मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान यूनेस्को की उप क्षेत्रीय कॉन्फ्रेंस का करेंगे शुभारंभ
17 एवं 18 अप्रैल को दो दिवसीय कॉन्फ्रेंस में कई देशों के प्रतिनिधि करेंगे शिरकत
16 अप्रैल को प्रतिनिधि करेंगे साँची का भ्रमण
विरासत स्थल के संरक्षण, चुनौतियों एवं आगामी रणनीति पर होगा मंथन
प्रमुख सचिव पर्यटन एवं संस्कृति एवं प्रबंध संचालक टूरिज्म बोर्ड श्री शिव शेखर शुक्ला ने बताया कि 17 अप्रैल से शुरू हो रहे दो दिवसीय सम्मेलन के लिए भोपाल पहुँच रहे 16 अप्रैल को यूनेस्को के विश्व धरोहर साँची का भ्रमण करेंगे। 17 एवं 18 अप्रैल को कई सत्र आयोजित किये जाएंगे। भारत सहित भूटान, बांग्लादेश, नेपाल, मालदीव, श्रीलंका एवं देश के विभिन्न राज्यों के प्रतिनिधि विश्व विरासत स्थलों के संरक्षण के क्षेत्र में उपलब्धियों, चुनौतियों एवं आगामी रणनीति जैसे विषयों पर विचार-विमर्श करेंगे।
प्रमुख सचिव श्री शुक्ला ने बताया कि कॉन्फ्रेंस में अंतर्राष्ट्रीय और क्षेत्रीय स्तर पर विश्व धरोहरों के संरक्षण की दिशा में पिछले 50 वर्षों की उपलब्धियों और अगले 50 वर्षों के संबंध में मंथन होगा। जिसका केंद्र विश्व विरासत और सतत् विकास, विश्व विरासत और सतत पर्यटन, विश्व विरासत और वैश्विक रणनीति, ऐतिहासिक शहरी परिदृश्य जैसे विषय होंगे। सम्मेलन सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा और स्थायी पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए एक एकीकृत दृष्टिकोण पर मंथन होगा।
भारत, भूटान, बांग्लादेश, नेपाल, मालदीव, श्रीलंका और देश के विभिन्न राज्यों के प्रतिनिधि जिनमें सभी राज्यों के संस्कृति और पर्यटन के प्रमुख सचिव, पर्यटन मंत्रालय और संस्कृति मंत्रालय के प्रतिनिधि, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के प्रतिनिधि, राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय सिविल सोसायटी, गैर सरकारी संगठन, देश की सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण के लिए कार्यरत सीएसआर फाउंडेशन, शिक्षण संस्थान एवं शासकीय संगठन आदि कॉन्फ्रेंस में भाग लेंगे।
उल्लेखनीय है कि नवंबर 2022 में यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज कन्वेंशन की 50वीं वर्षगाँठ मनाई गई है। गत 50 वर्षो में सांस्कृतिक विरासत का अर्थ ‘’स्मारक केन्द्रित’’ से परिवर्तित होकर “लोक केंद्रित” (People Centric) एवं “समग्र दृष्टिकोण” (Holistic approach) पर केन्द्रित हो चुका है। ऐतिहासिक नगर, औद्योगिक विरासत, ऐतिहासिक मार्ग, ऐतिहासिक परिदृश्य इत्यादि नए आयाम जुड़ चुके हैं। उक्त तथ्यों को दृष्टिगत रखते हुए इस कॉन्फ्रेस की उपयोगिता विशिष्ट है। मध्यप्रदेश ने यूनेस्को के साथ मिलकर इस दिशा में अनेक प्रयास किये हैं जिनमें HUL (ग्वालियर एवं ओरछा) प्रोजेक्ट, 4 ऐतिहासिक/पर्यटन स्थलों का यूनेस्को विश्व धरोहरों की संभावित सूची में चयन आदि मुख्य है।
HUL प्रोजेक्ट हेतु यूनेस्को ने साउथ एशिया देशों में प्रथम बार ग्वालियर एवं ओरछा का चयन कर अनुशंसा की गई।
कॉन्फ्रेंस की रूपरेखा
16 अप्रैल
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यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल साँची का भ्रमण
17 अप्रैल
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विश्व विरासत कन्वेंशन के 50 साल पूर्ण होने पर सत्र
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पिछले 50 वर्षों में उपलब्धियां और भविष्य के लिए चुनौतियों पर भारत, भूटान, बांग्लादेश, नेपाल, मालदीव, श्रीलंका का प्रस्तुतिकरण
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सिविल सोसायटी और संस्थानों द्वारा वार्ता/प्रस्तुतियां
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स्थानीय समुदाय के लिए विश्व विरासत और सतत विकास पर सत्र
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विश्व विरासत और सतत पर्यटन पर सत्र
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यूनेस्को क्रिएटिव सिटीज नेटवर्क पर एक विशेष सत्र
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जनजातीय संग्रहालय और राज्य संग्रहालय का भ्रमण
18 अप्रैल
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विश्व विरासत और सांस्कृतिक लैंडस्केप पर सत्र
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ऐतिहासिक शहर और ऐतिहासिक शहरी लैंडस्केप पर सत्र
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ग्वालियर और ओरछा पर यूनेस्को ऐतिहासिक शहरी लैंडस्केप पायलट प्रोजेक्ट पर सत्र
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विश्व विरासत और जलवायु परिवर्तन और अमूर्त सांस्कृतिक विरासत पर सत्र
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विश्व धरोहर के बारे में वह सब कुछ जो आप जानना चाहते हैं- समूह वार्ता।
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आगामी 50 वर्षों की योजना पर उच्च स्तरीय वार्ता/पैनल चर्चा
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एमपीटी बोट क्लब भ्रमण एवं क्रूज राइड।