संसद सत्र : मोदी ने दिया कड़ा संदेश, ‘सिर्फ डिलीवरी हो, ड्रामा नहीं’

नई दिल्ली (एजेंसी)। संसद का शीतकालीन सत्र आज, 1 दिसंबर से शुरू हो रहा है। सत्र से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सदन के बाहर मीडिया से बातचीत की और विपक्ष को एक कड़ा संदेश दिया।
🇮🇳 देश की प्रगति में ऊर्जा भरेगा यह सत्र
पीएम मोदी ने कहा कि यह शीतकालीन सत्र केवल एक परंपरा नहीं है। मेरा विश्वास है कि यह सत्र देश को प्रगति की ओर तेजी से ले जाने के प्रयासों में ऊर्जा भरने का काम करेगा। भारत ने हमेशा लोकतंत्र को जिया है, और समय-समय पर इसके उत्साह को ऐसे प्रकट किया है कि लोकतंत्र में लोगों का विश्वास और मजबूत होता है।
नए सांसदों को मौका नहीं मिलने पर चिंता
प्रधानमंत्री ने अपनी सबसे बड़ी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि जो सांसद पहली बार चुनकर आए हैं या जो युवा हैं, वे सभी दलों के सदस्य बहुत परेशान और दुखी हैं। उन्हें सदन में अपनी क्षमता दिखाने का, अपने क्षेत्र की समस्या बताने का और राष्ट्र की विकास यात्रा में अपने विचारों को रखने का अवसर नहीं मिल रहा है, और इस पर रोक लगा दी जाती है।
उन्होंने सभी दलों से आग्रह किया कि हमें अपनी नई पीढ़ी के सांसदों को अवसर देना चाहिए। उनके अनुभवों का लाभ सदन को मिलना चाहिए। मेरा आग्रह है कि हम इन बातों को गंभीरता से लें।
सदन में ‘डिलीवरी’ चाहिए, ‘ड्रामा’ नहीं
विपक्षी दलों को संदेश देते हुए पीएम मोदी ने सख्त लहजे में कहा कि ड्रामा करने के लिए कई जगहें हैं, जिसको करना है वो करता रहे, लेकिन यहां ड्रामा नहीं, डिलीवरी होनी चाहिए, पूरा काम होना चाहिए।
उन्होंने जोर देकर कहा कि नारों के लिए पूरा देश पड़ा है। जितने नारे लगाने हों, लगाइए। लेकिन यहां सदन में नारों पर नहीं, नीति पर बल देना चाहिए। यही आपकी नीयत होनी चाहिए।
नकारात्मकता से नहीं, सकारात्मकता से हो राष्ट्र निर्माण
पीएम मोदी ने यह भी कहा कि राजनीति में भले ही नकारात्मकता कुछ हद तक काम आती हो, लेकिन राष्ट्र निर्माण के लिए सकारात्मक सोच का होना अनिवार्य है। उन्होंने उम्मीद जताई कि विपक्ष अपनी नकारात्मकता को मर्यादा में रखकर देश निर्माण पर ध्यान देगा।
जीसटी सुधारों और सदन के दुरुपयोग पर बोले पीएम
पीएम मोदी ने नए सभापति को उच्च सदन के मार्गदर्शन के लिए शुभकामनाएँ दीं। उन्होंने कहा कि जीएसटी सुधार (नेक्स्ट जेन रिफॉर्म्स) ने देशवासियों के प्रति श्रद्धा का माहौल बनाया है, और इस दिशा में कई काम होने वाले हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि कुछ समय से सदन का उपयोग या तो चुनावों की वॉर्मिंग अप के लिए किया जा रहा है, या फिर पराजय की बौखलाहट निकालने के लिए। कुछ दलों ने सदन को अपने राज्य की राजनीति के लिए इस्तेमाल करने की नई परंपरा शुरू कर दी है, जहाँ वे वर्षों तक सत्ता में रहने के बावजूद लोगों के बीच अपनी बात नहीं रख पा रहे हैं और इसलिए अपना गुस्सा यहाँ निकालते हैं।
प्रधानमंत्री ने उन्हें चिंतन करने की सलाह दी कि वे 10 साल से यह तरीका अपना रहे हैं, लेकिन देश उन्हें स्वीकार नहीं कर रहा है, इसलिए उन्हें अपनी रणनीति बदलनी चाहिए।
सांसदों के हक पर रोक न लगाएं
अंत में पीएम मोदी ने कहा कि मैं विपक्ष को टिप्स देने के लिए तैयार हूँ कि उन्हें कैसा प्रदर्शन करना चाहिए। लेकिन कम से कम सांसदों के हक पर रोक मत लगाइए। सांसदों को अभिव्यक्ति का अवसर दीजिए। अपनी निराशा और पराजय में सांसदों की बलि मत चढ़ाइए।
















