जापान और यूरोप की एजेंसियां भी हमारे मिशनों को लेकर उत्साहित : शुभांशु शुक्ला

नई दिल्ली (एजेंसी)। राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस के अवसर पर, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने दिल्ली के भारत मंडपम में एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया। यह दूसरा राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस था, जिसमें इसरो अध्यक्ष वी. नारायणन, केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह, और भारतीय अंतरिक्ष यात्री ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला जैसे गणमान्य व्यक्ति शामिल थे।
एक अंतरिक्ष यात्री का दृष्टिकोण
भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ने देश की अंतरिक्ष महत्वाकांक्षाओं पर बात करते हुए कहा, “हमारे सामने कई बड़े लक्ष्य हैं — गगनयान मिशन, भारतीय
अंतरिक्ष स्टेशन, और चंद्रमा पर उतरना। इन लक्ष्यों को पूरा करने के लिए पूरे देश के संसाधनों का उपयोग करना होगा। भारत के इस उत्साह से केवल हम ही नहीं, बल्कि जापान और यूरोप जैसी अंतरिक्ष एजेंसियां भी प्रेरित हो रही हैं। यह हमारे देश के लिए अंतरिक्ष अन्वेषण का एक सुनहरा दौर है।”
इसरो अध्यक्ष की घोषणाएँ
इसरो के अध्यक्ष वी. नारायणन ने बताया कि 23 अगस्त 2023 को चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग के ऐतिहासिक दिन को ही राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस घोषित किया गया था। उन्होंने कई महत्वपूर्ण घोषणाएँ कीं:
2035 तक भारत का पहला अंतरिक्ष स्टेशन बनकर तैयार हो जाएगा, जिसका पहला मॉड्यूल 2028 तक लॉन्च होगा।
चंद्रयान-4 और वीनस ऑर्बिटर मिशन जल्द ही शुरू किए जाएंगे।
2040 तक भारत चंद्रमा पर मानव मिशन भेजेगा और सुरक्षित वापसी भी सुनिश्चित करेगा।
प्रधानमंत्री ने नेक्स्ट जनरेशन लॉन्चर (NGL) को मंजूरी दे दी है।
2040 तक भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम दुनिया की अग्रणी अंतरिक्ष एजेंसियों के समकक्ष खड़ा होगा।
उन्होंने यह भी बताया कि प्रधानमंत्री की दूरदर्शिता के कारण, भारतीय अंतरिक्ष यात्री को पहली बार अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर भेजा गया था, और शुभांशु शुक्ला ने यह मिशन सफलतापूर्वक पूरा किया।
राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस का महत्व
इसरो के अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र के निदेशक नीलेश एम. देसाई ने इस दिवस के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इसका मुख्य लक्ष्य लोगों को अंतरिक्ष के प्रति शिक्षित करना और युवाओं को अंतरिक्ष विज्ञान में रुचि लेने के लिए प्रेरित करना है। उन्होंने याद दिलाया कि 23 अगस्त 2023 को भारत ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक उतरकर इतिहास रच दिया था।
भविष्य की ओर
वैज्ञानिकों ने स्पष्ट किया कि आने वाले सालों में भारत न केवल चंद्रमा और शुक्र पर मिशन भेजेगा, बल्कि अपना खुद का अंतरिक्ष स्टेशन भी स्थापित करेगा। ये कदम वैश्विक अंतरिक्ष शक्ति के रूप में भारत की स्थिति को और भी मजबूत करेंगे।