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राष्ट्रीय रामायण महोत्सव, रायगढ़, फिर शबरी का धैर्य दिखा।

शबरी ने बरसों इंतज़ार किया और जितनी बड़ी उनकी तपस्या रही उनका पुण्य उतना ही जागृत हुआ।
भगवान उनकी कुटिया में आये।
सबके हिस्से में शुभ हो, मीठा हो। सर्वे भवन्तु सुखिनः के वैदिक विचार से शबरी ने मीठे बेर खिलाये।
फिर एक गहन आध्यात्मिक चर्चा हुई।
यह सुंदर विचार लोगों के मन में जो हजारों की संख्या में रामकथा सुन रहे हैं उनके भीतर उतर रहा है।

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