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सभी नए स्मार्ट फोनों में अनिवार्य रूप से होगा संचार साथी एप

नई दिल्ली (एजेंसी)। दूरसंचार विभाग ने भारत में मोबाइल फोन बनाने वाली सभी कंपनियों को निर्देश दिया है कि वे अपने सभी नए स्मार्टफोनों में सरकार द्वारा विकसित साइबर सुरक्षा एप्लिकेशन ‘संचार साथी’ को अनिवार्य रूप से पहले से इंस्टॉल (प्री-इंस्टॉल) करें। विभाग ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि यूजर्स इस ऐप को अपने डिवाइस से हटा नहीं पाएंगे।

उपभोक्ता सुरक्षा की बड़ी पहल

सरकार का कहना है कि यह निर्णय उपभोक्ताओं को ऑनलाइन धोखाधड़ी, फर्जी कॉल/संदेशों और मोबाइल चोरी जैसी बढ़ती घटनाओं से बचाने के लिए एक बड़े अभियान का हिस्सा है। कंपनियों को इस निर्देश को तीन महीने के भीतर लागू करना होगा। इसका सीधा असर Apple, Samsung, Xiaomi, Oppo, Vivo जैसे प्रमुख स्मार्टफोन निर्माताओं पर पड़ेगा।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, कंपनियों ने इस निर्देश पर अभी कोई टिप्पणी नहीं की है, हालांकि, उद्योग के कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि कई निर्माता इस अनिवार्य इंस्टॉलेशन पर आपत्ति भी उठा सकते हैं। अभी तक ‘संचार साथी’ एक वैकल्पिक ऐप था, जिसे उपयोगकर्ता अपनी इच्छा से एप्पल या गूगल ऐप स्टोर से डाउनलोड करते थे। लेकिन नए निर्देश के बाद, यह ऐप हर नए फोन में पहले से मौजूद होगा और पुराने फोनों में इसे सॉफ्टवेयर अपडेट के माध्यम से जोड़ा जाएगा।

संचार साथी ऐप के सुरक्षा लाभ

यह ऐप इसी साल जनवरी में लॉन्च किया गया था और अगस्त तक इसके 50 लाख से अधिक डाउनलोड हो चुके हैं। सरकारी जानकारी के अनुसार, इस ऐप की मदद से अब तक 37 लाख से अधिक चोरी या गुम हुए मोबाइल फोन को ब्लॉक किया गया है और करीब 23 लाख फोन को ट्रैक किया गया है।

यह ऐप फोन के IMEI (15 अंकों के विशिष्ट पहचान नंबर) के जरिए चोरी हुए डिवाइस को ब्लॉक करने और खोजने में मदद करता है।

इसके अलावा, यह फर्जी कॉल, SMS और WhatsApp जैसे प्लेटफॉर्म पर आने वाले संदिग्ध संदेशों की शिकायत दर्ज करने की सुविधा भी देता है।

साइबर सुरक्षा के लिए ‘सिम बाइंडिंग’ का निर्देश

साइबर सुरक्षा को मजबूत करने की सरकार की इस मुहिम के तहत, हाल ही में DoT ने WhatsApp, Telegram और Signal जैसी मैसेजिंग सेवाओं को भी ‘सिम बाइंडिंग’ लागू करने का निर्देश दिया है।

इसका अर्थ है कि जिस सिम कार्ड से किसी यूजर ने पहले अकाउंट बनाया है, अगर वह सिम फोन में मौजूद नहीं है तो ये ऐप काम नहीं करेंगे।

इस कारण WhatsApp Web जैसी सेवाएं भी बीच-बीच में अपने आप लॉग-आउट हो सकती हैं।

अभी तक ये सेवाएं OTP के माध्यम से उपयोगकर्ता की पहचान की पुष्टि करती थीं, लेकिन नए निर्देश के बाद कंपनियों को SIM के IMSI तक पहुँच बनानी होगी, जो हर मोबाइल ग्राहक का वैश्विक यूनिक नंबर होता है।

गोपनीयता और जनहित पर चर्चा

मोदी सरकार का तर्क है कि बढ़ते साइबर फ्रॉड, फर्जी कॉल सेंटर और मोबाइल चोरी के नेटवर्क पर रोक लगाने के लिए यह कदम अत्यंत आवश्यक है। दूसरी ओर, कुछ हलकों में यह सवाल भी उठ रहा है कि क्या अनिवार्य रूप से प्री-इंस्टॉल किए गए ये ऐप उपभोक्ताओं की निजी पसंद और डेटा गोपनीयता पर असर डालेंगे।

कुल मिलाकर, सरकार द्वारा ‘संचार साथी’ जैसे उपयोगी और जनहितकारी ऐप को बढ़ावा देना निश्चित रूप से एक सकारात्मक कदम है, खासकर ऐसे समय में जब साइबर अपराधों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। चोरी हुए मोबाइल को तुरंत ब्लॉक करना और फर्जी कॉल/संदेशों की रिपोर्टिंग की सुविधा नागरिकों की सुरक्षा को मजबूत करने में सहायक है।

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