मध्यप्रदेश

किसानों के लिए भावांतर योजना : मुख्यमंत्री का निर्देश – कोई असुविधा न हो और रिकॉर्डतोड़ पंजीयन

भोपाल (एजेंसी)। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने राज्य के किसानों के लिए शुरू की गई भावांतर योजना की सराहना करते हुए अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए हैं कि इस योजना की संपूर्ण प्रक्रिया के दौरान किसानों को किसी भी प्रकार की असुविधा नहीं होनी चाहिए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि भावांतर योजना को चौतरफा समर्थन मिल रहा है, जिसके परिणामस्वरूप राज्य में तीन गुना से भी अधिक पंजीयन हुए हैं। कुल मिलाकर 9.36 लाख किसानों ने इस योजना में अपना पंजीयन कराया है।

भावांतर योजना: पंजीयन और क्रियान्वयन

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने अपने निवास पर आयोजित बैठक में सोयाबीन खरीद के लिए लागू भावांतर योजना की समीक्षा की और वरिष्ठ अधिकारियों को दिशा-निर्देश दिए।

रिकॉर्डतोड़ पंजीयन: बैठक में बताया गया कि उज्जैन, राजगढ़, शाजापुर, देवास, सीहोर, विदिशा और सागर समेत सात जिलों में 50 हजार से अधिक किसानों ने पंजीयन कराया है। इसके अलावा, 21 जिलों में 10 हजार से अधिक किसानों का पंजीयन हुआ है।

तैयारियां सुनिश्चित हों: मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि जिलों में किसानों द्वारा मंडियों और उप-मंडियों में सोयाबीन बेचने के लिए आवश्यक सभी तैयारियां पूरी कर ली जाएं।

व्यापक प्रचार का परिणाम: उन्होंने कहा कि इस माह किए गए व्यापक प्रचार-प्रसार के कारण ही इतनी बड़ी संख्या में पंजीयन हो पाए हैं। किसानों को योजना से जुड़ी सभी जरूरी जानकारी उपलब्ध कराई जाए।

डीबीटी द्वारा भुगतान: पंजीकृत किसानों के बैंक खाते में ई-उपार्जन पोर्टल के माध्यम से डीबीटी (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर) द्वारा भावांतर राशि का भुगतान निर्धारित समय-सीमा में किया जाए। भुगतान होते ही किसानों को एसएमएस से सूचना भी दी जाए।

मंडियों में आधुनिक व्यवस्थाएँ और अवधि

बैठक में अधिकारियों ने बताया कि 24 अक्टूबर से 15 जनवरी 2026 तक सोयाबीन विक्रय की अवधि रहेगी।

मंडियों की व्यवस्था:

ई-पोर्टल का उपयोग: ई-उपार्जन पर पंजीयन के बाद, मंडी पोर्टल में ई-मंडी पोर्टल के माध्यम से सभी कार्य इलेक्ट्रॉनिक ढंग से किए जा रहे हैं।

संसाधन और प्रशिक्षण: सभी मंडियों और उप-मंडियों में तकनीकी और मानव संसाधन की व्यवस्था की गई है, और मंडी स्तर के कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिया गया है।

सुरक्षा और निगरानी: प्रवेश द्वार और परिसर की सीसीटीवी मॉनिटरिंग की व्यवस्था की गई है। साथ ही, हर मंडी में किसानों की मदद के लिए एक हेल्प डेस्क भी बनाई गई है।

निगरानी और निर्देश: कलेक्टरों, कमिश्नरों, और कृषि सचिव द्वारा भी बैठकों के माध्यम से भावांतर योजना के संबंध में आवश्यक निर्देश जारी किए गए हैं।

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