छत्तीसगढ़

मुख्यमंत्री साय ने कैम्प कार्यालय बगिया में ’जशपुर पर्यटन व कृषि क्रांति’ का किया शुभारंभ

रायपुर। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने जशपुर में मुख्यमंत्री कैंप कार्यालय बगिया में पर्यटन और कृषि क्रांति की शुरुआत की। इसका उद्देश्य जशपुर के स्वयं सहायता समूहों और किसानों को इको-टूरिज्म और होमस्टे के माध्यम से आत्मनिर्भर बनाना है। इस कार्यक्रम में झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री श्री अर्जुन मुंडा, विधायक श्रीमती गोमती साय और श्रीमती रायमुनि भगत सहित कई जनप्रतिनिधि और अधिकारी मौजूद थे।

मुख्यमंत्री साय ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के ‘सबका साथ, सबका विकास’ के नारे के तहत छत्तीसगढ़ लगातार प्रगति कर रहा है। उन्होंने पर्यटन क्षेत्र में काम कर रहे युवाओं और समूहों को सम्मानित किया और कहा कि वे जशपुर के विकास के लिए हमेशा उपलब्ध रहेंगे।

जशपुर जंबूरी: संस्कृति और विकास का अनूठा संगम

मुख्यमंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने जशपुर को पर्यटन के नक्शे पर लाने के लिए जशपुर जंबूरी की पहल की। 2024 में हुए पहले जंबूरी में पड़ोसी राज्यों से भी लोग आए थे। इस आयोजन ने न केवल ईको-टूरिज्म और एडवेंचर स्पोर्ट्स को बढ़ावा दिया, बल्कि जनजातीय परंपराओं, स्थानीय व्यंजनों और नृत्यों को भी प्रदर्शित किया। इससे स्थानीय कारीगरों और गाइडों को रोजगार मिला।

आगामी जशपुर जंबूरी 2025

मुख्यमंत्री ने बताया कि अगला जशपुर जंबूरी 6 से 9 नवंबर तक आयोजित होगा। इसमें देश-दुनिया के लोग रोमांच, कला और सामुदायिक अनुभवों से परिचित होंगे। इस बार कर्मा, सरहुल जैसे जनजातीय नृत्यों के साथ-साथ गोंदना कला, काष्ठ शिल्प और लौह शिल्प जैसे हस्तशिल्प की भी प्रदर्शनी लगाई जाएगी। इससे हमारी सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण और प्रचार होगा, और स्थानीय कला को वैश्विक पहचान मिलेगी। जशपुर जंबूरी प्रकृति, संस्कृति और विकास को एक साथ लाने वाला एक अनूठा उत्सव है जो मनोरंजन के साथ-साथ आर्थिक सशक्तिकरण का भी साधन है।

पर्यटन को उद्योग का दर्जा

श्री साय ने कहा कि सरकार पर्यटन को एक उद्योग के रूप में देख रही है। स्वदेश दर्शन योजना के तहत मयाली नेचर कैंप में बोटिंग, कैक्टस गार्डन और टेंट जैसी सुविधाएं जोड़ी गई हैं। यहां के प्राकृतिक शिवलिंग मधेश्वर पहाड़ को गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी दर्ज किया गया है, जिससे जशपुर एक आध्यात्मिक और सांस्कृतिक केंद्र बन गया है।

राज्य में लागू की गई होम-स्टे नीति से पर्यटकों को जनजातीय संस्कृति और जीवनशैली को समझने का मौका मिलेगा। यह आदिवासी क्षेत्रों में विकास की एक नई अवधारणा है, जिससे स्थानीय लोगों को रोजगार के बेहतर अवसर मिलेंगे। जशपुर जंबूरी जैसे वार्षिक आयोजन से स्थानीय होम-स्टे मालिकों, गाइडों और शिल्पकारों को सीधा लाभ होगा।

पहली जंबूरी: एक सफल शुरुआत

2024 में आयोजित पहले जशपुर जंबूरी ने देशभर के प्रतिभागियों को आकर्षित किया। झारखंड, ओडिशा और छत्तीसगढ़ के कई जिलों से आए लोगों ने रानीदाह, टी-गार्डन और जशपुर संग्रहालय जैसे स्थलों का भ्रमण किया। फ़ूड लैब में स्थानीय व्यंजनों को आधुनिक रूप में पेश किया गया, और सरहुल व कर्मा नृत्यों ने जनजातीय परंपराओं की झलक दिखाई। चार दिवसीय इस आयोजन ने जशपुर को ईको-टूरिज्म और एडवेंचर स्पोर्ट्स का नया केंद्र बना दिया।

दूसरा जंबूरी: रोमांच और संस्कृति का नया आयाम

6 से 9 नवंबर 2025 तक होने वाले जशपुर जंबूरी में रॉक क्लाइंबिंग, रैपलिंग, जिपलाइन, ट्रेकिंग और वॉटर स्पोर्ट्स जैसी रोमांचक गतिविधियां होंगी। पैरामोटर और हॉट एयर बलून से मधेश्वर पहाड़ों के विहंगम दृश्य देखे जा सकेंगे। इसके अलावा, पारंपरिक लोकनृत्य, संगीत, हस्तशिल्प कार्यशालाएं और स्थानीय व्यंजनों का भी अनुभव मिलेगा। इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य प्रतिभागियों को प्रकृति, परंपरा और समुदाय से जोड़ना है। कार्यक्रम के अंत में डिप्टी कलेक्टर श्री समीर बड़ा ने सभी का आभार व्यक्त किया।

Show More

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button