वरिष्ठ पत्रकार की बेबाक कलम सीधे रस्ते की टेढ़ी चाल…कहीं की ईंट कहीं का रोड़ा पद, पुराने हटेंगे तभी नयों को बंटेंगे
पुरानों को सरकाने और नयों को बिठाने के लिये कर्नाटक में नाटक चालू है। कहते हैं मोदीजी ने नया नियम बनाया है कि पुराने चेहरों को हटाकर नये लोगों को मौका दिया जाएगा और एक परिवार से एक को ही मौका मिलेगा। पिछले चुनावों में इस काम से नाराज नेताओं को ये साफ संदेश भी दे दिया था कि इस बात के लिये मैं ही यानि मोदी ही जिम्मेदार हैं।
इसी लकीर पर चलते हुए कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री 67 वर्षीय जगदीश शेट्टार छह बार विधायक चुने गये हैं। जबकि अब पार्टी उन्हें नहीं लड़ाने का मन बना चुकी है लेकिन ये मन शेट्टार के मन से मेल नहीं खा रहा लिहाजा जैसे ही ये फाईनल हो गया कि शेट्टार को टिकट नहीं मिलेगा उन्होंने कांग्रेस का हाथ थाम लिया और शायद अपने जीवन की सबसे बड़ी भूल कर ली। क्योंकि एक ऐसी नाव में सवार हो गये जिसमें असंख्य छेट हैं लेकिन फिर भी ये कहा जा सकता है कि कर्नाटक में ही खेलने का लक्ष्क्ष्य हो और सब्र नहीं हो तो निर्णय ठीक है क्योंकि सर्वे में ये बात सामने आ रही है कि भाजपा कांग्रेस से पीछे रहेगी और कांग्रेस सरकार बनाएगी।
घर का दुलारा बेटा अशोक गहलोत
छोटा बेटा पायलट परेशान है बहोत
एक ही परिवार में एक बेटे को पूरा पावर और दूसरे को लाचार बनाकर रख दिया जाता है तो ऐसी स्थिति निर्मित होती है। राजस्थान के मुख्यमंत्री गहलोत अपने परिवार के छोटे यानि सचिन पायलट द्वारा पैदा की जा रही परेशानियों से आसानी से निकलते रहे हैं। अब सचिन ने अप्रत्यक्ष रूप् से उनके ही विरूद्ध धरना देकर फिर से बगावत का संकेत दे दिया है जिसकी परिणिति मध्यप्रदेश में कमलनाथ और सिंधिया की लड़ाई की तरह हो सकती है। लेकिन चूंकि परिवार का कमाउ पूत गहलोत हैं लिहाजा उन्हें ही दुलारा जाता है। साफ कहें तो खुद ही बुरी तरह लड़खड़ाती और परेशान कांग्रेस पार्टी यानि हाईकमान बची-खुची राजस्थान सरकार को संकट में नहीं डाल सकती। तो क्या पायलट अपना प्लेन भाजपा के ग्राउण्ड पर लैण्ड कराएंगे ? क्यांकि जहां, जिस स्थिति में हैं खुश नहीं है वे…
बांग्लादेशी पर ममता
विदेशी घुसपैठियों को राशन कार्ड बनाकर देश में बसाना और फिर उनके कारनामों से देश का नुकसान करवाना ममता दीदी के लिये कोई असहज बात नहीं है। अपने फायदे के लिये नितान्त अमानवीय काम करने से भी परहेज नहीं है। हम हमेशा से देख रहे हैं। मगर अब जो खबर आ रही है वो आपको शर्मसार कर देगी। अफसोस होगा। दीदी ने एक बांग्लादेशी नागरिक को ही विधानसभा में भेजने की तैयारी कर ली थी। बांग्लादेशी की नागरिक आलोरानी सरकार टीएमसी की टिकट पर चुनाव लड़ीं हालांकि वे भाजपा से चुनाव हार गयीं। इन्होने सारे सरकारी कागज बनवा लिये हैं परन्तु भारत की नहीं बांग्लादेशी नागरिक हैं। कई ऐसे बांग्लादेशी हैं जो भारत में राशन कार्ड बनवा कर रहते और मजदूरी करते हैं।
7.3 किलोमीटर… प्रति सेकॅण्ड
440 किमी प्रति मिनट, 26400 किमी प्रति घंटा
लगभग ये रफ्तार है उस अंतरमहाद्वीपीय मिसाईल की जो रूस ने बनाई है जिसका डर यूक्रेन को ही नहीं सारी दुनिया को सता रहा है। यह एक महाद्वीप से दूसरे महाद्वीप में वार कर सकती है और टॉरगेट किये शहर को मटियामेट कर सकती है। कोई भी मौसम और कोई भी राडार इसके लक्ष्य में बाधा नहीं पहुंचा सकता। इसका अंदाजा आप ऐसे लगाईये कि रायपुर से दुर्ग की दूरी 40 किमी है और कार से जाएंगे और रोड साफ मिला तो एक घंटा लग जाता है। दिल्ली रायपुर से बाय ट्रेन 1400 किमी है यदि हवा मे ंनापें तो शायद एक हजार किमी होगी। कहा जा सकता है कि लगभग ढाई सेकॅण्ड में रायपुर से निकलकर दिल्ली की परिक्रमा करके वापस आ सकने की शक्ति है।
संतोष में है सुकून और खुशी
खुशी मिलती भी मुश्किल से है। सुकून नहीं मिलता। कभी किसी को मुकम्मल जहां नहीं मिलता। सारा देश ही नहीं सारा विश्व सुकून की तलाश में है। सारी मानवजाति सुकूल तलाश रही है। लेकिन कोई भी अपनी स्थिति से संतुष्ट नहीं है। जबकि वास्तविकता तो ये हैं कि जहां संतोष है वहीं सुकून है वहीं खुशी है। सारे विश्व में वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट जारी की जाती है। कुछ ही दिन पहले जारी इस रिपोर्ट में फिनलैण्ड सबसे टॉप पर है विगत छह वर्षों से। सारा जोड़घटा करके अर्थ ये निकला कि ‘जब आपके पास जो है उसे पर्याप्त मान लेते हैं तो आप खुश हो जाते हैं’। बस यही सार है फिनलॅण्ड की खुशी का।
जवाहर नागदेव, वरिष्ठ पत्रकार, लेखक, चिन्तक, विश्लेषक
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