छत्तीसगढ़

सिर्फ 61 पदों के लिए 52 हजार आवेदन कैसे जमा हुए? : भाजपा

रायपुर। भारतीय जनता पार्टी की प्रदेश प्रवक्ता व विधायक रंजना साहू ने कहा है कि प्रदेश की कांग्रेस सरकार रोजगार देने के चाहे जितने झूठे दावे करके छत्तीसगढ़ को बरगलाने की नाकाम कोशिश करे, सच्चाई खुद-ब-खुद सामने आकर प्रदेश सरकार के दावों को खोखला साबित कर देती है। करोड़ों रुपए पानी की तरह बहाकर बड़े-बड़े होर्डिंग्स लगाकर लाखों युवकों को रोजगार देने का झूठ परोसकर अपने मुँह मियाँ मिठ्ठू बन रही प्रदेश सरकार के दावों की पोल एक बार फिर काँकेर में खुली है, जहाँ कलेक्ट्रेट में राजस्व विभाग के तीन माह पहले निकली वेकेंसी में मात्र 61 पदों के लिए लगभग 52 हजार आवेदन जमा हुए हैं। इनमें से केवल भृत्य के 11 पदों के लिए लगभग 25 हजार आवेदन हैं।

भाजपा प्रदेश प्रवक्ता ने कहा कि जब प्रदेश सरकार लाखों युवकों को रोजगार देने का ढिंढोरा पीटती प्रदेशभर में झूठ का रायता फैला रही है तो फिर वह यह भी बताए कि सिर्फ 61 पदों के लिए 51,659 आवेदन कैसे जमा हो रहे हैं? इनमें से 24,874 आवेदन तो केवल भृत्य के 11 पदों के लिए जमा हुए हैं यानि हर एक पद के लिए 2200 आवेदन जमा हुए है ! इनकी गिनती और ऑनलाइन एंट्री करने में 19 कर्मचारी तीन महीने से लगे हैं। इन आँकड़ों के सामने आने के बाद अब क्या प्रदेश सरकार रोजगार के नाम पर अपने झूठ-फरेब के लिए छत्तीसगढ़, और विशेषकर बेरोजगार युवाओं से बिना शर्त माफी मांगेगी? प्रदेश सरकार इन जैसे लाखों बेरोजगार युवकों के साथ बेरोजगारी भत्ते के नाम पर धोखाधड़ी करने का पाप भी किया है। प्रदेश सरकार बेरोजगारी भत्ता देने के मामले में कतई ईमानदार नहीं रही है। इस वर्ष के बजट में इसके लिए सिर्फ 250 करोड़ रुपए का प्रावधान रखा गया है, जबकि कांग्रेस के जनघोषणा पत्र में 10 लाख नौजवानों को या तो रोजगार या फिर बेरोजगारी भत्ता देने का वादा किया था। कांग्रेस और उसकी राज्य सरकार साढ़े 4 साल बाद युवाओं के भारी दबाव के चलते बेरोजगारी भत्ता देने का दिखावा कर रही है और उसमें भी बेरोजगारी के जटिल मापदंड तय करके लाखों युवकों को बेरोजगारी की केटेगरी से बाहर कर दिया और अब कुछ हजार युवकों को बेरोजगारी भत्ता देकर ढिंढोरची बनी फिर रही है। यदि प्रदेश सरकार वास्तव में बेरोजगारी भत्ता देना चाहती है तो पूरे पाँच वर्षों के 15 हजार करोड़ रुपए युवकों को देना चाहिए। चूकि बजट में केवल 250 करोड़ रूपए का प्रावधान है जिससे केवल एक माह ही भत्ता दिया जा सकता है। बेरोजगारी भत्ते के लिए किए गए प्रावधान से साफ है कि प्रदेश सरकार युवाओं को छल रही है, बेरोजगारी भत्ता देने का दिखावा कर रही है।

उन्होंने कहा कि विधानसभा में प्रदेश के रोजगार मामलों के मंत्री उमेश पटेल ने विधानसभा में बेरोजगारी के संबंध में पूछे गए एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया था कि प्रदेश में बेरोजगारी दर 0.5 प्रतिशत ही है लेकिन संख्या नहीं बता सकते। जबकि एक अन्य प्रश्न के उत्तर में उन्होंने बताया कि प्रदेश में रोजगार चाहने वाले 18.78 लाख युवकों ने पंजीयन कराया है। इन दोनों आँकड़ों का विश्लेषण करें तो स्पष्ट होता है कि या तो छत्तीसगढ की आबादी तीन करोड़ नहीं, बल्कि 36 करोड़ है; या फिर बेरोजगारी दर के 0.5 प्रतिशत होने का दावा और लिखित उत्तर, दोनों झूठे हैं। प्रदेश सरकार रोजगार और बेरोजगारी भत्ता देने में पूरी तरह नाकारा साबित हुई है और अब झूठे आँकड़े देकर प्रदेश और यहां के प्रतिभासंपन्न युवकों की बेरोजगारी का मखौल उड़ाने में लगी हुई है और अपने वादे से मुकरने वाली यह सरकार गोलमोल जवाब देकर छल-कपट के अध्याय लिख रही है। छत्तीसगढ़ की तरुणाई अगले चुनाव में इस सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए संकल्पित हो रही है। कांग्रेस हमेशा से बेरोजगारों के साथ षड्यंत्र करती रही है। पिछले दिनों विज्ञापन में सरकार ने 5 लाख नौकरी देने की बात कही लेकिन विधानसभा में सरकार ने केवल 20 हजार नौकरी देने की बात स्वीकार की थी। बेरोजगारों के साथ मजाक करने वाली भूपेश सरकार को युवा बेरोजगार ही वर्ष 2023 में उखाड़ फेंकेंगे।

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