
मुंबई (एजेंसी)। अभिनेत्री पूजा भट्ट का कहना है, सना साबित करती है कि किसी महिला की कहानी सुनाने के लिए आपका महिला होना ज़रूरी नहीं है। समाननुभूति किसी महिला का विशेषाधिकार नहीं है। वह गोवा में 54वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (इफ्फी) में आज आयोजित संवाददाता सम्मेलन में अपनी बात रख रही थीं। उनकी फिल्म सना उन 3 भारतीय फिल्मों में से एक है, जो 54वें इफ्फी में प्रतिष्ठित स्वर्ण मयूर के लिए 12 अन्य फिल्मों के साथ प्रतिस्पर्धा करेगी।
इस फिल्म की कहानी एक महत्वाकांक्षी महिला के इर्द-गिर्द घूमती है, जो अपने घाव के नहीं भरने की वजह से उत्पन्न हुए आंतरिक टकराव से जूझ रही है। पूजा भट्ट ने कहा कि गर्भपात जैसे अहम मुद्दे पर चर्चा करना जरूरी है। उन्होंने महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने, उन्हें अपने लिए महत्वपूर्ण निर्णय लेने के लिए सशक्त बनाने के प्रयास करने के लिए भारत सरकार को धन्यवाद दिया और कहा कि इस बात को सराहा जाना चाहिए।