महादेव सट्टा एप के बाद अब ‘खेलो यार’: झारखंड से 7 गिरफ्तार

रायपुर। झारखंड के पलामू जिले में पुलिस ने हुसैनाबाद से एक विशाल ऑनलाइन सट्टेबाजी (बेटिंग) नेटवर्क का पर्दाफाश किया है। पुलिस ने जानकारी दी है कि यह नेटवर्क ‘खेलो यार’ नाम से काम कर रहा था और इसकी कार्यप्रणाली महादेव ऐप से काफी मिलती-जुलती थी। जांच एजेंसियों का दावा है कि इस पूरे रैकेट का संचालन छत्तीसगढ़ के भिलाई शहर से किया जा रहा था।
दुबई तक जुड़े तार, हजारों करोड़ का अवैध कारोबार
शुरुआती जांच में यह तथ्य सामने आया है कि इस नेटवर्क का मुख्य कर्ता-धर्ता भिलाई का शेल्वी उर्फ मनीष है। बिहार के औरंगाबाद निवासी राजन कुमार सिंह भी उसके साथ मिलकर काम कर रहा था। पुलिस के अनुमान के मुताबिक, यह सट्टेबाजी रैकेट लगभग 40 हजार करोड़ रुपये तक के अवैध लेनदेन में शामिल रहा है और इसके कनेक्शन दुबई तक फैले हुए हैं।
छापेमारी में सात आरोपी दबोचे गए
पलामू पुलिस ने छापेमारी के दौरान कुल सात लोगों को गिरफ्तार किया। इनमें भिलाई का राहुल सिंह शामिल है, साथ ही बिहार के मदनपुर से सुजीत कुमार विश्वकर्मा, अजित कुमार विश्वकर्मा, रोहित कुमार सिंह, बोकारो से जुबेर अंसारी, रामगढ़ से अयाज आलम और रांची से अक्षय कुमार भी पकड़े गए हैं। पुलिस के अनुसार, ये सभी किराये के मकान में बैठकर सट्टेबाजी का यह ऑनलाइन काम कर रहे थे।
यह कार्रवाई पलामू की एसपी रीष्मा रमेशन को मिली एक संदिग्ध गतिविधि की गुप्त सूचना के बाद शुरू हुई। बाद में, हजारीबाग पुलिस से ‘म्युल अकाउंट’ (किराये के बैंक खाते) से संबंधित मिली जानकारियों को आधार बनाकर छापामारी की गई।
नेटवर्क संचालन का तरीका
पुलिस के अनुसार, इस पूरे नेटवर्क का मुख्य सर्वर दुबई में स्थित था। भिलाई से इसकी कई फ्रेंचाइजी (छोटी इकाइयां) चलाई जाती थीं। उदाहरण के तौर पर, सिर्फ पलामू की फ्रेंचाइजी नंबर 141 ही रोजाना 5 से 7 लाख रुपये का लेनदेन करती थी और इससे 5 से 6 हजार सदस्य जुड़े थे। अन्य फ्रेंचाइजी में दैनिक लेन-देन 50 से 60 लाख रुपये तक होने का अनुमान है।
‘म्युल अकाउंट’ और क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल
आरोपियों द्वारा लेनदेन को छिपाने के लिए एक जटिल तरीका अपनाया जाता था। पुलिस ने बताया कि संचालक लगभग 10 से 15 ‘म्युल’ या किराये के बैंक खाते इस्तेमाल करते थे। ट्रैकिंग से बचने के लिए एक खाते का उपयोग केवल एक महीने तक ही किया जाता था। इसके अलावा, अवैध धन को छिपाने और स्थानांतरित करने के लिए क्रिप्टोकरेंसी का भी उपयोग किया जा रहा था। दुबई में बैठे कथित प्रमोटर हर फ्रेंचाइजी को उनके कुल लेनदेन पर 30 प्रतिशत तक कमीशन देते थे।
पुलिस ने स्पष्ट किया है कि नेटवर्क से जुड़े अन्य व्यक्तियों, पैसों के प्रवाह और इसके विदेशी कनेक्शनों की विस्तृत जांच अभी भी जारी रहेगी।
















