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उज्ज्वला योजना : द्रोपदी यादव के आँगन में आई धुएँ से आजादी और खुशहाली की नई रोशनी

बेमेतरा। छत्तीसगढ़ के बेमेतरा जिले के अंतर्गत आने वाले ग्राम देवरबीजा की रहने वाली द्रोपदी यादव के लिए अब रसोई का काम बोझ नहीं, बल्कि सुकून बन गया है। केंद्र सरकार की ‘प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना’ ने उनके जीवन की तस्वीर पूरी तरह बदल दी है। वर्षों तक चूल्हे के धुएँ और लकड़ी इकट्ठा करने की मशक्कत झेलने के बाद, अब उन्हें निःशुल्क एलपीजी गैस कनेक्शन का सुरक्षा कवच मिल गया है।

संघर्ष से सुविधा तक का सफर

पहले द्रोपदी को भोजन बनाने के लिए घंटों लकड़ी, कोयले और उपलों के इंतज़ाम में जुटना पड़ता था। मिट्टी के चूल्हे से निकलने वाला काला धुआँ न केवल उनकी आँखों में जलन पैदा करता था, बल्कि उनके स्वास्थ्य के लिए भी बड़ा खतरा था।

योजना के लाभ जो द्रोपदी के जीवन में दिखे:

बेहतर स्वास्थ्य: धुएँ से होने वाली खाँसी और श्वसन संबंधी समस्याओं से पूरी तरह राहत मिली।

समय की बचत: अब खाना जल्दी पक जाता है, जिससे बचा हुआ समय वह अपने बच्चों की देखभाल और परिवार के साथ बिताने में लगाती हैं।

स्वच्छ वातावरण: रसोई की दीवारें अब काली नहीं पड़तीं और घर का माहौल शुद्ध रहता है।

“सरकार ने दी हमें नई पहचान”

अपनी खुशी जाहिर करते हुए द्रोपदी यादव कहती हैं, “एक समय था जब चूल्हा फूंकते-फूंकते आँखें लाल हो जाती थीं। उज्ज्वला योजना ने मुझे उस तकलीफ से आज़ादी दिलाई है। अब खाना बनाना आसान है और मैं खुद को पहले से कहीं अधिक सम्मानित महसूस करती हूँ।” उन्होंने इस परिवर्तन के लिए राज्य और केंद्र सरकार का सहृदय आभार व्यक्त किया है।

ग्रामीण महिलाओं के लिए प्रेरणा

द्रोपदी की इस सफलता और सुविधा को देखकर देवरबीजा की अन्य महिलाएँ भी जागरूक हो रही हैं। गांव में अब स्वच्छ ईंधन के प्रति उत्साह बढ़ रहा है और कई अन्य परिवार भी इस योजना से जुड़ने के लिए आगे आ रहे हैं।

निष्कर्ष: उज्ज्वला योजना केवल एक गैस कनेक्शन देने की पहल नहीं है, बल्कि यह द्रोपदी यादव जैसी लाखों ग्रामीण महिलाओं के स्वास्थ्य, सम्मान और सशक्तिकरण की एक सशक्त कहानी है।

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