छत्तीसगढ़

संतों के आशीर्वाद और जनसहयोग से छत्तीसगढ़ आगे बढ़ रहा है विकास और आस्था के मार्ग पर : मुख्यमंत्री साय

रायपुर। छत्तीसगढ़ की धरती को माता कौशल्या की जन्मस्थली और प्रभु श्रीराम का ननिहाल होने का परम सौभाग्य प्राप्त है। यह हम सभी के लिए गर्व का विषय है। मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि प्रभु श्रीराम ने अपने वनवास काल का एक बड़ा हिस्सा इसी पावन भूमि पर व्यतीत किया, जिससे यह भूमि भक्ति, त्याग और मर्यादा की दिव्य आभा से परिपूर्ण हो गई है।

संतों को श्रद्धांजलि और उनके योगदान का स्मरण

मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने बालोद जिले के डौंडीलोहारा विकासखंड के ग्राम बड़े जुंगेरा स्थित माँ कौशल्या धाम, जामड़ी पाटेश्वर आश्रम में आयोजित एक श्रद्धांजलि सभा को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने संत श्री रामकृष्णदास महात्यागी एवं संत श्री रामजानकीदास महात्यागी के समाधि स्थल पर पहुँचकर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की।

उन्होंने दोनों संत महापुरुषों के राष्ट्र, समाज और अध्यात्म के प्रति अमूल्य योगदान को याद करते हुए नमन किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि इन संतों के त्याग, तप और सेवा से छत्तीसगढ़ की यह भूमि आज भी प्रकाशमान है। उन्होंने संत रामकृष्णदास जी को तेजस्वी साधक और त्याग, सेवा व अध्यात्म का प्रतीक बताया, जिन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन लोककल्याण और मानवता की सेवा में समर्पित कर दिया। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि ऐसे संतों की प्रेरणा ही हमारे समाज की आत्मा है और यही राज्य के सांस्कृतिक गौरव की नींव भी है।

आस्था और संस्कृति का प्रतीक बनेगा दिव्य धाम

साय ने उल्लेख किया कि भगवान श्रीराम के ननिहाल में जो दिव्य धाम आकार ले रहा है, वह छत्तीसगढ़ की आस्था, संस्कृति और गौरव का प्रतीक सिद्ध होगा। उन्होंने संत बालक दास महात्यागी जी से भेंट कर इस निर्माण कार्य की प्रगति के संबंध में विस्तृत जानकारी ली।

इस अवसर पर कृषि मंत्री श्री रामविचार नेताम, वन मंत्री श्री केदार कश्यप, सांसद श्री भोजराज नाग, विधायक श्री पुरंदर मिश्रा समेत कई जनप्रतिनिधि और बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे।

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