ट्रंप का टैरिफ बम : मोदी सरकार लाएगी कोविड-स्टाइल राहत पैकेज

नई दिल्ली (एजेंसी)। अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत के उत्पादों पर 50% टैरिफ लगाने के निर्णय से भारतीय निर्यात क्षेत्र और इससे जुड़े लाखों कामगारों पर बुरा असर पड़ सकता है। इस भारी शुल्क के कारण भारतीय सामानों का निर्यात महंगा हो जाएगा, जिससे न केवल विदेशी बाज़ारों में हमारी प्रतिस्पर्धा कम होगी बल्कि रोज़गार पर भी ख़तरा मंडरा सकता है।
सरकार की संभावित रणनीति
इस संभावित संकट का सामना करने के लिए, भारत सरकार ने तैयारी शुरू कर दी है। सूत्रों के मुताबिक, केंद्र सरकार कोविड लॉकडाउन के दौरान लागू किए गए आर्थिक राहत उपायों की तरह ही एक नया राहत पैकेज लाने पर विचार कर रही है।
नकदी की समस्या का समाधान
सरकार की प्राथमिकता उद्योगों की नकदी की समस्या को दूर करना है। टैरिफ के कारण निर्यातकों को भुगतान में देरी, ऑर्डर रद्द होने और सप्लाई चेन में बाधा जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। इसे देखते हुए, सरकार ने कुछ उपायों पर विचार करना शुरू कर दिया है।
आपातकालीन क्रेडिट लाइन गारंटी योजना (ECLGS) का पुन: परिचय: अधिकारियों के अनुसार, सरकार इमरजेंसी क्रेडिट लाइन गारंटी स्कीम (ECLGS) को फिर से शुरू कर सकती है। इस योजना के तहत, उद्योगों को बिना किसी गारंटी के 100% गारंटी वाले ऋण दिए जाएंगे। कोविड-19 महामारी के समय इस योजना ने छोटे और मध्यम उद्योगों को दिवालिया होने से बचाया था।
टैक्स और जीएसटी में राहत: सूत्रों का कहना है कि सरकार टैक्स सुधारों पर भी ध्यान केंद्रित कर रही है। आगामी जीएसटी काउंसिल की बैठक में, जीएसटी दरों में कमी और जीएसटी रिफंड की प्रक्रिया को तेज़ करने जैसे महत्वपूर्ण निर्णय लिए जा सकते हैं।
नए बाज़ारों की खोज
अधिकारियों का मानना है कि इस चुनौती का भारतीय अर्थव्यवस्था पर सीमित प्रभाव पड़ेगा। इसका कारण यह है कि भारत की कुल $4.12 ट्रिलियन डॉलर की जीडीपी में निर्यात का योगदान केवल 10% (लगभग $438 मिलियन डॉलर) है। यही वजह है कि जून तिमाही में देश की आर्थिक वृद्धि दर 7.8% पर बनी रही।
अमेरिकी बाज़ार पर निर्भरता कम करने के लिए, सरकार नए वैश्विक बाज़ारों की खोज पर भी ज़ोर दे रही है। साथ ही, मौजूदा व्यापार समझौतों को और मज़बूत करने और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में भारत की भूमिका बढ़ाने की रणनीति भी तैयार की जा रही है। इन प्रयासों का उद्देश्य भारत के निर्यात क्षेत्र को अधिक लचीला और टिकाऊ बनाना है।