इसरो की नई ऊंचाई : ‘बाहुबली’ रॉकेट ने सबसे भारी विदेशी सैटेलाइट को कक्षा में पहुँचाया

श्रीहरिकोटा (एजेंसी)। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने साल 2025 का समापन एक शानदार उपलब्धि के साथ किया है। श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से इसरो के सबसे शक्तिशाली रॉकेट LVM3 (जिसे ‘बाहुबली’ भी कहा जाता है) ने अमेरिकी कंपनी एएसटी स्पेसमोबाइल के ब्लूबर्ड ब्लॉक-2 उपग्रह को सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में स्थापित कर दिया है।
मिशन की मुख्य विशेषताएं
यह मिशन इसरो की वाणिज्यिक शाखा ‘न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड’ (NSIL) के माध्यम से संपन्न हुआ। मिशन से जुड़ी कुछ खास बातें इस प्रकार हैं:
रिकॉर्ड वजन: 6,100 किलोग्राम वजनी यह उपग्रह भारत की धरती से लॉन्च किया गया अब तक का सबसे भारी कमर्शियल सैटेलाइट है।
सटीक लॉन्च: सुबह 8:55 बजे उड़ान भरने के मात्र 16 मिनट बाद रॉकेट ने उपग्रह को पृथ्वी से 520 किलोमीटर ऊपर उसकी निर्धारित कक्षा में पहुंचा दिया।
सफलता का क्रम: यह LVM3 रॉकेट की छठी और पूरी तरह से व्यावसायिक आधार पर तीसरी सफल उड़ान है।
संचार क्रांति का नया अध्याय
ब्लूबर्ड ब्लॉक-2 उपग्रह सामान्य टेलीकॉम सेवाओं के भविष्य को बदलने वाला माना जा रहा है। इसके प्रमुख लाभ निम्नलिखित होंगे:
डायरेक्ट-टू-स्मार्टफोन: इसके जरिए सामान्य 4G और 5G स्मार्टफोन सीधे उपग्रह से जुड़ सकेंगे, जिससे मोबाइल टावरों की निर्भरता कम होगी।
दुर्गम क्षेत्रों में नेटवर्क: घने जंगलों, ऊंचे पहाड़ों और दूर-दराज के ग्रामीण इलाकों में भी हाई-स्पीड इंटरनेट और कॉलिंग की सुविधा मिल सकेगी।
आपातकालीन सेवाएं: आपदा प्रबंधन, स्वास्थ्य सेवाओं और पुलिस प्रशासन को रियल-टाइम कनेक्टिविटी मिलेगी, जिससे राहत कार्यों में तेजी आएगी।
वैश्विक बाजार में बढ़ता भारत का दबदबा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस सफलता पर वैज्ञानिकों की सराहना करते हुए कहा कि भारत के युवाओं की प्रतिभा देश को अंतरिक्ष के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बना रही है। LVM3 रॉकेट की लगातार सफलता न केवल भारत की व्यावसायिक साख बढ़ा रही है, बल्कि यह आगामी गगनयान मिशन (मानव अंतरिक्ष मिशन) के लिए भी एक मजबूत भरोसा पैदा करती है।
चंद्रयान-2 और चंद्रयान-3 की सफलता के बाद, इसरो अब अंतरराष्ट्रीय उपग्रह प्रक्षेपण बाजार में एक विश्वसनीय और किफायती विकल्प के रूप में उभरा है।
















