
हिन्दू पंचांग
दिनांक – 06 जुलाई 2023
दिन – गुरुवार
विक्रम संवत् – 2080
शक संवत् – 1945
अयन – दक्षिणायन
ऋतु – वर्षा
मास – श्रावण (गुजरात, महाराष्ट्र में आषाढ़)
पक्ष – कृष्ण
तिथि – तृतीया सुबह 06:30 तक तत्पश्चात चतुर्थी
नक्षत्र – धनिष्ठा रात्रि 12:25 तक तत्पश्चात शतभिषा
योग – प्रीति रात्रि 12:00 तक तत्पश्चात आयुष्मान
राहु काल – दोपहर 02:25 से 04:07 तक
सूर्योदय – 05:59
सूर्यास्त – 07:29
दिशा शूल – दक्षिण दिशा में
ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 04:35 से 05:17 तक
निशिता मुहूर्त – रात्रि 12:24 से 01:06 तक
व्रत पर्व विवरण – जयापार्वती व्रत समाप्त, संकष्ट चतुर्थी
विशेष – तृतीया को परवल खाना शत्रुओं की वृद्धि करने वाला है । चतुर्थी को मूली खाने से धन का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
संकष्ट चतुर्थी – 06 जुलाई 2023
क्या है संकष्ट चतुर्थी ?
संकष्ट चतुर्थी का मतलब होता है संकट को हरने वाली चतुर्थी । संकष्ट संस्कृत भाषा से लिया गया एक शब्द है, जिसका अर्थ होता है ‘कठिन समय से मुक्ति पाना’।
इस दिन व्यक्ति अपने दुःखों से छुटकारा पाने के लिए गणपति की अराधना करता है । पुराणों के अनुसार चतुर्थी के दिन गौरी पुत्र गणेश की पूजा करना बहुत फलदायी होता है । इस दिन लोग सूर्योदय के समय से लेकर चन्द्रमा उदय होने के समय तक उपवास रखते हैं । संकष्ट चतुर्थी को पूरे विधि-विधान से गणपति की पूजा-पाठ की जाती है ।
संकष्ट चतुर्थी पूजा विधि
गणपति में आस्था रखने वाले लोग इस दिन उपवास रखकर उन्हें प्रसन्न कर अपने मनचाहे फल की कामना करते हैं ।
इस दिन आप प्रातः काल सूर्योदय से पहले उठ जाएँ ।
व्रत करने वाले लोग सबसे पहले स्नान कर साफ और धुले हुए कपड़े पहन लें । इस दिन लाल रंग का वस्त्र धारण करना बेहद शुभ माना जाता है और साथ में यह भी कहा जाता है कि ऐसा करने से व्रत सफल होता है ।
स्नान के बाद वे गणपति की पूजा की शुरुआत करें । गणपति की पूजा करते समय जातक को अपना मुंह पूर्व या उत्तर दिशा की ओर रखना चाहिए ।
सबसे पहले आप गणपति की मूर्ति को फूलों से अच्छी तरह से सजा लें ।
पूजा में आप तिल, गुड़, लड्डू, फूल ताम्बे के कलश में पानी, धुप, चन्दन , प्रसाद के तौर पर केला या नारियल रख लें ।
ध्यान रहे कि पूजा के समय आप देवी दुर्गा की प्रतिमा या मूर्ति भी अपने पास रखें । ऐसा करना बेहद शुभ माना जाता है ।
गणपति को रोली लगाएं, फूल और जल अर्पित करें ।
संकष्टी को भगवान् गणपति को तिल के लड्डू और मोदक का भोग लगाएं ।
गणपति के सामने धूप-दीप जला कर निम्लिखित मन्त्र का जाप करें ।
गजाननं भूत गणादि सेवितं, कपित्थ जम्बू फल चारू भक्षणम्।
उमासुतं शोक विनाशकारकम्, नमामि विघ्नेश्वर पाद पंकजम्।।
पूजा के बाद आप फल फ्रूट्स आदि प्रसाद सेवन करें ।
शाम के समय चांद के निकलने से पहले आप गणपति की पूजा करें और संकष्ट व्रत कथा का पाठ करें ।
पूजा समाप्त होने के बाद प्रसाद बाटें । रात को चाँद देखने के बाद व्रत खोला जाता है और इस प्रकार संकष्ट चतुर्थी का व्रत पूर्ण होता है ।
सदा के लिए अन्न की कमी मिटाने हेतु
घर में अन्न की कमी हो तो ‘परमात्मा मेरे आत्मा हैं । ॐ आनंद… ॐ शांति… ॐ माधुर्य…’ ऐसा चिंतन करके जौ का ध्यान करें, अन्न की कमी सदा के लिए मिट जायेगी ।
व्यवसाय में सफलता हेतु
कपूर और रोली को जलाकर उसकी राख बना लें और उसे दुकान आदि के गल्ले में रखें । इससे व्यापार में उत्तम वृद्धि होती है ।
विघ्नरहित सुखमय यात्रा हेतु मंत्र
यात्रा से पूर्व ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ।’ इस की एक माला करने से यात्रा में आनेवाली विघ्न-बाधाओं का शमन होता है ।