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चुनावी चंदे में BJP को सबसे बड़ा हिस्सा : टाटा ग्रुप के ट्रस्टों से मिले 757.6 करोड़, कांग्रेस को मात्र 77 करोड़

नई दिल्ली (एजेंसी)। चुनावी बॉन्ड योजना रद्द होने के बावजूद, वित्त वर्ष 2024-25 में भारतीय जनता पार्टी (BJP) राजनीतिक चंदे की सबसे बड़ी लाभार्थी बनी हुई है। भारत निर्वाचन आयोग की वेबसाइट पर अपलोड की गई विभिन्न इलेक्टोरल ट्रस्टों की योगदान रिपोर्टों से यह जानकारी सामने आई है।

टाटा समूह द्वारा नियंत्रित प्रोग्रेसिव इलेक्टोरल ट्रस्ट ने इस वित्तीय वर्ष में कुल $915$ करोड़ रुपये का चंदा दिया है, जिसमें से लगभग $83\%$ यानी $757.6$ करोड़ रुपये अकेले BJP को दान किए गए हैं। इसकी तुलना में, मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस को इस ट्रस्ट से मात्र $8.4\%$ यानी $77.3$ करोड़ रुपये प्राप्त हुए।

प्रमुख राजनीतिक दलों को चंदा

PET ने अन्य प्रमुख दलों को भी $10-10$ करोड़ रुपये का दान दिया है, जिनमें तृणमूल कांग्रेस (TMC), वाईएसआर कांग्रेस, शिवसेना (उद्धव गुट), बीजू जनता दल (BJD), भारत राष्ट्र समिति (BRS), जद(यू), डीएमके और लोजपा (रामविलास) शामिल हैं।

रिपोर्ट्स बताती हैं कि चुनावी बॉन्ड को असंवैधानिक घोषित कर योजना समाप्त किए जाने के बावजूद, भारतीय जनता पार्टी की फंडिंग पर विशेष असर नहीं पड़ा है। विभिन्न ट्रस्टों के माध्यम से BJP को लगभग $959$ करोड़ रुपये का राजनीतिक चंदा मिला है। इसमें सबसे बड़ा योगदान टाटा ग्रुप के नियंत्रण वाले प्रोग्रेसिव इलेक्टोरल ट्रस्ट का ही रहा।

अन्य ट्रस्टों से BJP को प्राप्त चंदा

प्रोग्रेसिव इलेक्टोरल ट्रस्ट के अलावा, BJP को अन्य प्रमुख ट्रस्टों से भी महत्वपूर्ण योगदान मिला है:

  • न्यू डेमोक्रेटिक इलेक्टोरल ट्रस्ट (महिंद्रा ग्रुप समर्थित): $150$ करोड़ रुपये
  • हार्मोनी इलेक्टोरल ट्रस्ट: $30.1$ करोड़ रुपये
  • ट्रायम्फ इलेक्टोरल ट्रस्ट: $21$ करोड़ रुपये
  • जन कल्याण इलेक्टोरल ट्रस्ट: $9.5$ लाख रुपये
  • आइंजिगार्टिग इलेक्टोरल ट्रस्ट: $7.75$ लाख रुपये

उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, BJP को अब तक इन ट्रस्टों से कुल लगभग $959$ करोड़ रुपये मिले हैं। हालांकि, देश के सबसे बड़े प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट (Prudent Electoral Trust) की 2024-25 की रिपोर्ट अभी चुनाव आयोग की वेबसाइट पर अपलोड नहीं हुई है। यह ट्रस्ट पहले भी सबसे बड़ा चंदा देने वाला रहा है और BJP इसका सबसे बड़ा लाभार्थी। पिछले रिकॉर्ड के मुताबिक, प्रूडेंट ने 2023-24 में BJP को $724$ करोड़ रुपये दिए थे। इसलिए, वास्तविक कुल आंकड़ा $959$ करोड़ रुपये से काफी अधिक हो सकता है।

कांग्रेस की आय और चंदा

2024-25 में कांग्रेस को ट्रस्टों से कुल $313$ करोड़ रुपये से अधिक का चंदा मिला, जिसमें मुख्य योगदान निम्नलिखित हैं:

  • प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट से: $216.33$ करोड़ रुपये
  • प्रोग्रेसिव इलेक्टोरल ट्रस्ट से: $77.3$ करोड़ रुपये
  • न्यू डेमोक्रेटिक इलेक्टोरल ट्रस्ट से: $5$ करोड़ रुपये

कुल मिलाकर, 2024-25 में कांग्रेस की कुल आय $517$ करोड़ रुपये रही, जिसमें $60\%$ से अधिक चंदा ‘ट्रस्ट रूट’ के माध्यम से आया। यह आंकड़ा 2023-24 के चुनावी बॉन्ड से मिली $828$ करोड़ रुपये की आय से काफी कम है, लेकिन गैर-चुनाव वर्ष 2022-23 के $171$ करोड़ रुपये से अधिक है।

अन्य दलों की स्थिति

  • तृणमूल कांग्रेस (TMC): ट्रस्टों से $153.5$ करोड़ रुपये (कुल $184.5$ करोड़)। यह 2023-24 के चुनावी बॉन्ड से प्राप्त $612$ करोड़ रुपये से बहुत कम है।
  • बीजू जनता दल (BJD): ट्रस्टों से $35$ करोड़ रुपये (कुल $60$ करोड़)। 2023-24 में इसे बॉन्ड्स से $245.5$ करोड़ रुपये मिले थे।
  • भारत राष्ट्र समिति (BRS): ट्रस्टों से सिर्फ $15$ करोड़ रुपये मिले। 2023-24 में इसे बॉन्ड्स और ट्रस्टों से मिलाकर $580$ करोड़ रुपये प्राप्त हुए थे।

PET में टाटा समूह की कंपनियों का योगदान

प्रोग्रेसिव इलेक्टोरल ट्रस्ट (PET) को मिले कुल $915$ करोड़ रुपये में टाटा ग्रुप की विभिन्न कंपनियों का महत्वपूर्ण योगदान रहा:

  • टाटा सन्स: $308$ करोड़ रुपये
  • टीसीएस (TCS): $217.6$ करोड़ रुपये
  • टाटा स्टील: $173$ करोड़ रुपये
  • टाटा मोटर्स: $49.4$ करोड़ रुपये
  • टाटा पावर: $39.5$ करोड़ रुपये
  • अन्य टाटा कंपनियां: शेष राशि

विशेषज्ञों का मानना है कि चुनावी बॉन्ड के बंद होने के बाद अब कॉर्पोरेट जगत एक बार फिर इलेक्टोरल ट्रस्ट के पुराने रास्ते पर लौट आया है। यह तरीका पारदर्शिता के मामले में पहले से भी कमज़ोर है, क्योंकि ट्रस्टों को केवल प्राप्तकर्ता राजनीतिक दलों के नाम सार्वजनिक करने होते हैं, न कि दानदाता कंपनियों के नाम। प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट की रिपोर्ट आने के बाद ही 2024-25 के कुल चुनावी चंदे की पूरी तस्वीर स्पष्ट हो पाएगी, लेकिन मौजूदा आंकड़े यही दर्शाते हैं कि बॉन्ड खत्म होने का सत्ताधारी दल की फंडिंग पर कोई खास नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ा है।

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