FY26 की पहली तिमाही में भारत की आर्थिक वृद्धि दर 6.7% रहने का अनुमान : सर्वेक्षण

नई दिल्ली (एजेंसी)। एक हालिया सर्वेक्षण के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही में भारत की आर्थिक वृद्धि दर (GDP) धीमी होकर 6.7% पर आ सकती है। मिंट द्वारा किए गए इस सर्वेक्षण में 22 अर्थशास्त्रियों ने यह अनुमान लगाया है। इससे पिछली तिमाही (जनवरी-मार्च) में यह दर 7.4% थी। अर्थशास्त्रियों के अनुसार, शहरी मांग में कमी, निजी निवेश में सुस्ती और औद्योगिक गतिविधियों में मंदी इसकी मुख्य वजह हैं।
हालांकि, मजबूत सरकारी खर्च और निर्यात में बढ़ोतरी ने वृद्धि दर को कुछ हद तक सहारा दिया है। सर्वेक्षण में शामिल अर्थशास्त्रियों ने पहली तिमाही के लिए जीडीपी वृद्धि का अनुमान 6.2% से 7.0% के बीच जताया है, जिसका औसत 6.7% है।
प्रमुख अर्थशास्त्रियों की राय
डीबीएस बैंक की अर्थशास्त्री राधिका राव का कहना है कि सरकारी खर्च, ग्रामीण मांग और सेवा क्षेत्र की स्थिरता से अर्थव्यवस्था को बल मिला, लेकिन औद्योगिक उत्पादन में कमी और पर्सनल लोन की धीमी वृद्धि ने शहरी मांग को प्रभावित किया। उनके मुताबिक, अप्रैल-जून में कृषि और सेवा क्षेत्र स्थिर रहेंगे, जबकि उद्योग क्षेत्र कमजोर रह सकता है।
वहीं, इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने आशंका जताई है कि अगर निजी निवेश और निर्यात पर अमेरिकी टैरिफ का असर बना रहता है, तो आने वाले महीनों में वृद्धि और भी धीमी हो सकती है। उनका अनुमान है कि 2025-26 में जीडीपी वृद्धि 6.0% तक सीमित रह सकती है।
विभिन्न संस्थाओं के अनुमान
एसबीआई रिसर्च और आरबीआई ने भी अमेरिकी टैरिफ के प्रभाव को देखते हुए पहली तिमाही के लिए वृद्धि दर 6.5 से 7.0 प्रतिशत के बीच रहने का अनुमान लगाया था। एसबीआई रिसर्च का मानना है कि निजी निवेश में कमी के कारण पहली तिमाही की जीडीपी दर 6.8% से 7.0% के बीच रह सकती है।
इसके अलावा, रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अमेरिका द्वारा लगाए गए 60% शुल्क से कपड़ा, रत्न, आभूषण, चमड़ा, रसायन और वाहन कलपुर्जे जैसे निर्यात पर आधारित क्षेत्रों के राजस्व और मार्जिन पर दबाव बढ़ सकता है।
अमेरिकी टैरिफ का प्रभाव और राहत के उपाय
आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने पहले कहा था कि अमेरिकी आयात शुल्क का भारतीय अर्थव्यवस्था पर बहुत कम असर होगा, क्योंकि लगभग 45% भारतीय निर्यात इससे प्रभावित नहीं होगा। हालांकि, रत्न और आभूषण, कपड़ा, और एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम) जैसे कुछ क्षेत्र अधिक संवेदनशील हो सकते हैं। मल्होत्रा ने आश्वासन दिया है कि यदि अर्थव्यवस्था के किसी भी हिस्से को परेशानी होती है, तो क्षेत्र-विशेष को मदद दी जाएगी।
फिच रेटिंग्स ने भारत की साख को ‘बीबीबी-‘ पर बनाए रखा है। उनका अनुमान है कि अमेरिकी शुल्क का जीडीपी वृद्धि पर थोड़ा नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा, लेकिन जीएसटी सुधारों से उपभोग को बढ़ावा मिलेगा और वृद्धि से जुड़े कुछ जोखिम कम होंगे।
चालू वित्त वर्ष के लिए अनुमानित वृद्धि दर:
आरबीआई: 6.5%
एडीबी: 6.5%
आईएमएफ: 6.4%
विश्व बैंक: 6.3%
इंडिया रेटिंग्स: 6.3%
इक्रा: 6.3%
फिच: 6.3%
एसबीआई रिसर्च: 6.3%