ज्योतिष

आज का हिन्दू पंचांग

हिन्दू पंचांग
दिनांक – 12 जनवरी 2024
दिन – शुक्रवार
विक्रम संवत् – 2080
अयन – उत्तरायण
ऋतु – शिशिर
मास – पौष
पक्ष – कृष्ण
तिथि – प्रतिपदा दोपहर 02:23 तक तत्पश्चात द्वितीया
नक्षत्र – उत्तराषाढा दोपहर 03:18 तक तत्पश्चात श्रवण
योग – हर्षण दोपहर 02:05 तक तत्पश्चात वज्र
राहु काल – सुबह 11:27 से 12:48 तक
सूर्योदय – 07:23
सूर्यास्त – 06:13
दिशा शूल – पश्चिम
ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 05:37 से 06:30 तक
निशिता मुहूर्त – रात्रि 12:22 से 01:14 तक

व्रत पर्व विवरण – चन्द्र-दर्शन (शाम ६-०० से ६-५४ तक), स्वामी विवेकानंद जयंती (दि.अ.), राष्ट्रीय युवा दिवस
विशेष – प्रतिपदा को कूष्माण्ड (कुम्हड़ा, पेठा) न खाये, क्योंकि यह धन का नाश करने वाला है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)

उत्तरायण पर्व कैसे मनाएं ?

(मकर संक्रांति: 15 जनवरी- पुण्यकाल : सूर्योदय से सूर्यास्त तक )

इस दिन स्नान, दान, जप, तप का प्रभाव ज्यादा होता है । उत्तरायण के एक दिन पूर्व रात को भोजन थोडा कम लेना ।

दूसरी बात, उत्तरायण के दिन पंचगव्य का पान पापनाशक एवं विशेष पुण्यदायी माना गया है । त्वचा से लेकर अस्थि तक की बीमारियों की जड़ें पंचगव्य उखाड़ के फेंक देता है । पंचगव्य आदि न बना सको तो कम-से-कम गाय का गोबर, गोझारण, थोड़े तिल, थोड़ी हल्दी और आँवले का चूर्ण इनका उबटन बनाकर उसे लगा के स्नान करो अथवा सप्तधान्य उबटन से स्नान करो (पिसे हुए गेहूँ, चावल, जौ, टिल, चना, मूँग और उड़द से बना मिश्रण) ।

इस पर्व पर जो प्रात: स्नान नहीं करते हैं वे सात जन्मों तक रोगी और निर्धन रहते हैं ।

मकर संक्रांति के दिन सूर्योदय से पहले स्नान करने से दस हजार गौदान करने का फल शास्त्र में लिखा है और इस दिन सूर्यनारायण का मानसिक रूप से ध्यान करके मन-ही-मन उनसे आयु-आरोग्य के लिए की गयी प्रार्थना विशेष प्रभावशाली होती है ।

इस दिन किये गए सत्कर्म विशेष फलदायी होते हैं । इस दिन भगवान् शिव को तिल, चावल अर्पण करने अथवा तिल, चावल मिश्रित जल से अर्घ्य देने का भी विधान है । उत्तरायण के दिन रात्रि का भोजन न करें तो अच्छा है लेकिन जिनको सन्तान है उनको उपवास करना मना किया गया है ।

इस दिन जो ६ प्रकार से तिलों का उपयोग करता है वह इस लोक और परलोक में वांछित फल को पाता है :

१] पानी में तिल डाल के स्नान करना ।

२] तिलों का उबटन लगाना ।

३] तिल डालकर पितरों का तर्पण करना, जल देना ।

४] अग्नि में तिल डालकर यज्ञादि करना ।

५] तिलों का दान करना ।

६] तिल खाना ।

तिलों की महिमा तो है लेकिन तिल की महिमा सुनकर तिल अति भी न खायें और रात्रि को तिल और तिलमिश्रित वस्तु खाना वर्जित है ।

उत्तरायण पर्व के दिन सूर्य-उपासना करें

ॐ आदित्याय विदमहे भास्कराय धीमहि । तन्नो भानु: प्रचोदयात् ।

इस सुर्यगायत्री के द्वारा सूर्यनारायण को अर्घ्य देना विशेष लाभकारी माना गया है अथवा तो ॐ सूर्याय नम: । ॐ रवये नम: । … करके भी अर्घ्य दे सकते है ।

आदित्यदेव की उपासना करते समय अगर सूर्यगायत्री का जप करके ताँबे के लोटे से जल चढाते है और चढ़ा हुआ जल जिस धरती पर गिरा, वहा की मिटटी का तिलक लगाते हैं तथा लोटे में ६ घूँट बचाकर रखा हुआ जल महामृत्युंजय मंत्र का जप करके पीते हैं तो आरोग्य की खूब रक्षा होती है । आचमन लेने से पहले उच्चारण करना होता है –

अकालमृत्युहरणं सर्वव्याधिविनाशनम् ।
सूर्यपादोदकं तीर्थ जठरे धारयाम्यहम् ।।

अकालमृत्यु को हरनेवाले सूर्यनारायण के चरणों का जल मैं अपने जठर में धारण करता हूँ । जठर भीतर के सभी रोगों को और सूर्य की कृपा बाहर के शत्रुओं, विघ्नों, अकाल-मृत्यु आदि को हरे ।

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