छत्तीसगढ़

अपराधियों में हो कानून का भय और जनता में हो सुरक्षा का अहसास : मुख्यमंत्री साय

रायपुर। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने पुलिस अधिकारियों को निर्देशित किया है कि पुलिस की छवि ऐसी होनी चाहिए जिससे अपराधियों में कानून का डर स्थापित हो और नागरिकों में सुरक्षा की भावना पैदा हो। वे आज मंत्रालय (महानदी भवन) में आयोजित कलेक्टर-एसपी कॉन्फ्रेंस को संबोधित कर रहे थे।

कानून-व्यवस्था और प्रशासनिक समन्वय

कॉन्फ्रेंस में प्रदेश की कानून-व्यवस्था, मादक पदार्थों के नियंत्रण, सड़क सुरक्षा, साइबर अपराधों की रोकथाम और प्रशासन के बेहतर तालमेल को मजबूत करने जैसे अहम मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की गई। बैठक में गृह मंत्री श्री विजय शर्मा, मुख्य सचिव श्री विकास शील और अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री श्री साय ने स्पष्ट किया कि जिले में कानून-व्यवस्था बनाए रखने में कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक दोनों की समान रूप से महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने कहा कि जहां दोनों अधिकारियों के बीच समन्वय मजबूत रहा है, वहां नतीजे बेहतर आए हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि कानून-व्यवस्था के मामलों में किसी भी तरह की लापरवाही को प्रशासनिक उदासीनता माना जाएगा और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई होगी।

अपराधों पर ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति

मुख्यमंत्री ने सड़क पर अव्यवस्था, चाकूबाजी और हत्या जैसे जघन्य अपराधों के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाने का निर्देश दिया। उन्होंने गौ-तस्करी और धर्मांतरण जैसे संवेदनशील विषयों पर कड़ी निगरानी रखने और दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई सुनिश्चित करने को कहा। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि अपराध नियंत्रण में बेहतरीन प्रदर्शन करने वाले जिलों के सफल अनुभवों को अन्य जिलों में मॉडल के रूप में लागू किया जाना चाहिए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि अपराधों की अनदेखी अक्सर बड़े अपराधों को जन्म देती है, इसलिए हर मामले में समयबद्ध कार्रवाई अत्यंत आवश्यक है।

नशाखोरी और तस्करी पर सख्ती

श्री साय ने कहा कि नशा अपराधों की जड़ है, और इसे खत्म करना ही कानून-व्यवस्था में सुधार की पहली शर्त है। उन्होंने नशाखोरी और अवैध मादक पदार्थों की तस्करी पर सख्त रुख अपनाने के निर्देश दिए।

उन्होंने एनकॉर्ड (NCORD) के तहत राज्यव्यापी अभियान चलाने, सीमावर्ती जिलों में तस्करी पर लगाम कसने और एनडीपीएस एक्ट के तहत कार्रवाई समय-सीमा में पूरी करने के निर्देश दिए।

इसके साथ ही, उन्होंने युवाओं को नशे के दुष्परिणामों से परिचित कराने के लिए जनजागरूकता अभियान चलाने का निर्देश दिया।

घुसपैठियों की पहचान और नियंत्रण

मुख्यमंत्री ने जानकारी दी कि प्रदेश में घुसपैठियों की पहचान और नियंत्रण के लिए एक विशेष टास्क फोर्स (STF) का गठन किया गया है। उन्होंने सीमावर्ती जिलों में सघन जांच करने और किसी भी संदिग्ध गतिविधि पर तत्काल कार्रवाई करने का निर्देश दिया।

माओवादियों का पुनर्वास और आजीविका

बैठक में आत्मसमर्पित माओवादियों के पुनर्वास और आजीविका सशक्तिकरण पर भी चर्चा हुई। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार की पुनर्वास नीति में माओवादियों का विश्वास बनाए रखना सबसे बड़ी प्राथमिकता है। उन्होंने आत्मसमर्पित माओवादियों को कौशल विकास प्रशिक्षण देकर स्थानीय रोजगार या स्वरोजगार से जोड़ने का निर्देश दिया ताकि वे समाज की मुख्यधारा में सम्मानजनक जीवन जी सकें।

सड़क सुरक्षा और यातायात सुधार

कॉन्फ्रेंस में सड़क दुर्घटनाओं की रोकथाम और यातायात व्यवस्था में सुधार के लिए गहन विचार-विमर्श हुआ।

हेलमेट, सीट बेल्ट और यातायात नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया।

ब्लैक स्पॉट (दुर्घटना संभावित क्षेत्र) की पहचान कर सुधारात्मक कार्य किए जाने को कहा गया।

रात 10 बजे के बाद डीजे या लाउडस्पीकर के उपयोग पर रोक लगाने और नशे में वाहन चलाने वालों पर दंडात्मक कार्रवाई सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया।

सड़कों पर आवारा पशुओं के कारण होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने के लिए भी प्रभावी कदम उठाने को कहा गया।

साइबर अपराधों की रोकथाम

मुख्यमंत्री ने साइबर अपराधों को आधुनिक युग का एक जटिल खतरा बताते हुए चिंता व्यक्त की।

उन्होंने पुलिस बल को निरंतर तकनीकी प्रशिक्षण दिए जाने पर जोर दिया।

साइबर हेल्पलाइन नंबर का व्यापक प्रचार-प्रसार जनसंपर्क विभाग के सहयोग से करने का निर्देश दिया गया।

हर जिले में जागरूकता अभियान चलाने का निर्देश दिया गया, ताकि नागरिक ठगी, फिशिंग और ऑनलाइन धोखाधड़ी से सुरक्षित रह सकें।

विकसित छत्तीसगढ़ की नींव

मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने निष्कर्ष निकालते हुए कहा कि पारदर्शी और जवाबदेह प्रशासन, टीम भावना और साझा उत्तरदायित्व ही विकसित छत्तीसगढ़ की सच्ची नींव है। उन्होंने कहा कि सरकार और प्रशासन तभी सशक्त बन सकते हैं जब प्रत्येक अधिकारी ईमानदारी से अपना दायित्व निभाए और एक टीम के रूप में मिलकर परिणाम दे। उन्होंने स्पष्ट किया कि योजनाओं की सफलता केवल नीतियों पर नहीं, बल्कि उन्हें लागू करने वाली टीम की पारदर्शिता, संवेदनशीलता और जवाबदेही पर निर्भर करती है। यही भावनात्मक और प्रशासनिक समन्वय “विकसित छत्तीसगढ़” को नई ऊँचाइयों तक ले जाएगा।

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