यूक्रेन संकट : ट्रंप-जेलेंस्की वार्ता से ठीक पहले रूस का कीव पर भीषण प्रहार, कई इलाके अंधेरे में डूबे

कीव (एजेंसी)। रूस और यूक्रेन के बीच चल रहा युद्ध अपने चौथे वर्ष में प्रवेश करने के बावजूद थमता नजर नहीं आ रहा है। शांति प्रयासों के बीच एक बार फिर रूसी सेना ने यूक्रेन की राजधानी कीव को निशाना बनाते हुए भीषण मिसाइल और ड्रोन हमले किए हैं। 27 दिसंबर की रात को हुए इन हमलों ने न केवल कीव को दहला दिया, बल्कि आसपास के क्षेत्रों की बिजली व्यवस्था को भी ठप कर दिया है।
शांति वार्ता की आहट और युद्ध का भीषण रूप
हैरानी की बात यह है कि रूस की यह आक्रामकता उस समय बढ़ी है, जब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर युद्ध विराम की कोशिशें तेज हो रही हैं। रविवार को फ्लोरिडा में अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की के बीच एक महत्वपूर्ण बैठक प्रस्तावित है।
जेलेंस्की ने हाल ही में संकेत दिए थे कि शांति के लिए 20 सूत्रीय योजना पर 90% काम पूरा हो चुका है। हालांकि, ट्रंप का स्पष्ट रुख है कि कोई भी समझौता उनकी सहमति के बिना आगे नहीं बढ़ेगा। ऐसे में इस बैठक से ठीक पहले हुए रूसी हमले शांति की राह में एक बड़ी चुनौती माने जा रहे हैं।
हमले का स्वरूप और तबाही का मंजर
स्थानीय मीडिया और सैन्य रिपोर्टों के अनुसार, रूस ने इस हमले में अपनी सबसे घातक तकनीकों का इस्तेमाल किया:
हाइपरसोनिक और बैलिस्टिक मिसाइलें: कीव पर किंझल हाइपरसोनिक, इस्कैंडर बैलिस्टिक और कालिब्र क्रूज मिसाइलों से हमला किया गया।
ड्रोन अटैक: मिसाइलों के साथ-साथ बड़ी संख्या में आत्मघाती ड्रोनों ने शहर को घेरा।
बिजली संकट: कीव से करीब 20 किमी दूर स्थित ब्रावरी शहर में रूसी हमलों के कारण ग्रिड फेल हो गया, जिससे पूरा इलाका अंधेरे में डूब गया।
कीव के मेयर विटाली क्लिचको ने नागरिकों से सुरक्षित स्थानों (शेल्टरों) में रहने की अपील की है, जबकि वायु सेना लगातार हवाई हमलों की चेतावनी जारी कर रही है।
रूस का पक्ष: जवाबी कार्रवाई का दावा
दूसरी ओर, रूस ने इन हमलों को अपनी रणनीति का हिस्सा बताया है। रूसी रक्षा मंत्रालय के अनुसार:
ये हमले यूक्रेन द्वारा रूसी नागरिक क्षेत्रों पर किए गए हमलों का जवाब हैं।
रूसी सेना ने हाल ही में जारोरिज्जिया क्षेत्र के कोसोव्त्सेवो कस्बे पर नियंत्रण पा लिया है।
उनका मुख्य उद्देश्य यूक्रेन के ऊर्जा बुनियादी ढांचे, सैन्य हवाई अड्डों और रक्षा उद्योग को पंगु बनाना है।
निष्कर्ष: एक तरफ जहां दुनिया की नजरें ट्रंप और जेलेंस्की की मुलाकात पर टिकी हैं कि क्या इस युद्ध का अंत होगा, वहीं रूस की बढ़ती सैन्य कार्रवाई ने भविष्य की चुनौतियों को और अधिक गंभीर बना दिया है।
















