वरिष्ठ पत्रकार चंद्र शेखर शर्मा की बात बेबाक, गोला बीड़ी के बण्डल और माखुर ये दोनों छत्तीसगढ़ी जीवनशैली में रच बस गए है
। छट्टी छेवारी , सामाजिक बैठक हो या शादी ब्याह आये हुए मेहमानों को ये नही दिए गए तो चार जगह बात होगी फलनवा के घर गे रेहेन माखुर बीड़ी तको नई पूछिस । माखुर बीड़ी घलो हमर संस्कृति हो गे हे । आज विश्व तम्बाकू निषेध दिवस है तो जगह जगह तम्बाकू और तंबाकू के उत्पादों के उपयोग नही करने के लिए शपथ लेने का ढकोसला हो रहा है । रजनीगंधा , सितार ,पान पराग और चुना तम्बाकू जेब मे रख लोग शपथ ना खाऊंगा ना खाने दूंगा की लेते दिखे तो कुछ इसमें भी कमाई खोजते । सरकार का कारोबार भी अजब गजब का है तम्बाकू उत्पाद हो या शराब बेचने में कोई मनाही नही छत्तीसगढ़ में शराब भी सरकार ही बेच रही और इसके उपयोग और नुकसान से बचने प्रचार प्रसार में करोड़ो का खर्च भी कर रही । सरकार का कारोबार भी अच्छा है मर्ज भी और दर्द भी हमी देंगे और दवा भी । अरे भाई बेचना ही बंद कर दो ना , ना रहेगा बांस ना बाजेगी बांसुरी । खैर ये तो मन की बात थी । आज जिला अस्पताल में अचानक भयानक पहुँचा तो शपथ में शामिल होने का मौका अनायास ही मिल गया । वहां से निकलते निकलते न खावव न खावन देवव बड़बड़ाते जा रहा था तो काफी दिनों बाद आज गोबरहींन टुरी से भेंट हो गई “न खावव न खावन देवव ” की बड़बड़ाहट सुन गोबरहीन टुरी कहती है बैहागेस हस का महाराज कि मोदी बन गे हस जऊन न खावव न खावन देवव चिल्लात हस पुड़िया (तम्बाकू जिसे आजकल चैतन्य चूर्ण भी कहने लगे है ) धरे हस का ला महू ला दे थोड़ कुन अब्बड़ देर होंगे दबाये , चुहुक लागे ले कइसन अकबकासी कस लागत हावय । तै ये माखुर वाखुर ला खाय बर छोड़ दे कैंसर होथे आज विश्व तम्बाकू निषेध दिवस हावय त तहु शपथ ले ले न खावव न खावन देवव बोलते ही गुसियाते कहती है , महाराज तै हमर छत्तीसगढ़ी संस्कृति में रचे बसे बीड़ी अउ माखुर ल छुड़ा के हमर संस्कृति के अपमान करत हस । शपथ में काबर नई बोलव न बेचन न बेचन देवन , काबर कि सरकार के कमाई खतम हो जाहि अउ डॉक्टर मन ल मरीज मिलना बंद हो जाहि । जा महराज जा मोर करा ज्ञान व्यान झन झाड़ बोलना है तो छत्तीसगरिहा सरकार ला बोल बीड़ी माखुर अउ दारू ला बंद करय । शराब बंद करबो कहिके चुनाई जीतगे अब बन्द नही करत हावय । सुन ये बिगड़ना सुधारना अपन हाथ मे होथे ये शपथ वपथ तो ढकोसला हावय कमाए खाय दिखाय के । जब ” विभीषण रावण के राज में रहकर भी नई बिगड़ीस अउ केकयी राम के राज्य में रहकर भी नई सुधरीस “तो तै अउ मैं का हन ।
और अंत मे
लोगो को देखा है करीब से ,
जाने वो क्या क्या शौक रखते है ।
शरीर की नसों पे चिपकाए ,
खून चूसती एक जोंक रखते है ।।