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भारत-रूस संबंध : पुतिन की आसन्न यात्रा से नई दिशा की उम्मीद

नई दिल्ली (एजेंसी)। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा की तैयारी जोर-शोर से चल रही है। हालांकि, यात्रा की तारीखों का आधिकारिक ऐलान अभी नहीं हुआ है, मगर सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, वे 23वें वार्षिक शिखर सम्मेलन के लिए 5-6 दिसंबर को भारत आ सकते हैं। इस शिखर वार्ता के दौरान भारत और रूस के बीच रक्षा और श्रम से जुड़े तीन अहम समझौतों पर हस्ताक्षर होने की संभावना है।

पिछली यात्रा और वर्तमान संदर्भ

राष्ट्रपति पुतिन ने पिछली बार 2021 में दिसंबर में ही शिखर वार्ता के लिए भारत का दौरा किया था। इसके बाद, रूस-यूक्रेन संघर्ष के कारण वे भारत यात्रा पर नहीं आ सके, यहां तक कि जी-20 शिखर सम्मेलन में भी उन्होंने हिस्सा नहीं लिया। अपने दोनों कार्यकाल में पुतिन अब तक नौ बार भारत आ चुके हैं, जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सात बार रूस की यात्रा कर चुके हैं।

यह यात्रा ऐसे महत्वपूर्ण समय में हो रही है जब अमेरिका ने रूस से तेल खरीद के मामले में भारत पर टैरिफ और जुर्माना लगा रखा है। माना जा रहा है कि भारत, अमेरिका और रूस दोनों के साथ अपने संबंधों में संतुलन बनाए रखने की नीति पर चल रहा है। इस यात्रा को सफल बनाने के लिए भारत की ओर से भी पुरजोर प्रयास किए जा रहे हैं। संभावित समझौतों को लेकर विदेश मंत्री एस जयशंकर लगातार अपने रूसी समकक्षों के साथ बातचीत कर रहे हैं।

श्रम और रक्षा क्षेत्र में संभावित बड़े समझौते

शिखर सम्मेलन के दौरान जिन तीन प्रमुख समझौतों पर मुहर लगने की उम्मीद है, वे इस प्रकार हैं:

  1. कुशल भारतीय श्रमिकों की भर्ती

रूस पहले ही यह घोषणा कर चुका है कि वह अपने औद्योगिक क्षेत्र में 10 लाख भारतीय कुशल श्रमिकों की भर्ती करेगा। इसके लिए, लेबर मोबिलिटी करार का मसौदा लगभग तैयार है। इस करार में श्रमिकों की आवाजाही, सुरक्षा, आव्रजन (इमिग्रेशन) जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे शामिल होंगे।

  1. एस-400 वायु रक्षा प्रणाली की खरीद

भारत रूस से पाँच और एस-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली खरीदने का इच्छुक है। भारत पहले ही पाँच प्रणालियाँ खरीद चुका है, जिनमें से तीन उसे प्राप्त हो चुकी हैं, और दो की आपूर्ति अभी बाकी है। उल्लेखनीय है कि इस राडार प्रणाली ने ऑपरेशन सिंदूर में दुश्मन के हमलों को निष्क्रिय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

  1. लड़ाकू विमानों का सह-उत्पादन

तीसरा बड़ा करार पाँचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों के सह-उत्पादन से संबंधित है। भारत को अत्याधुनिक लड़ाकू विमानों की आवश्यकता है, और सुखोई-57 इस मानक पर खरा उतरता है। शिखर सम्मेलन में सुखोई-57 को भारत में सह-उत्पादन की शर्त पर खरीदने का निर्णय लिया जा सकता है। भारतीय वायुसेना को ऐसे लगभग 114 विमानों की तत्काल जरूरत है।

अन्य संभावित सहयोग के क्षेत्र

रक्षा और श्रम के अलावा, रूसी राष्ट्रपति की इस यात्रा में ऊर्जा, जलवायु परिवर्तन, नवीन ऊर्जा (रिन्यूएबल एनर्जी), आपदा प्रबंधन, शिक्षा आदि क्षेत्रों में भी कई समझौतों पर हस्ताक्षर होने की संभावना है। इसके साथ ही, कुछ मौजूदा करारों का नवीनीकरण भी हो सकता है।

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