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ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद दुनिया में ब्रह्मोस की मांग बढ़ी, इंडोनेशिया डील के करीब

नई दिल्ली (एजेंसी)। हाल ही में पाकिस्तान में हुए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान, भारत की स्वदेशी ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ने जिस अचूक सटीकता के साथ सैन्य और आतंकी ठिकानों को ध्वस्त किया, उसके बाद वैश्विक स्तर पर इस मिसाइल की माँग में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है।

दुनिया का सबसे बड़ा मुस्लिम देश, इंडोनेशिया, अब भारत से ब्रह्मोस मिसाइल सिस्टम खरीदने के लिए सौदे को लगभग अंतिम चरण में ले आया है। बुधवार को दो दिवसीय भारत यात्रा पर आए इंडोनेशिया के रक्षा मंत्री सजफ्री सजमसोएद्दीन के आगमन से इस समझौते की संभावना को और बल मिला है। वह भारत-इंडोनेशिया रक्षा मंत्रियों की तीसरी संयुक्त बैठक में भाग ले रहे हैं।

भारत-रूस-इंडोनेशिया साझेदारी

एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, भारत और इंडोनेशिया के बीच ब्रह्मोस को लेकर बातचीत बहुत आगे बढ़ चुकी है। रूस, जिसने भारत के साथ मिलकर इस मिसाइल प्रणाली को विकसित किया है, उसने भी इंडोनेशिया को ब्रह्मोस बेचने पर अपनी सहमति दे दी है। बताया जा रहा है कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की सफलता को देखते हुए कई अन्य देश भी इस भारतीय मिसाइल प्रणाली को हासिल करने में गहरी दिलचस्पी दिखा रहे हैं।

ब्रह्मोस मिसाइल की तकनीक और विशेषताएँ

ब्रह्मोस मिसाइल सिस्टम भारत और रूस के संयुक्त सहयोग से विकसित किया गया है।

पहला परीक्षण: इसका पहला परीक्षण 12 जून 2001 को किया गया था।

गति: यह मिसाइल ध्वनि की गति से लगभग तीन गुना तेज, यानी मैक 3 की रफ्तार से उड़ान भर सकती है।

मारक क्षमता:

इसकी शुरुआती मारक क्षमता 290 किमी थी।

वर्तमान में, इसके उन्नत संस्करण 500 से 800 किमी तक के लक्ष्य को भेदने की क्षमता रखते हैं।

विशेष युद्ध कौशल: यह मिसाइल दुश्मन के रडार की पकड़ से बचने के लिए बेहद कम ऊँचाई पर उड़ान भरने में सक्षम है। एक बार प्रक्षेपित होने के बाद, यह खुद ही लक्ष्य की पहचान कर उस पर हमला करने की क्षमता रखती है।

लागत और भारतीय सेना में वर्तमान स्थिति

परियोजना की लागत: ब्रह्मोस परियोजना की शुरुआती लागत लगभग 2,135 करोड़ रुपये थी। इसमें भारत की हिस्सेदारी 50.5% और रूस की 49.5% है।

मिसाइल की कीमत: रिपोर्ट्स के अनुसार, एक ब्रह्मोस मिसाइल की अनुमानित लागत लगभग 34 करोड़ रुपये है, जो पाकिस्तानी मुद्रा में 1.12 अरब रुपये से अधिक होती है।

भारतीय सेना के संस्करण: भारतीय सेना वर्तमान में दो मुख्य संस्करणों का उपयोग करती है:

ब्रह्मोस ब्लॉक-1

एयर-लॉन्च्ड ब्रह्मोस (हवा से लॉन्च होने वाला संस्करण)

भविष्य के लिए तीन और उन्नत संस्करणों पर काम चल रहा है:

एक्सटेंडेड वर्जन: 1500 किमी की बढ़ी हुई रेंज के साथ।

हाइपरसोनिक मॉडल: मैक 8 की अत्यधिक गति वाला मॉडल।

नेक्स्ट-जेन वर्जन (Next-Gen Version): यह हल्का होगा और इसे किसी भी प्लेटफॉर्म (जमीन, समुद्र, हवा) से लॉन्च किया जा सकेगा।

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