मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने ज़िलों में उर्वरक वितरण में अव्यवस्था पर जताई चिंता

भोपाल (एजेंसी)। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने राज्य में उर्वरक वितरण और बाढ़ राहत कार्यों की समीक्षा की। उन्होंने सभी जिला कलेक्टरों को निर्देश दिए कि वे किसानों को खाद की उपलब्धता सुनिश्चित करें और वितरण में किसी भी तरह की अव्यवस्था होने पर उन्हें जिम्मेदार ठहराया जाएगा। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि सरकार हर कदम पर किसानों के साथ खड़ी है।
उर्वरक वितरण की व्यवस्था
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से कहा कि वे किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ लगातार संवाद बनाए रखें और उन्हें उर्वरक वितरण प्रक्रिया में शामिल करें। उन्होंने जोर देकर कहा कि जिले में खाद के स्टॉक की जानकारी जनप्रतिनिधियों से भी साझा की जाए ताकि किसान वास्तविक स्थिति से अवगत हो सकें।
इसके अलावा, मुख्यमंत्री ने जिला प्रशासन को डबल लॉक, पैक्स और निजी विक्रय केंद्रों का आकस्मिक निरीक्षण करने का आदेश दिया। आवश्यकता पड़ने पर अतिरिक्त बिक्री केंद्र तुरंत शुरू किए जाएं। कृषि, सहकारी बैंक, और विपणन संघ के अधिकारियों को निरंतर संपर्क में रहने को कहा गया।
अवैध गतिविधियों पर कार्रवाई
बैठक में बताया गया कि उर्वरकों की कालाबाजारी, अवैध भंडारण और नकली खाद से जुड़े मामलों में सख्त कार्रवाई की गई है। कुल 53 एफआईआर दर्ज की गई हैं, 88 लाइसेंस रद्द किए गए हैं और 102 लाइसेंस निलंबित किए गए हैं। साथ ही, 406 विक्रय केंद्रों पर प्रतिबंध लगाया गया है।
वितरण में नवाचार और बेहतर तरीके
मुख्यमंत्री ने धार, दमोह, जबलपुर और रीवा के जिला कलेक्टरों से उनके द्वारा किए गए नवाचारों के बारे में बात की। दमोह कलेक्टर ने बताया कि वे किसान संगठनों के सहयोग से वितरण व्यवस्था को सुगम बना रहे हैं। टोकन वितरण और खाद वितरण को अलग-अलग किया गया है, जहां तहसील कार्यालयों से टोकन बांटे जा रहे हैं। जबलपुर कलेक्टर ने बताया कि वे फोन कॉल के जरिए टोकन की व्यवस्था कर रहे हैं और वितरण केंद्रों पर डिस्प्ले बोर्ड लगाकर टोकन नंबर और उपलब्ध खाद की मात्रा दिखा रहे हैं। मुख्यमंत्री ने अन्य जिलों को भी ऐसे नवाचार अपनाने की सलाह दी।
बाढ़ और अतिवृष्टि से राहत कार्य
डॉ. यादव ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में राहत कार्यों की समीक्षा करते हुए अधिकारियों को तुरंत कार्रवाई करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि जान-माल के नुकसान की स्थिति में 24 घंटे के भीतर राहत राशि उपलब्ध कराई जाए। पुलिस प्रशासन को भी सतर्क रहने और संभावित बाढ़ वाले क्षेत्रों में बैरिकेडिंग व चेतावनी के बोर्ड लगाने के लिए कहा गया है।
वर्षा की स्थिति और नुकसान का आकलन
बैठक में जानकारी दी गई कि 1 जून से 2 सितंबर तक प्रदेश में औसत से 21 प्रतिशत अधिक वर्षा हुई है। कुल 394 लोगों की जान गई है और 5 हजार से अधिक घर क्षतिग्रस्त हुए हैं। 1814 पशुओं की भी हानि हुई है। बाढ़ से प्रभावित 17,500 किसानों के लिए 20 करोड़ रुपये से अधिक की राहत राशि स्वीकृत की गई है।
















