वरिष्ठ पत्रकार चंद्र शेखर शर्मा की बात बेबाक, कर नाटक चुनाव निपट गया किसी को सबक तो किसी की झोली में खुशियां बरसा गया ।
अबके बरस चुनाव में भगवान बजरंगबली भी कांग्रेस व भाजपा के बीच चकरघिन्नी बन घूमते रहे वैसे कुछ सालों से चल रही हिंदुत्व की बयार अब तक आंधी नही बन पाई परिणामतः कांग्रेस मुक्त भारत का सपना देख रहे भाजपाईयों को पश्चिम बंगाल में खेला होने के बाद कर्नाटक चुनाव में जोरो का झटका थोड़ा धीरे से लगा है । चुनाव परिणामो के बाद राहुल बाबा गप्पू भाई के बीच ये डायलाग फिट जरूर बैठता है कि –
” शाखों से टूट जाएं वो पत्ते नहीं है हम,
आंधीयों से कोई कह दे औकात में रहे । ”
कर्नाटक के चुनावी रिजल्ट ने मिशन 24 में जुटे और ओवर कॉन्फिडेंस में बहक रहे नेताओ के लिए खतरे की घंटी बजा दी है कि भइये धोखे में मत रहो सब कुछ ठीक नही है ,अंदर खाने में कुछ तो गड़बड़ है ,अब भी समय है कार्यकर्ताओ की कुछ तो पूछ परख कर लो भ्रष्टाचारियो के पाप धोने वाली गंगा की जगह निर्मल सलिल गंगा बन जाओ । आखिर कब तक मोदी के नाम पर मांगते फिरोगे । कांग्रेस मुक्त भारत का सपना तो चूर चूर हो गया । भाई कहते है न कि समय होत बलवान जो सब कुछ बदल देता है जुबान, आंख-कान-नाक सब । समय के साथ तो रिश्ते , आस्था, भरोसा, दावा, टारगेट ,दोस्त और दुश्मन बदल जाते हैं तो आदमी भी तो बदलेगा ही ना । वैसे आदतानुसार चुनाव परिणामो के बाद अब नेताओ की जुबान भी बदली बदली नजर आने लगी है । नेताओ में भी बदलाव की प्रक्रिया निरंतर चलती रहती है। परंतु यह आदमी की तुलना में कई गुना अधिक होती है ।आदमी को बदलने में महीनों और सालो लग जाते है परंतु नेता तो मिनट और सेकंड के हिसाब से बदलता रहता है ।
वैसे आप खुश रह सकते हैं कि देश में हिन्दू-मुस्लिम चल रहा है , ये नही चलता तो सवर्ण-दलित चलता ये भी नही चल पाता तो ठाकुर-पंडित , उससे भी मन नही भरता तो कान्यकुब्ज-सरयूपारी ये भी सफल नही होगा तो फिर गौत्र और प्रवर वाला 3-13 तो चलेगा ही । सियासत और सियासतदानों ने जिंदगी के गणित में हिन्दू मुस्लिम लाकर जिंदगी में राजनीति के गणित का सिलेबस कितना आसान कर दिया है । थंकु सियासत मेरे मुल्क की राजनीति आसान करने के लिए ।
चुनावी चर्चा के बीच गोबरहिंन टुरी कहती है अर्नाटक कर्नाटक ले हमला का करना महराज हमन ठेठ छत्तीसगढ़ीहा अउ हमन ल तो विपक्ष हीन राज्य में पीएससी घोटाला , दारू घोटाला , चाउर घोटाला और न जाने का का घोटाला के बीच नेता अउ अधिकारी मन के लइका मन ल डिप्टी कलेक्टर बनाए के घलो चिंता करना है बिना चिल्लपों मचाये ।
और अंत में :-
राह के पत्थर को चकनाचूर होना चाहिए ,
वार चाहे एक हो भरपूर होना चाहिए ।
सिर्फ इतना ही नही हार वो अपनी मान ले ,
वो हमारे सामने मजबूर होना चाहिए ।