51 साल के हुए योगी… अजय बिष्ट से आदित्यनाथ, महंत से बुलडोजर बाबा बनने की पूरी कहानी
पिता का व्यापार
योगी आदित्यनाथ कुल सात भाई-बहन हैं। उनके पिता आनंद सिंह बिष्ट चाहते थे कि अजय उनके ट्रांसपोर्ट के बिजनस में मदद करें लेकिन इस व्यापार में अजय सिंह बिष्ट की दिलचस्पी नहीं थी। उन्होंने हेमवती नंदन बहुगुणा यूनिवर्सिटी से मैथ्स में बीएससी की डिग्री हासिल की।
अवेद्यनाथ से मुलाकात
1990 के दौर में लालकृष्ण आडवाणी के नेतृत्व में राम मंदिर आंदोलन अपने उत्कर्ष पर था। अजय सिंह बिष्ट ने भी इस आंदोलन में हिस्सा लिया। इसी से संबंधित एक कार्यक्रम में अजय सिंह की मुलाकात गोरखनाथ मंदिर के महंत अवेद्यनाथ से हुई थी। अवेद्यनाथ से वह काफी प्रभावित हुए।
योगी का गृहत्याग
साल 1993 में एक दिन नौकरी का बहाना देकर अजय घर छोड़कर गोरखपुर चले गए। एक साल तक उनके घर वालों को कुछ पता नहीं था कि उनका बेटा कहां है? कहते हैं कि इस दौरान योगी ने अपने पिता को कई बार पत्र लिखा लेकिन उन्हें उनके पते पर कभी नहीं भेजा।
गोरखपंथ की दीक्षा
15 फरवरी 1994 को महंत अवेद्यनाथ ने अजय सिंह बिष्ट को गोरखपंथ की दीक्षा दी। इस दौरान अजय योगी आदित्यनाथ बन गए। इसके चार साल बाद ही 1998 में अवेद्यनाथ ने योगी को गोरखनाथ मठ के साथ-साथ अपनी राजनैतिक विरासत का भी उत्तराधिकारी बना दिया।
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सबसे युवा सांसद
साल 1998 में योगी आदित्यनाथ ने सिर्फ 26 साल की उम्र में पहली बार गोरखपुर से संसदीय चुनाव लड़ा। वह 26 हजार वोटों से चुनाव जीते। पहली बार जीत के बाद संसद में उन्होंने संस्कृत में सांसद के तौर पर शपथ ली। इसके अगले ही साल फिर चुनाव हुए तो योगी ने फिर जीत दर्ज की। जीत का यह सिलसिला उनके यूपी का मुख्यमंत्री बनने तक अनवरत जारी रहा।
गोरखनाथ मंदिर में फरियादी
गोरखनाथ मंदिर में बतौर जनप्रतिनिधि लोगों की फरियाद सुनने के लिए भी योगी आदित्यनाथ मशहूर हैं।
विनोद खन्ना ने किया प्रचार
साल 1998 के चुनाव में योगी आदित्यनाथ के पक्ष में प्रचार करने के लिए फिल्म अभिनेता विनोद खन्ना भी आए थे। चुनाव के बाद भी दोनों के बीच अच्छे संबंध बने रहे।
संसद में आखिरी भाषण
साल 2017 में उत्तर प्रदेश में बीजेपी को प्रचंड बहुमत से जीत हासिल हुई। योगी आदित्यनाथ को विधायक दल का नेता चुना गया। 21 मार्च को गोरखपुर से सांसद के तौर पर उन्होंने आखिरी बार अपना भाषण दिया और फिर उत्तर प्रदेश की बागडोर संभालने लखनऊ पहुंच गए।
पहली बार सीएमसाल 2017 में पहली बार सीएम बनने के बाद तत्कालीन राज्यपाल राम नाईक ने योगी आदित्यनाथ को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई थी।
दो डिप्टी सीएम के साथ शपथयोगी आदित्यनाथ के शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल हुए। योगी के साथ दो उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और दिनेश चंद्र शर्मा ने भी शपथ ली।
‘हिंदुत्ववादी’ मुख्यमंत्री
पांच साल के अपने कार्यकाल के दौरान योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश की कानून व्यवस्था, सरकारी दफ्तरों में भ्रष्टाचार निवारण और सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन की दिशा में प्रभावशाली हस्तक्षेप की कोशिश की। उन पर हिंदुत्ववादी एजेंडे को आगे बढ़ाने के आरोप भी लगे। इस बीच अयोध्या में राम मंदिर को लेकर फैसला आया और उसके बाद मंदिर निर्माण के शिलान्यास के कार्यक्रम को लेकर भी योगी सरकार ने त्वरित ऐक्शन लिया।
दोबारा मुख्यमंत्रीकानून व्यवस्था, विकास और हिंदुत्ववादी मुद्दों को लेकर एक बार फिर योगी सरकार 2022 के चुनाव मैदान में उतरी। इस बार भी पार्टी को योगी के नेतृत्व में जीत हासिल हुई। योगी ने गोरखपुर विधानसभा सीट से चुनाव भी लड़ा और जीत दर्ज की। योगी दोबारा सीएम बने।
महंत बने बुलडोजर बाबा
दूसरे कार्यकाल में माफिया और अपराधियों के खिलाफ ऐक्शन को लेकर योगी सरकार ने काफी उग्र रवैया अपनाया था। अपराधियों की आर्थिकी पर चोट करने के लिए योगी सरकार ने उनकी संपत्तियों पर बुलडोजर चलाना शुरू किया। इसकी चपेट में प्रदेश के कुख्यात माफिया मुख्तार अंसारी, अतीक अहमद और विजय मिश्रा के अलावा छोटे-मोटे अपराधी भी आए। अपनी इस कार्यशैली के कारण योगी को लोग ‘बुलडोजर बाबा’ भी बुलाने लगे।