महादेव सट्टा ऐप मामले में ढाई साल से जेल में बंद सभी 12 अभियुक्तों को सुप्रीम कोर्ट से मिली ज़मानत

रायपुर। छत्तीसगढ़ के चर्चित महादेव ऑनलाइन सट्टा ऐप घोटाले से जुड़ी एक बड़ी ख़बर सामने आई है। सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले में गिरफ़्तार सभी 12 अभियुक्तों को ज़मानत दे दी है।
ये सभी 12 आरोपी, जिनमें रितेश कुमार यादव, भारत ज्योति, विश्वजीत राय, राहुल वक्त वकटे, नीतीश दीवान, भीम सिंह यादव, अर्जुन यादव, चंद्रभूषण वर्मा, सतीश चंद्राकर और अन्य शामिल हैं, पिछले लगभग ढाई साल से रायपुर केंद्रीय जेल में बंद थे। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एमएम सुंदरेश और सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने सुनवाई के बाद यह ज़मानत मंज़ूर की है।
ज़मानत की शर्तें और जाँच में सहयोग
अदालत ने ज़मानत देते समय यह सुनिश्चित किया है कि सभी अभियुक्त जाँच में सहयोग करते रहेंगे और आवश्यक सुरक्षा शर्तों का पूरी तरह पालन करेंगे। यह ज़मानत मिलने के बाद सभी आरोपी अस्थायी तौर पर जेल से बाहर रहेंगे। चूँकि मामले की जाँच अभी पूरी नहीं हुई है, इसलिए उन्हें आगे भी जाँच एजेंसियों के साथ सहयोग बनाए रखना होगा।
केंद्रीय जाँच ब्यूरो (CBI) की पड़ताल जारी
महादेव बेटिंग ऐप केस में केंद्रीय जाँच ब्यूरो (CBI) की जाँच जारी है और पूछताछ का सिलसिला भी चल रहा है। जाँच एजेंसी यह पता लगाने में जुटी है कि महादेव सट्टा ऐप से प्राप्त पैसा किस तरह और कहाँ-कहाँ तक पहुँचाया गया।
क्या है महादेव ऑनलाइन सट्टा ऐप घोटाला?
महादेव सट्टा ऐप की शुरुआत वर्ष 2016 में छत्तीसगढ़ के सौरभ चंद्राकर, रवि उप्पल और अतुल अग्रवाल ने की थी। शुरुआती दौर में इस ऐप के ज़रिए ऑनलाइन सट्टेबाज़ी होती थी, जिसमें क्रिकेट, फुटबॉल, टेनिस, बैडमिंटन जैसे खेलों के अलावा पोकर, तीन पत्ती, वर्चुअल गेम और यहाँ तक कि चुनाव के परिणामों पर भी दाँव लगाए जाते थे।
साल 2020 में, इन संस्थापकों ने हैदराबाद के रेड्डी अन्ना नामक एक अन्य सट्टेबाज़ी प्लेटफ़ॉर्म को कथित तौर पर 1,000 करोड़ रुपये में ख़रीद लिया। इसके बाद, यूज़र्स की संख्या में तेज़ी से वृद्धि हुई और यह हज़ारों करोड़ रुपये का कारोबार बन गया। वर्ष 2022 में, जब आयकर विभाग और प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने इस पर कार्रवाई शुरू की, तो क़रीब 6,000 करोड़ रुपये के मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप लगे, जिसकी विस्तृत जाँच अब भी जारी है।