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छात्रों ने मिशन लाइफ के तहत एकल उपयोग प्लास्टिक के इस्तेमाल पर रोक लगाने और “हरित योद्धाओं” के रूप में कार्य करने का संकल्प लिया

New Delhi (IMNB). विश्व पर्यावरण दिवस (5 जून) को मानने के क्रम में लाइफ (पर्यावरण के लिए जीवन शैली) पर पूरे देश में सामूहिक कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। विभिन्न संस्थानों और संगठनों ने आज कई गतिविधियों का आयोजन किया।

  1. राष्ट्रीय प्राकृतिक विज्ञान संग्रहालय

मिशन लाइफ के लिए सामूहिक कार्यक्रम के एक हिस्से के तहत राष्ट्रीय प्राकृतिक विज्ञान संग्रहालय ने दिल्ली स्थित अर्वाचीन भारती भवन सीनियर सेकेंडरी स्कूल और एस.एल.एस.डी.ए.वी. पब्लिक स्कूल मौसम विहार में लाइफ प्रतिज्ञा दिलाई। इसमें 293 छात्रों ने पर्यावरण की सेवा का संकल्प लिया।

वहीं, भुवनेश्वर स्थित आरएमएनएच ने मेरी लाइफ: पर्यावरण के लिए जीवनशैली के तहत 198 प्रतिभागियों के लिए नारा लेखन और लोक अनुकूलन कार्यक्रम/जागरूकता का आयोजन किया।

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  1. भारतीय प्राणी सर्वेक्षण (जेडएसआई)

भारतीय प्राणी सर्वेक्षण (जेडएसआई) ने निदेशक डॉ. धृति बैनर्जी के नेतृत्व में “छात्रों के सामूहिक कार्यक्रम” के पहले चरण की शुरुआत की। इसमें कोलकाता स्थित विवेकानंद कॉलेज के प्राणी विभाग के लगभग 100 छात्रों व शिक्षकों ने अपने कॉलेज परिसर में एकल उपयोग प्लास्टिक के इस्तेमाल पर रोक लगाने का संकल्प लिया। इस कॉलेज की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. सेंजुती रॉय मुखर्जी ने कहा कि उन्होंने अपने कॉलेज परिसर में एकल उपयोग प्लास्टिक के इस्तेमाल पर पूरी तरह से रोक लगा दी है और टिकाऊ भविष्य के लिए पर्यावरण की रक्षा करने को लेकर मिशन लाइफ के तहत स्वस्थ जीवनशैली अपनाने व “हरित योद्धाओं” के रूप में काम करने का आश्वासन दिया। डॉ. बैनर्जी ने बताया कि यह इस अभियान का पहला चरण था और आने वाले दिनों में जेडएसआई के विभिन्न केंद्रों के माध्यम से पूरे देश के अन्य स्कूलों और कॉलेजों में इसका आयोजन किया जाएगा।

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  1. जीबी पंत राष्ट्रीय हिमालय पर्यावरण संस्थान (जीबीपीएनआईएचई)

मिशन लाइफ समारोहों की चालू श्रृंखला के तहत एनआईएचई ने 8 मई, 2023 को मिशन लाइफ की स्वस्थ जीवनशैली विषयवस्तु पर एक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया। इस कार्यक्रम के दौरान नैनीताल स्थित डीएसबी कैंपस के छात्रों के साथ अल्मोड़ा के जीबीपीएनआईएचई के पूर्व संरक्षण स्थल “सूर्य-कुंज” में एक परामर्शी वार्ता आयोजित की गई। इसमें समुदाय में जैव विविधता संरक्षण शुरू करने के लिए विभिन्न शुरुआती बिंदुओं जैसे कि बहुउद्देश्यीय पौधों की प्रजातियों की खेती, वृक्षारोपण के माध्यम से वन पंचायतों का संवर्द्धन, अवक्रमित ढलान स्तर पर भूमि पुर्नवास/पुर्नस्थापना पर चर्चा की गई। इस कार्यक्रम में छात्रों, शोधकर्ताओं और वैज्ञानिकों सहित कुल 40 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। सभी प्रतिभागियों ने पर्यावरण के अनुकूल आदतों को विकसित करने के लिए लाइफ प्रतिज्ञा ली।

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  1. राष्ट्रीय सतत तटीय प्रबंधन केंद्र (एनसीएससीएम)

सीएससीएम ने पर्यावरण के लिए जीवनशैली (लाइफ) मिशन के एक हिस्से के तहत चेन्नई शहर में अड्यार नदी तट की सफाई कार्यक्रम का आयोजन किया। यह सार्वजनिक आउटरीच अभियान स्थानीय समुदाय की ओर से सामूहिक कार्रवाई के जरिए समुद्र की स्वच्छता में सुधार से संबंधित है। विभिन्न आयु समूहों के लगभग 65 प्रतिभागियों ने अड्यार नदी के मुहाने से लगभग 250 किलोग्राम प्लास्टिक कचरा जमा किया। इसमें 130 किलोग्राम बिना उपयोग वाले जाल और बाकी एकल उपयोग प्लास्टिक व पैकेजिंग सामग्री हैं। इस मूल्य श्रृंखला में सुधार के लिए एकत्रित कचरे को प्लास्टिक रीसाइक्लिंग केंद्र में ले जाया गया।

इस कार्यक्रम के एक हिस्से के तहत एनसीएससीएम के वैज्ञानिकों ने तख्तियों, पैम्फलेट और लाइफ शुभंकरों को प्रदर्शित करके मछुआरा समुदाय के बीच मिशन लाइफ के महत्व के बारे में जागरूकता का प्रसार किया। वहीं, प्रतिभागियों ने कचरा फैलाने के खिलाफ और प्रकृति के साथ सद्भाव में रहने की जरूरत को लेकर हरित प्रतिज्ञा में हिस्सा लिया। इसके अलावा, वैज्ञानिकों ने नदी के मुहानों व समुद्री पर्यावरण में छोड़े गए मछली पकड़ने के जालों से जुड़े प्रभाव को कम करने और समाप्त करने के लिए स्थायी मछली पकड़ने के अभ्यासों की जरूरत के बारे में जागरूकता का प्रसार किया। इसके अलावा उन्होंने नदियों में प्लास्टिक छोड़े जाने की घटना को कम करने के लिए नियमित सफाई प्रयासों को व्यवस्थित करने की जरूरत पर जोर दिया, जो नदी के इकोसिस्टम, मछलियों के  आवास, बाढ़ को रोकने और नदी के पास रहने वाले निवासियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए जरूरी है। ऐसी सामुदायिक कार्रवाई के माध्यम से हम एक स्वच्छ और अधिक टिकाऊ वातावरण का निर्माण कर सकते हैं।

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एनसीएससीएम के वैज्ञानिक डॉ. दीपनारायण गांगुली ने गांधीनगर में गुजरात पारिस्थितिकी आयोग द्वारा आयोजित तटीय सुरक्षा और एमआईएसएचटीआई पहल पर आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला में हिस्सा लिया। उन्होंने मैंग्रोव के संरक्षण व बहाली में सामुदायिक भागीदारी और मिशन लाइफ के महत्व को प्रस्तुत किया।

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