।

यह घटना ज़िले में प्रशासन की क्षणिक व्यवस्था और भरोसे को बनाए रखने की नीति पर कई गंभीर सवाल खड़े करती है।

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