देश धर्मशाला नहीं, डिटेक्ट-डिलीट-डिपोर्ट का पालन करेंगे : अमित शाह

नई दिल्ली (एजेंसी)। केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को घुसपैठ और जनसांख्यिकीय बदलाव (डेमोग्राफी चेंज) को देश के लिए गंभीर खतरा बताते हुए कड़ा रुख अपनाया। उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत कोई धर्मशाला नहीं है।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के कार्यालय ने उनके इस बयान को आधिकारिक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर साझा किया। उन्होंने अपने वक्तव्य में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 15 अगस्त 2025 को लाल किले से की गई घोषणा का उल्लेख किया। शाह ने बताया कि एक उच्चाधिकार प्राप्त जनसांख्यिकीय मिशन (High-Powered Demographic Mission) का गठन किया जाएगा। इसका उद्देश्य अवैध प्रवासन, धार्मिक और सामाजिक जीवन पर उसके प्रभाव, असामान्य बसावट के पैटर्न और सीमा प्रबंधन पर पड़ने वाले असर का गहन अध्ययन करना होगा।
उन्होंने स्वीकार किया कि इस मिशन के गठन से विवाद उत्पन्न हो सकते हैं, लेकिन उन्होंने दृढ़ता से कहा कि विवाद से बचने और देश, लोकतंत्र, तथा संस्कृति को सुरक्षित रखने के बीच चुनाव करना पड़े तो भाजपा हमेशा राष्ट्र को चुनेगी।
घुसपैठियों के लिए ‘डिटेक्ट, डिलीट और डिपोर्ट’ की नीति
अमित शाह ने भाजपा की ‘डिटेक्ट, डिलीट और डिपोर्ट’ की तीन-सूत्रीय नीति का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार घुसपैठियों की पहचान करेगी (डिटेक्ट), उन्हें मतदाता सूची से हटाएगी (डिलीट), और अंततः देश से बाहर भेजेगी (डिपोर्ट)। उन्होंने यह भी बताया कि गुजरात और राजस्थान जैसे राज्यों में सीमाएँ होने के बावजूद घुसपैठ नहीं होती, क्योंकि वहाँ सख्ती बरती जाती है।
जनसांख्यिकीय बदलाव पर चिंता
जनसांख्यिकीय (डेमोग्राफिक) परिवर्तनों पर चिंता व्यक्त करते हुए, उन्होंने असम का उदाहरण दिया, जहाँ 2011 की जनगणना के अनुसार मुस्लिम आबादी की दशकीय वृद्धि दर 29.6 प्रतिशत थी। उन्होंने जोर देकर कहा कि घुसपैठ के बिना इतनी तीव्र वृद्धि संभव नहीं है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि पश्चिम बंगाल के कई जिलों में यह दर 40 प्रतिशत है, और सीमावर्ती क्षेत्रों में तो 70 प्रतिशत तक पहुँच गई है, जो घुसपैठ का स्पष्ट प्रमाण है।
शरणार्थी और घुसपैठिए में अंतर
अमित शाह ने कहा कि पाकिस्तान और बांग्लादेश के हिंदुओं के लिए भारत के दरवाज़े खुले हैं, और धार्मिक उत्पीड़न के शिकार इन लोगों का भारत की मिट्टी पर उतना ही अधिकार है जितना यहाँ के नागरिकों का। हालांकि, उन्होंने स्पष्ट किया कि जो लोग धार्मिक प्रताड़ना के बिना केवल आर्थिक या अन्य कारणों से आते हैं, वे घुसपैठिए हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि कोई भी व्यक्ति बिना रोकटोक देश में आता रहेगा, तो देश धर्मशाला बनकर रह जाएगा।
उन्होंने जनसांख्यिकीय आँकड़ों का हवाला देते हुए बताया कि 1951 में हिंदू आबादी 84 प्रतिशत और मुस्लिम आबादी 9.8 प्रतिशत थी। इसके बाद, 1971 में हिंदू 82 प्रतिशत और मुस्लिम 11 प्रतिशत, 1991 में हिंदू 81 प्रतिशत और मुस्लिम 12.21 प्रतिशत, तथा 2011 में हिंदू 79 प्रतिशत और मुस्लिम 14.2 प्रतिशत हो गए। उन्होंने आगे कहा कि वर्तमान में मुस्लिम आबादी 24.6 प्रतिशत तक पहुँच गई है, जिसका मुख्य कारण घुसपैठ है।
















