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राष्ट्रीय कार्य समिति की 2 दिवसीय ग्वालियर बैठक में पहली बार जुटे देशभर से 22 राज्यों के पेंशनर्स प्रतिनिधि

म प्र शासन के 30 जनवरी के प्रस्ताव पर भूपेश सरकार द्वारा सहमति रोक कर दोनों राज्य के पेंशनरों के साथ किये जा रहे आर्थिक शोषण पर रोष जताया गया.

भारतीय राज्य पेंशनर्स महासंघ से सम्बध्द मध्यप्रदेश पेंशनर एसोशियेशन भोपाल के तत्वावधान में ग्वालियर में दिनांक 27 एवं 28 मई को बाल भवन सभा गृह में राष्ट्रीय कार्य समिति का दो दिवसीय बैठक राष्ट्रीय अध्यक्ष सी एच सुरेश,केरल की अध्यक्षता में सम्पन्न हुआ. इस अखिल भारतीय बैठक में छत्तीसगढ़ से भारतीय राज्य पेंशनर्स महासंघ के राष्ट्रीय महामन्त्री वीरेंद्र नामदेव के साथ राष्ट्रीय मन्त्री पूरन सिंह पटेल, कार्य समिति के सदस्य अनिल गोल्हानी, राम नारायण ताटी ने भाग लेकर अपने विचार रखें.

अखिल भारतीय बैठक में छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश के पेंशनरों ने मध्यप्रदेश राज्य पुनर्गठन अधिनियम धारा 49(6) के कारण दोनो राज्य के पेंशनरों को दोनों राज्य सरकारों सहमति पर ही महंगाई राहत राशि का भुगतान होता है परंतु मध्यप्रदेश शासन द्वारा प्रेषित 30 जनवरी के प्रस्ताव पर छत्तीसगढ़ में भूपेश सरकार द्वारा सहमति नहीं देने के कारण दोनों ही राज्य के पेंशनर्स आर्थिक शोषण के शिकार हो रहे हैं. इसे लेकर बैठक में भूपेश सरकार के रवैये को घोर रोष जाहिर कर किया गया है.दोनों राज्यों में धारा 49 को विलोपित करने की मांग को लेकर संयुक्त रूप से आंदोलन करने का निर्णय लिया गया है. इस हेतु दोनों राज्य के प्रमुख पेंशनर्स यूनियन के पदाधिकारियों की बैठक भोपाल अथवा रायपुर में करने का निर्णय लिया गया.

इस दो दिवस के कार्यक्रम में देश में पेंशनर्स के प्रमुख मांग क्रमश: छत्तीसगढ़ मध्य प्रदेश के बीच राज्य पुनर्गठन अधिनियम 2000 के तहत आर्थिक भुगतान में बाधक धारा 49 को विलोपित करने,पेंशनर को आयकर के दायरे से मुक्त करने, समय-समय पर उम्र बढ़ने के साथ 80 वर्ष के स्थान पर 65 वर्ष की उम्र से अतिरिक्त पेंशन में वृद्धि करने,30 जून एवं 31 दिसंबर को सेवानिवृत्त होने वाले पेंशनर को माननीय सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के परिपालन में वेतन वृद्धि का लाभ देने,केंद्र एवं सभी राज्यों में पेंशनर को प्रतिमाह ₹2000 मेडिकल भत्ता देने और इलाज में कैशलेस की सुविधा देने, केंद्र सरकार द्वारा समय-समय पर घोषित महंगाई भत्ता राज्य में पेंशनरों को केंद्र द्वारा घोषित तिथि एवं दर से देने हेतु राज्य सरकार को बाध्यकारी बनाये जाने हेतु संसद में कानून पारित करने, केन्द्र सरकार द्वारा कोविड काल में वरिष्ठ नागरिकों की रेल यात्रा में रोकी गई छूट की सुविधा को तुरन्त पुन: बहाल करने तथा केंद्र एवं राज्य पेंशनरों को बस किराए में 50% की छूट देने,पेंशनरों को भारत भ्रमण के लिए 3 वर्ष में एक बार आर्थिक सहायता दिये जाने, पेंशनर के मृत्यु होने के पश्चात उनके परिजनों को दाह संस्कार हेतु 10000 की आर्थिक मदद देने, सभी सेवानिवृत्त कर्मचारियों को नई पेंशन योजना को रद्द कर पुरानी पेंशन का लाभ देने, पेंशनरों को निकायों एवं निगम मंडल के योजनाओं में निर्मित भवन आवंटन में 5% का आरक्षण देने, पेंशनर्स के सेवानिवृत्त होने के बाद मिलने वाली पेंशन राशि में अधिक भुगतान की वसूली पर हाई कोर्ट के निर्णय के परिपालन में स्थाई रोक के आदेश जारी करने, 31/12/1988 के पूर्व नियुक्त दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति पश्चात अवकाश नकदीकरण की पात्रता देते हुए अहर्तादायी सेवा मान्य कर नियमित सेवानिवृत्ति कर्मचारी की भांति समस्त लाभ दिये जाने, केंद्र सहित सभी राज्यों में पूर्व कर्मचारी कल्याण बोर्ड का गठन कर पेंशनरों को प्रतिनिधित्व दिये जाने और उत्तर प्रदेश की भांति 20 वर्ष की सेवा पर पूर्ण पेंशन की पात्रता देने पर बैठक में चिंतन मनन कर रणनीति तय की गई, इन मांगो का ज्ञापन केन्द्र के साथ साथ सभी राज्य सरकारों देने का निर्णय लिया गया.

इस दो दिवसीय कार्यक्रम में भारतीय राज्य पेंशनर्स महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष सी एच सुरेश, भारतीय पेंशनर्स मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष व्ही एस यादव दिल्ली, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष घनश्याम शर्मा हिमांचल प्रदेश, राष्ट्रीय महामन्त्री बी एस हाडा राजस्थान, श्रीनिवास कर्नाटक, वीरेंद्र नामदेव छत्तीसगढ़, डी बी नायर मध्यप्रदेश, रमेश राउल उड़ीसा, रवींद्र पुरोहित महाराष्ट्र, डॉ राजेंद्र श्रीवास्तव उत्तर प्रदेश तथा पेंशनर एसोशियेशन भोपाल के प्रांताध्यक्ष एडवोकेट राज कुमार दुबे, पूरनसिह पटेल, आर एस तरेटिया,गीता भारद्वाज,आर पी कोरी, अनिल गोल्हानी,आर एन ताटी आदि को स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मान किया गया.

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