उत्तराखंड की चारधाम यात्रा : आपदाओं के बावजूद भक्तों का उत्साह

नई दिल्ली (एजेंसी)। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हाल ही में जानकारी दी कि प्राकृतिक आपदाओं और चुनौतियों के बावजूद, इस वर्ष की चारधाम यात्रा का दूसरा चरण सफलतापूर्वक जारी है।
सीएम धामी ने बताया कि इस साल उत्तराखंड आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या 46 लाख से अधिक हो गई है। अकेले केदारनाथ धाम में दर्शन करने वाले भक्तों की संख्या 16 लाख तक पहुंच गई है। उन्होंने उल्लेख किया कि इस वर्ष कई प्राकृतिक विपत्तियां आईं, फिर भी यात्रा का दूसरा चरण सुचारू रूप से चल रहा है। मुख्यमंत्री ने विश्वास जताया कि यात्रा समाप्त होने तक बड़ी संख्या में भक्त दर्शन के लिए आएंगे। प्रशासन यह सुनिश्चित करने का प्रयास कर रहा है कि सभी की यात्रा सुरक्षित और सुखद हो।
यात्रा का शुभारंभ और मानसून की चुनौतियां
इस वर्ष चारधाम यात्रा की शुरुआत 30 अप्रैल को गंगोत्री और यमुनोत्री मंदिरों के कपाट खुलने के साथ हुई। केदारनाथ धाम के कपाट 2 मई को और बद्रीनाथ धाम के कपाट 4 मई को खुले। हालांकि, मानसून के मौसम में हुई भारी वर्षा, बादल फटने और भूस्खलन की घटनाओं ने तीर्थयात्रा को गंभीर रूप से बाधित किया।
खासकर, गंगोत्री धाम के मार्ग पर स्थित धराली क्षेत्र प्राकृतिक आपदाओं से बुरी तरह क्षतिग्रस्त हुआ। सड़कों के टूटने के कारण गंगोत्री और यमुनोत्री की यात्रा कुछ समय के लिए स्थगित करनी पड़ी थी। बारिश रुकने के बाद भी यात्रा को बहाल करना एक बड़ी चुनौती थी।
प्रशासन की तत्परता और सुरक्षा उपाय
इन चुनौतियों के बावजूद, प्रशासनिक टीमें सामान्य स्थिति लाने और यात्रा मार्गों को दोबारा खोलने के लिए युद्धस्तर पर काम कर रही हैं। अब, गंगोत्री और यमुनोत्री दोनों की तीर्थयात्राएं कड़े सुरक्षा उपायों के साथ फिर से शुरू कर दी गई हैं।
अधिकारी लगातार श्रद्धालुओं से सतर्क रहने का आग्रह कर रहे हैं। तीर्थयात्रियों को बार-बार यह सलाह दी जा रही है कि वे खराब मौसम में यात्रा करने से बचें और यदि वे मार्ग में हैं तो सुरक्षित स्थानों पर शरण लें।
मुख्यमंत्री के निर्देश और व्यवस्थाएं
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने चार धाम यात्रा से जुड़े सभी जिला अधिकारियों को तीर्थयात्रियों और स्थानीय निवासियों की सुरक्षा को प्राथमिकता देने का निर्देश दिया है। उन्होंने यह भी सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि मार्गों पर सभी आवश्यक सुविधाएँ और सुरक्षा व्यवस्थाएँ ठीक से बनाए रखी जाएं। किसी भी आपात स्थिति में तुरंत राहत और बचाव कार्य शुरू करने के लिए सभी अधिकारियों को हाई अलर्ट पर रखा गया है।