महिलाओं के लिए जानलेवा हो सकता है ‘टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम’ : जानें लक्षण और बचाव

हेल्थ न्युज (एजेंसी)। टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम एक दुर्लभ लेकिन बेहद खतरनाक संक्रमण है जो शरीर के लिए जानलेवा साबित हो सकता है। यह रोग मुख्य रूप से स्टैफिलोकोकस ऑरियस नामक बैक्टीरिया के अत्यधिक बढ़ने के कारण होता है। इस बैक्टीरिया को आमतौर पर ‘स्टैफ’ भी कहा जाता है।
टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम क्या है?
स्टैफ बैक्टीरिया आमतौर पर महिलाओं के शरीर में मौजूद होता है और नुकसान नहीं पहुँचाता, लेकिन कुछ परिस्थितियों में यह शरीर में जहर (टॉक्सिन्स) बनाना शुरू कर देता है। जब ये विषैले पदार्थ खून में मिल जाते हैं, तो टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम होता है।
यह रोग विशेष रूप से पीरियड्स के दौरान महिलाओं को अधिक प्रभावित करता है, खासकर वे महिलाएं जो टैम्पोन का इस्तेमाल करती हैं। टैम्पोन के कारण बैक्टीरिया को पनपने और फैलने का मौका मिल जाता है।
टैम्पोन से क्या संबंध है?
टैम्पोन के उपयोग को TSS से जोड़ा गया है। टैम्पोन का प्रकार भी मायने रखता है। कुछ अध्ययनों के अनुसार, पॉलिएस्टर फोम से बने टैम्पोन कपास या रेयान फाइबर की तुलना में बैक्टीरिया को अधिक अनुकूल वातावरण प्रदान कर सकते हैं। इसके अलावा, वजाइना में मेन्स्ट्रुअल स्पॉन्ज या टैम्पोन को बहुत लंबे समय तक रखना भी स्टैफ बैक्टीरिया के विकास को बढ़ावा देता है।
TSS को मेन्स्ट्रुअल स्पॉन्ज, डायाफ्राम और सर्वाइकल कैप जैसे अन्य उत्पादों से भी जोड़ा गया है।
टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम के प्रमुख लक्षण
TSS के लक्षणों को कभी नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए। ये अचानक और तेज़ी से विकसित होते हैं:
अचानक तेज बुखार आना।
निम्न रक्तचाप होना।
शरीर पर, खासकर हथेली और तलवे पर रैशेज पड़ना।
भ्रम की स्थिति या मानसिक उलझन।
मांसपेशियों में दर्द।
डायरिया (दस्त)।
लाल होंठ, लाल आँखें (कंजंक्टिवाइटिस)।
सिर दर्द।
दौरे पड़ना
यदि पीरियड्स के दौरान टैम्पोन का उपयोग कर रही महिला को अचानक तेज बुखार या उल्टी महसूस हो, तो तत्काल चिकित्सा सहायता लेनी चाहिए।
रोग के कारण और जोखिम
TSS का मुख्य कारण स्टैफिलोकोकस ऑरियस बैक्टीरिया द्वारा उत्पादित विषैले पदार्थ हैं।
TSS पुरुषों और उन महिलाओं को भी हो सकता है, जो निम्नलिखित स्थितियों में स्टैफ बैक्टीरिया के संपर्क में आते हैं:
किसी भी प्रकार की सर्जरी।
जलने या खुले घाव होना।
शरीर में नकली उपकरण (जैसे सर्जिकल इम्प्लांट) का उपयोग।
बच्चे को जन्म देने के तुरंत बाद।
आंकड़ों के अनुसार, TSS के एक तिहाई से अधिक मामले 19 वर्ष से कम उम्र की महिलाओं में पाए जाते हैं। लगभग 30% महिलाओं में यह बीमारी दोबारा होने की संभावना होती है।
यह कितना खतरनाक है?
TSS में रक्तचाप तेज़ी से कम होने लगता है, जिससे शरीर के महत्वपूर्ण अंगों तक पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं पहुँच पाती। यह स्थिति घातक हो सकती है और इसके कारण गुर्दे, दिल और फेफड़े काम करना बंद कर सकते हैं, जिससे मृत्यु भी हो सकती है।
उदाहरण के लिए, अमेरिकी मॉडल लॉरन वासेर को 2012 में TSS हुआ था। उनके शरीर में विषाक्त पदार्थों की अधिकता के कारण उन्हें अपनी एक टांग गंवानी पड़ी थी।
टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम का निदान और उपचार
निदान
डॉक्टर TSS का पता लगाने के लिए कई तरह के परीक्षण करते हैं:
रक्त या मूत्र के नमूने की जाँच।
वजाइना, सर्विक्स, या गले से स्वैब लेकर परीक्षण।
शरीर के अन्य अंगों पर संक्रमण के प्रभाव को जानने के लिए सीटी स्कैन या चेस्ट एक्स-रे भी किया जा सकता है।
उपचार
TSS का उपचार इस बात पर निर्भर करता है कि सिंड्रोम किस चरण में है। इसमें शामिल हैं:
एंटीबायोटिक दवाएं देना।
रक्तचाप नियंत्रित करने की दवाएं देना।
शरीर में पानी की कमी को पूरा करने के लिए तरल पदार्थ (Fluids) देना।
चूँकि शुरुआती लक्षण गंभीर परिणामों से बचा सकते हैं, इसलिए टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम के शुरुआती संकेतों पर तुरंत ध्यान देना आवश्यक है।