भारतीय नौसेना की शक्ति को करीब से देखेंगी राष्ट्रपति : कलवरी क्लास सबमरीन में करेंगी समुद्र का सफर

नई दिल्ली (एजेंसी)। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू रविवार, 28 दिसंबर को भारतीय नौसेना की सामरिक शक्ति का जायजा लेने के लिए कारवार का दौरा करेंगी। इस दौरान वे ‘कलवरी’ श्रेणी की पनडुब्बी (सबमरीन) में सवार होकर समुद्र के भीतर भारतीय रक्षा तैयारियों का अनुभव लेंगी।
राष्ट्रपति मुर्मू लगातार सैन्य बलों का उत्साहवर्धन कर रही हैं। इससे पहले वे स्वदेशी विमान वाहक पोत (IAC) और वायुसेना के अत्याधुनिक रफाल लड़ाकू विमान में भी उड़ान भर चुकी हैं।
क्यों खास है कलवरी क्लास सबमरीन?
कलवरी श्रेणी की पनडुब्बियां भारतीय नौसेना के उन गुप्त हथियारों में से हैं जो दुश्मन की नजरों में आए बिना बड़े मिशन को अंजाम दे सकती हैं। इसकी कुछ प्रमुख विशेषताएं नीचे दी गई हैं:
अदृश्य मारक क्षमता: इसमें उन्नत ‘एकॉस्टिक साइलेंसिंग’ तकनीक का प्रयोग किया गया है, जिससे यह पानी के नीचे बिना किसी शोर के चलती है। यह तकनीक इसे दुश्मन के सोनार और रडार से बचाए रखती है।
घातक हथियार प्रणाली: यह पनडुब्बी 533 मिमी की 6 टॉरपीडो ट्यूब्स से लैस है। यह 18 टॉरपीडो या ‘एक्सोसेट’ एंटी-शिप मिसाइलें दागने में सक्षम है। साथ ही, यह समुद्र में 30 बारूदी सुरंगें भी बिछा सकती है।
गहराई और क्षमता: यह लगभग 350 फीट की गहराई तक जाकर 50 दिनों तक पानी के भीतर सक्रिय रह सकती है। इसमें 8 अधिकारियों सहित कुल 43 नौसैनिकों का दल तैनात होता है।
सटीक निगरानी: इसमें सर्च पेरिस्कोप के साथ लेजर रेंज फाइंडर और लो-लाइट कैमरे लगे हैं, जो रात के अंधेरे या खराब मौसम में भी सटीक लक्ष्य भेदने में मदद करते हैं।
स्वदेशी तकनीक का बेजोड़ नमूना
कलवरी श्रेणी की पनडुब्बियों का निर्माण ‘मेक इन इंडिया’ की सफलता को दर्शाता है। इनका निर्माण मुंबई स्थित मझगांव डॉक्स लिमिटेड (MDL) द्वारा फ्रांसीसी कंपनी DCNS के सहयोग से किया गया है। INS कलवरी के अलावा खंडेरी, करंज, वेला और वागीर जैसी पनडुब्बियां भी इसी बेड़े का हिस्सा हैं।
















