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पूर्व वन मंडल भानुप्रतापपुर का 101900 मानक बोरा लक्ष्य, पूरा करने में 39 हजार परिवार जुटे

राजेश कुमार ब्यूरो कांकेर

भानुप्रतापपुर। क्षेत्र में हरा सोना यानि कि तेंदूपत्ता एक तरह से ग्रामीण जन जीवन मे समृद्धि लेकर आता है, रोजगार उपलब्ध कराता है आजीवका सुदृढकरण होता है। आलम यह है कि मौमस के खुलते ही 101900 मानक बोरा की पूर्ति के लिए पूर्व वन मंडल भानुप्रतापपुर में 39 हजार संग्राहकों का परिवार जुटा हुआ है। जो 42 समिति तथा 502 केंद्रों में जमा हो रहा है। दर्जनो ग्रामीण अंचल अति संवेदनशील हाथी प्रभावित क्षेत्रों मे शामिल है।                                  फिर भी हाथियों के ख़ौफ़ के बीच जंगल जाकर पत्ते तोड़कर ला रहे है ताकि शासन के योजनाओं का लाभ, राशि मेहनत का फल के तौर पर बोनस पा सके और जीवन जरुरत की पूर्ति कर सकें। जिसमें अब तक 50 हजार पत्ता का संग्रहण हो चुका है।

उप मंडलाधिकारी आईपी गैंदले ने बताया कि तेंदूपत्ता संग्रहण के लिए अग्रिम खरीदी व्यवसायियों ने पहले ही कर ली थी। एक मई से तेंदूपत्ता संग्रहण का काम किया जाना था, लेकिन मौसम की वजह से पूर्व वन मंडल भानुप्रतापपुर में सभी जगह 10 मई से संग्रहण काम शुरू हुआ। अच्छी क्वालिटी के पत्ते का संग्रहण हो सके इसके लिए विभागीय अधिकारियों द्वारा फड़ मुंशी और विभागीय कर्मचारियों की बैठक भी ली जा रही थी। ऐसे में बूटा कटाई का काम शुरू किया गया और अब मई माह से संग्रहण का काम शुरू हो गया है। वर्तमान स्थिति में लगभग 50 हजार मानक बोरा का संग्रहण विभाग द्वारा किया गया है। वही, इस वर्ष 101900 मानक बोरा का लक्ष्य रखा गया है। जिसमें अबतक करीब 50 प्रतिशत लक्ष्य पूरा कर लिया गया। जिसमे 42 समिति के 502 फड़ो में लक्ष्य को पूरा करने में 39 हजार संग्रहकर्ता का परिवार सुबह से शाम तक जुटा हुआ है। इस तरह से तेंदूपत्ता संग्रहण का कार्य प्रगति पर हैं। तेज धूप निकलने से बेहतर पत्तों की उपज होने लगी है। अधिक से अधिक मात्रा में पत्ता संग्रहित करने के लिए संग्राहक जंगलों में पहुंच रहे हैंं। तेंदूपत्ता संग्रहण को लेकर संग्राहक परिवार में प्रतिस्पर्धा भी देखी जा रही है। जिसमें सुबह परिवार के कुछ सदस्यों का दल बनकर जंगल जाकर पत्ते तोड़ने के पश्चात घर मे एकत्रित करते है फिर उन्हीं पत्तो को अन्य सदस्यों का दल बाकी सदस्यो के साथ गठरी बनाकर फड़ में ले जाने के लिए तैयार करता है।

शासन की योजनाओं ने वनोपज को बनाया ग्रामीण आर्थिक समृद्धि का साधन

यू तो हर वर्ष शासन अपने स्तर में तेंदूपत्ता व अन्य वनोपज की खरीदी करती हैं। इसके लिए समय सीमा भी तय की जाती है। जंगल से हर मौसम में वनोपज लाया जाता है और शासन द्वारा बनाये गए सम्बंधित डिपो व फड में जमा कराया जाता है ततपश्चात इसका राशि खाते में या फिर चेक से भुगतान की जाती है। इस तरह यह वनोपज ग्रामीण लोगो के लिए आर्थिक समृद्धि का साधन है। कोरोना संकट काल मे भी काफी महत्वपूर्ण हो गया था तथा अब कोरोना काल के बाद भी आर्थिक समृद्धि का द्वार खोलकर रख दिया है। वनोपज से जनजीवन स्तर में भी सुधार लाया जा रहा है।

इन प्रकिया के बाद पहुचता है फड में वनोपज

जंगलो से उच्च क्वालिटी का तेंदू पत्ता तोड़ने के बाद उसे घर लाया जाता है तत्पश्चात उसे 25 -25 की गिनती कर उल्टे सीधे पत्ते को 50 पत्ते का बंडल बनाया जाता है फिर उसे जंगल से लाए गए लताओं को रस्सी की तर्ज उपयोग में लाते हुए बांधा जाता है। इसके उपरांत फड में ब्रिकी के लिए ले जाया जाता है। प्रति 50 पत्त्ते की बंडल की कीमत 4 रुपये मेहनताना के रूप में मिलता है। इसी प्रकार महुआ के एक एक फल को बिनकर 8 से 10 दिन तक तपती धूप में सुखया जाता है। उसके बाद प्रति किलो की बोली लगाकर बिक्री की जाती है।

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