भव्य राम मंदिर का निर्माण पूर्ण, अब राष्ट्रीय मंदिर बनाने का लक्ष्य : मोहन भागवत

नई दिल्ली (एजेंसी)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने हाल ही में पुणे में आयोजित एक कार्यक्रम में यह विचार व्यक्त किया कि सर्व-कल्याण का प्रतीक भव्य राम मंदिर अब बनकर तैयार हो चुका है। उन्होंने कहा कि उनका अगला महत्वपूर्ण कदम एक शानदार, शक्तिशाली और सुंदर राष्ट्रीय मंदिर का निर्माण करना होना चाहिए।
यह संबोधन आरएसएस के शताब्दी वर्ष समारोह के अंतर्गत कोथरूड के यशवंतराव चव्हाण नाट्यगृह में आदित्य प्रतिष्ठान द्वारा आयोजित एक आभार समारोह के दौरान हुआ।
एकजुट समाज ही देश को खुशहाल बना सकता है
डॉ. भागवत ने इस बात पर जोर दिया कि संघ में कार्य करने वाले लोगों में अहंकार या किसी ज़िम्मेदारी का भाव नहीं होता, क्योंकि संघ का कार्य समाज के लिए निस्वार्थ सेवा पर आधारित है।
उन्होंने स्पष्ट किया कि संघ पूरे समाज के संगठन की इच्छा रखता है।
उनके अनुसार, केवल एक एकजुट समाज ही देश को खुशहाल बना सकता है।
एक मज़बूत देश ही विश्व में शांति लाने में सहायक हो सकता है।
उन्होंने यह भी कहा कि संघ का यह दावा नहीं है कि सिर्फ़ वही देश का भला करेगा; यदि समाज मज़बूत होगा तो देश अपने आप ऊपर उठेगा।
उन्होंने संघ के विस्तार का श्रेय समाज के सहयोग को दिया जो उसने मुश्किल समय में दिया।
भारत की सनातन संस्कृति और लोकतंत्र
इस कार्यक्रम में जगद्गुरु शंकराचार्य विजयेंद्र सरस्वती स्वामी और आदित्य प्रतिष्ठान के अध्यक्ष शंकर अभ्यंकर व अपर्णा अभ्यंकर भी उपस्थित रहे।
शंकर अभ्यंकर ने अपने संबोधन में कहा कि दुनिया के कई सामाजिक मानदंड बाहरी हमलों के कारण नष्ट हो गए, लेकिन भारत की हिंदू संस्कृति, जो पूरी दुनिया को एक परिवार (वसुधैव कुटुंबकम्) मानती है, बची रही। उन्होंने ब्रिटिश राज को भी भारत की पहचान तोड़ने का एक हमला बताया।
जगद्गुरु शंकराचार्य विजयेंद्र सरस्वती स्वामी ने सनातन संस्कृति के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि यह इंसानियत को दुनिया की भलाई की ओर ले जाती है।
उन्होंने बताया कि भारत में विभिन्न भाषाओं, परंपराओं और क्षेत्रों के बावजूद लोकतंत्र सफल रहा है, क्योंकि लोकतांत्रिक मूल्य सनातन धर्म में ही निहित हैं।
शंकराचार्य ने यह भी कहा कि आज के समय में अच्छे लोगों को मज़बूत करके लोकतंत्र को सशक्त करना होगा।
अन्य महत्वपूर्ण कार्यक्रम
समारोह के दौरान कुछ अन्य महत्वपूर्ण गतिविधियाँ भी संपन्न हुईं:
वैश्विक संत भारती महाविष्णु मंदिर का शिलान्यास किया गया।
विश्वकोष खंड भारतीय उपासना के तीसरे संस्करण का विमोचन किया गया।
जितेंद्र अभ्यंकर के ऑडियो एल्बम ‘पंढरिश’ को भी लॉन्च किया गया।
















