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खांसी की दवा के निर्यात पर WHO की चिंता, भारत ने दिया जवाब

न्यूयार्क (एजेंसी)। मध्य प्रदेश और राजस्थान में खांसी की दवा (कफ सिरप) पीने से हुई बच्चों की मौतों के बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने चिंता जताई है। WHO ने चेतावनी दी कि इन दवाओं को अनियंत्रित माध्यमों से दूसरे देशों में निर्यात किए जाने का जोखिम हो सकता है।

WHO द्वारा 1 अक्टूबर को भेजे गए पत्र का जवाब भारत के केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) ने दिया है।

CDSCO की पुष्टि: भारत ने पुष्टि की कि तीन सिरप दवाओं में घातक रसायन डाइएथिलीन ग्लाइकॉल (DEG) पाया गया है।

निर्यात की जानकारी: हालांकि, CDSCO ने साफ किया है कि इनमें से कोई भी उत्पाद भारत से निर्यात नहीं किया गया।

खतरनाक रसायन और दूषित उत्पाद

DEG और एथिलीन ग्लाइकॉल जहरीले पदार्थ हैं, जिनका उपयोग आमतौर पर औद्योगिक विलायक (सॉल्वेंट) और एंटीफ्रीज एजेंट के रूप में होता है। बच्चों के लिए इनकी छोटी मात्रा भी जानलेवा हो सकती है।

खतरनाक पाए गए उत्पादों की पहचान कोल्ड्रिफ, रेस्पिफ्रेश टीआर, और रीलाइफ के तौर पर हुई है।

निर्यात का जोखिम: WHO के प्रवक्ता ने कहा कि इस बात का कोई पुख्ता सबूत नहीं है कि इन उत्पादों को अनियंत्रित माध्यमों से निर्यात किया गया, लेकिन इस जोखिम को पूरी तरह से खारिज नहीं किया जा सकता।

निगरानी की सलाह: राष्ट्रीय नियामक प्राधिकरणों (NRAs) को अनियंत्रित बाज़ारों में लक्षित निगरानी (टारगेटेड मार्केट निगरानी) करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।

WHO की चिंता का मुख्य कारण

WHO के प्रवक्ता ने अपनी चिंता स्पष्ट करते हुए कहा, “वर्तमान में यह पुष्टि करने के लिए कोई विश्वसनीय प्रणाली नहीं है कि उत्पादों का अवैध या अनियंत्रित माध्यमों से निर्यात किया गया है, क्योंकि ऐसे निर्यात आमतौर पर कोई निशान नहीं छोड़ते।” उनका कहना था कि यही बात इस जोखिम को गंभीर बनाती है।

कर्नाटक में जांच

इस बीच, कर्नाटक के स्वास्थ्य मंत्री दिनेश गुंडु राव ने बताया कि राज्य ने सितंबर में अपनी रैंडम जांच शुरू की थी और लगभग 300-400 नमूने लिए थे।

परिणाम: उन्होंने कहा कि इनमें से कोई भी नमूना गैर-मानक गुणवत्ता (NSQ) का नहीं पाया गया।

प्रतिबंध: संदिग्ध सिरप को राज्य में प्रतिबंधित कर दिया गया है।

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