आतंकवादियों से भीषण मुठभेड़ में 11 सैनिक शहीद

इस्लामाबाद (एजेंसी)। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के आतंकवादियों के साथ हुई एक भयंकर मुठभेड़ में पाकिस्तानी सेना के 11 जवान शहीद हो गए हैं। मरने वालों में एक लेफ्टिनेंट कर्नल और एक मेजर रैंक के अधिकारी भी शामिल हैं।
पाकिस्तानी सेना के अनुसार, बीती रात खैबर पख्तूनख्वा के ओरकजई जिले में टीटीपी के कुछ आतंकवादियों के छिपे होने की खुफिया जानकारी मिली थी। इस सूचना के आधार पर, सेना ने त्वरित कार्रवाई करते हुए पूरे इलाके को घेर लिया। घेराबंदी के दौरान सेना और आतंकियों के बीच गोलीबारी शुरू हो गई। इस मुठभेड़ में 11 पाकिस्तानी सैनिक वीरगति को प्राप्त हुए। सेना ने यह भी दावा किया है कि जवाबी कार्रवाई में 19 आतंकवादी मारे गए हैं।
शहीद होने वाले लेफ्टिनेंट कर्नल की पहचान जुनैद आरिफ के रूप में हुई है, और इस ऑपरेशन में उनके सेकेंड इन कमांड मेजर तैयब राहत ने भी अपनी जान गंवा दी। मुठभेड़ समाप्त होने के बाद, पाकिस्तानी सेना द्वारा इलाके की घेराबंदी करके सर्च ऑपरेशन चलाया जा रहा है।
पाकिस्तान में बढ़ती आतंकी हिंसा
पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान प्रांतों में आतंकी गतिविधियों और हिंसा में तेज़ी आई है। इन क्षेत्रों में आतंकी संगठन लगातार सेना, पुलिस और खुफिया एजेंसियों के कर्मचारियों को निशाना बना रहे हैं। टीटीपी और पाकिस्तान सरकार के बीच 2022 में संघर्ष विराम टूट जाने के बाद से टीटीपी के हमलों में बड़ी वृद्धि दर्ज की गई है।
पाकिस्तानी मीडिया में विभिन्न शोध अध्ययनों के हवाले से बताया गया है कि साल 2025 की पहली तीन तिमाहियों (नौ महीनों) में ही हिंसा की उतनी घटनाएँ हो चुकी हैं, जितनी पूरे 2024 साल में दर्ज की गई थीं।
2025: पाकिस्तान के लिए सबसे ख़ूनी साल?
सोमवार को इस्लामाबाद स्थित सेंटर फॉर रिसर्च एंड सिक्योरिटी स्टडीज (सीआरएसएस) द्वारा जारी एक नई रिपोर्ट में चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है। इस रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान में पिछले तीन महीनों में आतंकवादी हमलों और सैन्य ऑपरेशनों में कम से कम 901 लोग मारे गए और 599 लोग घायल हुए। यह पिछले तीन महीनों की तुलना में हिंसा में 46 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है।
साल 2025 में अब तक पूरे पाकिस्तान में 2414 मौतें दर्ज की जा चुकी हैं, जो कि पिछले साल (2024) हुई कुल मौतों (2546) के लगभग बराबर है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यही रुझान जारी रहा, तो 2025 साल के अंत तक यह दशक का सबसे खतरनाक और खूनी साल साबित हो सकता है।