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अमेरिकी टैरिफ से परेशान कनाडा, भारत के साथ व्यापारिक संबंध मजबूत करने पर जोर : पीएम कार्नी

टोरंटो (एजेंसी)। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए टैरिफ (आयात शुल्क) के कारण कई देशों को व्यापार में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है, जिसके चलते वे अब वैकल्पिक व्यापारिक मार्गों की तलाश कर रहे हैं। इसी क्रम में, कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने अमेरिका पर अपनी व्यापारिक निर्भरता कम करने की रणनीति के तहत भारत के साथ प्रगति पर जोर दिया है।

दक्षिण कोरिया के ग्योंगजू में पत्रकारों से बातचीत करते हुए प्रधानमंत्री कार्नी ने कहा कि कनाडा की यह पहल और उसे मिल रही गति, “भारत के साथ हमारी उन्नति” में स्पष्ट रूप से दिखाई देती है।

प्रमुख लक्ष्य: अमेरिका पर निर्भरता घटाना

हालाँकि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग (एपेक) सम्मेलन में शामिल नहीं हुए, लेकिन कार्नी ने बताया कि कनाडा की विदेश मंत्री अनीता आनंद और उनके कैबिनेट के अन्य सदस्यों ने भारतीय समकक्षों के साथ महत्वपूर्ण बातचीत की है।

उन्होंने स्पष्ट किया कि कनाडा का मुख्य उद्देश्य घरेलू साझेदारियों को मजबूत करना, अंतरराष्ट्रीय सहयोग बढ़ाना और संयुक्त राज्य अमेरिका पर व्यापारिक निर्भरता को कम करना है।

गैर-अमेरिकी निर्यात को दोगुना करने का अभियान

प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा जारी एक बयान के अनुसार, कनाडा की नई सरकार का ध्यान भारत-प्रशांत क्षेत्र के साझेदारों के साथ मिलकर कनाडाई श्रमिकों और उद्यमियों के लिए नए अवसर खोलने पर केंद्रित है। इसका कारण यह है कि कनाडा अगले दस वर्षों में गैर-अमेरिकी निर्यात को दोगुना करने के अपने महत्वपूर्ण अभियान को तेज कर रहा है।

कार्नी ने जोर देकर कहा कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र कनाडाई कामगारों और व्यवसायों के लिए अपार संभावनाएं प्रदान करता है, जिनका लाभ उठाने के लिए कनाडा पूरी तरह से तैयार है।

पिछले तनाव के बाद संबंधों में सुधार

गौरतलब है कि मार्च में पदभार संभालने के बाद प्रधानमंत्री कार्नी ने भारत के साथ संबंधों को धीरे-धीरे सुधारा है, जो सितंबर 2023 में तब बिगड़ गए थे जब पूर्व प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने संसद में एक खालिस्तान समर्थक, हरदीप सिंह निज्जर, की हत्या (18 जून 2023, सरे, ब्रिटिश कोलंबिया) और भारतीय एजेंटों के बीच ‘विश्वसनीय लिंक’ के आरोप लगाए थे।

भारत ने इन आरोपों को ‘बेतुका’ और ‘दुर्भावनापूर्ण’ बताते हुए सिरे से खारिज कर दिया था। पिछले साल अक्टूबर में स्थिति और खराब हो गई थी, जब ओटावा ने नई दिल्ली से कनाडा में हिंसक अपराधों की जांच के सिलसिले में अपने छह राजनयिकों/अधिकारियों को वापस बुलाने के लिए कहा था। जवाब में, भारत ने भी छह कनाडाई राजनयिकों को देश से बाहर कर दिया था।

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