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कृषि विभाग द्वारा फसल अवशेष नहीं जलाने हेतु किया गया कृषकों को जागरूक

कांकेर। कृषि विभाग चारामा द्वारा कृषकों को बैठक लेकर फसल अवशेष नहीं जलाने हेतु जानकारी दिया जा रहा है। फसल अवशेष जलाने से उत्पन्न होने वाले वायु प्रदुषण एवं भूमि जैव उर्वरक के खतरे के दृष्टिगत नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (कोर्ट) ने जारी किये आदेश की जानकारी किसानों को दिया गया। जिसमें फसल अवशेष जलाने से निकलने वाले धुऐं में जहरीली गैंसों से वायु प्रदुषण का स्तर बढ़ जाता है। मृदा का तापमान बढ़ जाता है, जिससे मृदा की संरचना बिगड़ती है। मृदा में उपस्थित मित्र किट मर जाते हैं।

वरिष्ठ कृषि अधिकारी रामकुमार सिन्हा द्वारा किसानों को बताया गया कि फसल अवशेष जलाना दण्डनिय अपराध की श्रेणी में आता है, जो किसान फसल अवशेष को जलाता है उसे जुर्माना भी लग सकता है। फसल अवशेष पर अधिनियम 1986 के धारा (15) के तहत यदि कोई व्यक्ति या संस्था इस नियम का उल्लधंन करते पाया जाता है तो उसे नियमानुसार पर्यावरण मुआवजा देना पड़ सकता है जो निम्न है- भूमिधारक जिनका रकबा 2 एकड़ अंर्तगत हो 2500रू., भूमिधारक जिनका रकबा 2 से 5 एकड़ अंर्तगत हो 5000रू., भूमिधारक जिनका रकबा 5 एकड़ से अधिक हो अंर्तगत हो 15000रू. का पर्यावरण मुआवजा देना होगा। इस पर चर्चा में राकेश गोलछा द्वारा किसानों को जागरूक कर फसल अवशेष प्रबंधन के उपाय बताया गया। इस अवसर में ग्राम के किसानों सहित ब्लॉक से राजकुमार सिन्हा वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी चारामा, देवेंद्र कुंजाम, गोपाल कृष्ण (असिस्टेंट टेक्नोलॉजी मैनेजर आत्मा), हिमांशु मंडावी ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी कृषक मित्र उपस्थित थे।

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