छत्तीसगढ़

पैर से दिव्यांग हूं, हाथ-आंख ठीक है, मतदान जरूर करूंगा : त्रिभुवन व मान कुंवर

कोरिया। तृतीय चरण के लोकसभा निर्वाचन के तहत जिले में 7 मई को मतदान होना है। इसके पहले मतदान दलों द्वारा घर-घर पहुंचकर मतदान कराया जा रहा है।

पैरों से लाचार हैं लेकिन मतदान जरूर करेंगे

इसी कड़ी में आज मतदान दल खड़गवां ब्लॉक के ग्राम जिलीबांध पहुंचे। यहां निवासरत त्रिभुवन सिंह एवं उनकी पत्नी श्रीमती मान कुंवर दोनों पैरों से दिव्यांग हैं। मतदान दलों के अधिकारियों ने जब परिचय दिया तो उन्होंने बैठने और पानी पिलाने की व्यवस्था करते हुए कहा कि हम दोनों पैरों से लाचार जरूर हैं लेकिन बरसों से मतदान करते आएं हैं और आप लोग हमारे घर आएं हैं, इस बात की खुशी है, जरूर मतदान करेंगे।

इसी तरह 39 वर्षीय सुमार साय के दोनों पैर दिव्यांग है। व्यवहार कुशल सुमार साय से जब मतदान करने के बारे में बात की गई तो उन्होंने कहा कि पैर से दिव्यांग हूं लेकिन हाथ व आंख अच्छा है, मैं मतदान जरूर करूंगा, इसमें किसी प्रकार की कोई समस्या नहीं है।

दर्जी मानिक लाल ने दिव्यांगता को मजबूरी बनने नहीं दी

ग्राम भरदा निवासी करीब 56 वर्षीय मानिक लाल पेशे से दर्जी है। जब मतदान टीम पहुंची तो वे कपड़ा सिलाई कर रहे थे। किसी भी तरह से दिव्यांग नहीं लगने वाले मानिक लाल जब कुर्सी से नीचे उतरे तब जानकारी हुई कि वे दिव्यांग है। दिव्यांग को मजबूरी नहीं बनने दिया। दो बच्चों के पिता मानिक लाल रोजाना कपड़े सिलाई करके अपने जीवकापार्जन में लगे हैं और मुस्कराते हुए मतदान भी किया।

जागरूक बुजुर्ग ने कहा अंगुली में स्याही जरूर लगाना

ग्राम भरदा निवासी 87 वर्षीय साधराम सिंह बीमार है। मतदान दल जब घर पहुंचे थे, उन्होंने जानकारी ली कि किस काम से आए है। जब मतदान दल के अधिकारियों ने बताया कि उन्हें लोकसभा निर्वाचन के लिए घर में ही मतदान कराने आए हैं, तब उन्होंने कहा कि हम बरसों से मतदान करते आए हैं। अंगुली में स्याही जरूर लगाना। बहुत धन्यवाद कि आप लोग घर आकर मतदान करा रहे हैं। बुजुर्ग की जागरूकता देखकर एक पल के लिए सब हतप्रभ रह गए।

नारी सशक्तीकरण की मिसाल मानमती ने हंसते हुए मतदान किया

बचरा-पोड़ी तहसील के अंतर्गत ग्राम बारी निवासी 34 वर्षीया कुमारी मानमती नारी सशक्तीकरण की एक मिसाल है। करीब 17 वर्ष की उम्र में एक पेड़ से गिर जाने के कारण दोनों पैर दिव्यांग हो चुकी है।

मानमती ने बताया कि पहले अपने पैरों को देखने के बाद बहुत दुख होता था, इलाज बहुत हुआ लेकिन ठीक नहीं हुआ। हंसती हुई कहती है कि बाकी अंग ठीक है और अब तो किराना दुकान सम्हाल रही हूं। आप लोग यहां मतदान कराने आए हैं। मैं मतदान जरूर करूंगी।

यह भारतीय लोकतंत्र की खूबियां ही हैं कि 18 वर्ष या उससे अधिक उम्र वालों को मतदान का अधिकार मिला है। निर्वाचन आयोग द्वारा वर्ग, धर्म, रंग के भेदभाव किए बिना मतदाताओं को शत-प्रतिशत मतदान के लिए लगातार प्रेरित किए जा रहे हैं।

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