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प्रधानमंत्री मोदी ने जस्टिस सूर्यकांत को मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ लेने पर बधाई दी

नई दिल्ली (एजेंसी)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जस्टिस सूर्यकांत को देश के मुख्य न्यायाधीश के तौर पर शपथ ग्रहण करने के लिए शुभकामनाएं दीं। इस अवसर पर वे राष्ट्रपति भवन में आयोजित समारोह में उपस्थित थे। सोमवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने जस्टिस सूर्यकांत को भारत के 53वें मुख्य न्यायाधीश पद की शपथ दिलाई।

शपथ ग्रहण और कार्यकाल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने समारोह के बाद अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (पहले ट्विटर) पर लिखा, “जस्टिस सूर्यकांत के भारत के मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हुआ। मैं उनके आगामी कार्यकाल के लिए उन्हें शुभकामनाएं देता हूँ।”

यह उल्लेखनीय है कि नए मुख्य न्यायाधीश जस्टिस सूर्यकांत ने सोमवार को हिंदी भाषा में शपथ ली।

वह जस्टिस बीआर गवई का स्थान लेंगे।

53वें CJI जस्टिस सूर्यकांत का कार्यकाल लगभग 14 महीने का होगा, और वे 9 फरवरी, 2027 तक इस पद पर बने रहेंगे।

जस्टिस सूर्यकांत: एक परिचय

जस्टिस सूर्यकांत का जन्म 10 फरवरी, 1962 को हरियाणा के एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था।

शिक्षा: उन्होंने 1981 में हिसार के गवर्नमेंट पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज से स्नातक (ग्रेजुएशन) किया और 1984 में रोहतक की महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी से कानून की डिग्री प्राप्त की।

कानूनी करियर की शुरुआत: उन्होंने 1984 में हिसार में अपनी कानूनी प्रैक्टिस शुरू की। अगले ही साल, वे पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में प्रैक्टिस करने के लिए चंडीगढ़ चले गए।

इन वर्षों में, उन्होंने कई तरह के संवैधानिक, सेवा और सिविल मामलों को संभाला, और विभिन्न यूनिवर्सिटी, बोर्ड, कॉर्पोरेशन, बैंक और स्वयं हाईकोर्ट का भी प्रतिनिधित्व किया।

उन्हें 7 जुलाई, 2000 को हरियाणा का सबसे कम उम्र का एडवोकेट जनरल नियुक्त किया गया था और मार्च 2001 में उन्हें सीनियर एडवोकेट का दर्जा दिया गया।

उन्होंने 9 जनवरी, 2004 को पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत होने तक महाधिवक्ता (एडवोकेट जनरल) के रूप में कार्य किया।

वे लगातार दो कार्यकालों (2007-2011) के लिए राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य भी रहे।

महत्वपूर्ण पद और निर्णय

जस्टिस सूर्यकांत 5 अक्टूबर, 2018 से 24 मई, 2019 तक हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के पद पर कार्यरत रहे।

नवंबर 2024 से, वह सुप्रीम कोर्ट कानूनी सेवा समिति के अध्यक्ष भी रहे हैं।

उन्होंने अपने करियर में कई अहम फैसलों में अपनी भूमिका निभाई है, जिनमें अनुच्छेद 370 को हटाने, बिहार मतदाता सूची में बदलाव और पेगासस स्पाइवेयर से जुड़े मामले शामिल हैं।

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