छत्तीसगढ़

कांग्रेस की सभा में बारिश के बीच नेताओं में हावी रही दिखावेबाजी

रायपुर। राजधानी के साइंस कॉलेज मैदान में सोमवार को आयोजित कांग्रेस की ‘किसान, जवान, संविधान’ सभा में जहां एक ओर मौसम ने चुनौती दी, वहीं दिखावेबाजी ने पार्टी की एकता की पोल खोल दी। बूंदाबांदी के बीच मंच पर नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत को बोलने से खुद कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने रोकने की कोशिश की। स्थिति इतनी बिगड़ी कि महंत को खुद कार्यकर्ताओं से शांत रहने की अपील करनी पड़ी, लेकिन उनका आग्रह भी बेअसर रहा।

खड़गे को बीच में रोकना पड़ा भाषण

सभा को संबोधित कर रहे कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को भी नारेबाजी के चलते अपना भाषण बीच में रोकना पड़ा। उन्होंने नाराजगी जताते हुए कहा,  “इतना उत्साह अगर चुनाव में दिखाओगे तो अच्छा होगा, अभी शांति बनाए रखें।”

एयरपोर्ट से ही दिखी दरार

सूत्रों के मुताबिक गुटबाजी की शुरुआत एयरपोर्ट से ही हो गई थी, जब खड़गे रायपुर पहुंचे तो पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और पूर्व उपमुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव को उनके पास तक जाने नहीं दिया गया। सभा स्थल पर यही असंतोष नारेबाजी और हंगामे के रूप में फूट पड़ा।

भिलाई के कार्यकर्ताओं ने की नारेबाजी, देवेंद्र यादव पर निगाहें

कांग्रेस सूत्रों के अनुसार, हंगामा करने वाले ज्यादातर कार्यकर्ता भिलाई क्षेत्र के थे। माना जा रहा है कि ये भिलाई विधायक देवेंद्र यादव के समर्थक थे, जो प्रदेश अध्यक्ष पद के दावेदार भी हैं। मौजूदा पीसीसी चीफ दीपक बैज पहले ही उनके दिल्ली दौरों और गुटबंदी की शिकायत प्रभारी सचिन पायलट से कर चुके हैं।

भूपेश बघेल का जोशीला भाषण, बिना नारेबाजी के

मंच पर जब भूपेश बघेल की बारी आई तो वे पूरा उत्साह और आक्रोश के साथ बोले। उन्होंने किसानों को खाद नहीं मिलने और स्कूलों में बच्चों को किताबें न मिलने जैसे जमीनी मुद्दों को जोरदार ढंग से उठाया। आश्चर्यजनक रूप से उनके भाषण के दौरान कोई नारेबाजी नहीं हुई, जो यह भी संकेत देता है कि कुछ गुट सिर्फ खास चेहरों के विरोध में सक्रिय थे।

बारिश ने रोका रथ, गुटबाजी ने बिगाड़ा रुख

जहां एक ओर बारिश ने सभा की उपस्थिति को सीमित किया, वहीं गुटबाजी ने पार्टी की संगठनात्मक एकता पर सवाल खड़े कर दिए। वरिष्ठ नेताओं की अपील के बावजूद कार्यकर्ताओं के बीच “अपना नेता कौन” की लड़ाई साफ दिखी।

कुल मिलाकर, कांग्रेस की यह सभा सियासी ऊर्जा के बजाय भीतरू खींचतान और गुटबाजी के चलते चर्चा में रही — ऐसे में आने वाले चुनाव से पहले पार्टी को आंतरिक अनुशासन पर गंभीर आत्ममंथन की जरूरत है।

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