ज्योतिष

आज का हिन्दू पंचांग

हिन्दू पंचांग
दिनांक – 09 जनवरी 2024
दिन – मंगलवार
विक्रम संवत् – 2080
अयन – उत्तरायण
ऋतु – शिशिर
मास – पौष
पक्ष – कृष्ण
तिथि – त्रयोदशी रात्रि 10:24 तक तत्पश्चात चतुर्दशी
नक्षत्र – ज्येष्ठा रात्रि 09:11 तक तत्पश्चात मूल
योग – वृद्धि रात्रि 12:22 तक तत्पश्चात ध्रुव
राहु काल – शाम 03:29 से 04:50 तक
सूर्योदय – 07:22
सूर्यास्त – 06:11
दिशा शूल – उत्तर
ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 05:37 से 06:30 तक
निशिता मुहूर्त – रात्रि 12:20 से 01:13 तक

व्रत पर्व विवरण – भौमप्रदोष व्रत, मासिक शिवरात्रि
विशेष – त्रयोदशी को बैंगन खाने से पुत्र का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)

मासिक शिवरात्रि : 09 जनवरी 2024

जिस तिथि का जो स्वामी हो उस तिथि में उसकी आराधना-उपासना करना अतिशय उत्तम होता है । चतुर्दशी के स्वामी भगवान शिव है । अतः उनकी रात्रि में किया जानेवाला यह व्रत ‘शिवरात्रि’ कहलाता है । प्रत्येक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को रात्रि में गुरु से प्राप्त हुए मंत्र का जप करें । गुरुप्रदत्त मंत्र न हो तो पंचाक्षर (नमः शिवाय) मंत्र के जप से भगवान शिव को संतुष्ट करें ।

कर्ज मुक्ति हेतु –

हर मासिक शिवरात्रि को सूर्यास्त के समय घर में बैठकर अपने गुरुदेव का स्मरण करके शिवजी का स्मरण करते-करते ये 17 मंत्र बोलें ! जिनके सिर पर कर्जा ज्यादा हो वो शिवजी के मंदिर में जाकर दिया जलाकर ये 17 मंत्र बोलें ! इससे कर्जे से मुक्ति मिलेगी…

1) ॐ शिवाय नमः
2) ॐ सर्वात्मने नमः
3) ॐ त्रिनेत्राय नमः
4) ॐ हराय नमः
5) ॐ इन्द्रमुखाय नमः
6) ॐ श्रीकंठाय नमः
7) ॐ सद्योजाताय नमः
8) ॐ वामदेवाय नमः
9) ॐ अघोरहृदयाय नम:
10) ॐ तत्पुरुषाय नमः
11) ॐ ईशानाय नमः
12) ॐ अनंतधर्माय नमः
13) ॐ ज्ञानभूताय नमः
14) ॐ अनंतवैराग्यसिंघाय नमः
15) ॐ प्रधानाय नमः
16) ॐ व्योमात्मने नमः
17) ॐ व्यूक्तकेशात्मरूपाय नम:

भौम प्रदोष व्रत : 09 जनवरी 2024

कर्ज-निवारक कुंजी

प्रदोष व्रत यदि मंगलवार के दिन पड़े तो उसे ‘भौम प्रदोष व्रत’ कहते हैं । मंगलदेव ऋणहर्ता होने से कर्ज-निवारण के लिए यह व्रत विशेष फलदायी है । भौम प्रदोष व्रत के दिन संध्या के समय यदि भगवान शिव एवं सद्गुरुदेव का पूजन करें तो उनकी कृपा से जल्दी कर्ज से मुक्त हो जाते हैं । पूजा करते समय यह मंत्र बोले :

मृत्युंजय महादेव त्राहि मां शरणागतम ।
जन्ममृत्युजराव्याधिपीडितं कर्मबन्धनै: ।।

इस दैवी सहायता के साथ स्वयं भी थोड़ा पुरुषार्थ करें ।

स्त्रियों को दंडवत प्रणाम क्यों नहीं करना चाहिए ?

‘धर्मसिन्धु’ नामक ग्रंथ में इसका उत्तर हमें मिलता है, जिसमें स्पष्ट तौर पर निर्देश दिया गया है-

‘ब्राह्मणस्य गुदं शंखं शालिग्रामं च पुस्तकम् ।
वसुन्धरा न सहते कामिनी कुच मर्दनं।।’

अर्थात् – ब्राह्मणों का पृष्ठभाग, शंख, शालिग्राम, धर्मग्रंथ एवं स्त्रियों का वक्षस्थल यदि प्रत्यक्ष रूप से भूमि का स्पर्श करते हैं तो हमारी पृथ्वी इस भार को सहन नहीं कर सकती है । यदि पृथ्वी इस असहनीय भार को सहन कर भी लेती है तो वह इस भार को डालने वाले से उसकी अष्ट-लक्ष्मियों का हरण कर लेती है ।

स्त्रियां ऐसे करें प्रणाम :

स्त्रियां दंडवत प्रणाम के बजाय घुटनों के बल बैठकर अपने मस्तक को भूमि से लगाकर प्रणाम कर सकती हैं ।

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