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छत्तीसगढ़ का ‘मिनी खजुराहो’ अब काशी की तर्ज पर निखरेगा : ₹146 करोड़ से बनेगा भोरमदेव कॉरिडोर

रायपुर। छत्तीसगढ़ की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर अब वैश्विक पर्यटन के मानचित्र पर अपनी एक नई पहचान बनाने जा रही है। केंद्र सरकार की ‘स्वदेश दर्शन योजना 2.0’ के अंतर्गत, कबीरधाम जिले के प्रसिद्ध भोरमदेव मंदिर को एक भव्य कॉरिडोर के रूप में विकसित करने की तैयारी पूरी हो चुकी है। ₹146 करोड़ के बजट वाली इस महत्वाकांक्षी परियोजना का भूमिपूजन दिसंबर 2025 के अंतिम सप्ताह में होने की संभावना है, जिसमें मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और केंद्रीय पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत शिरकत करेंगे।

परियोजना की मुख्य विशेषताएं और आधुनिक बुनियादी ढांचा

करीब एक हजार साल पुराने इस मंदिर परिसर को नया जीवन देने के लिए व्यापक कार्ययोजना तैयार की गई है। इस कॉरिडोर का स्वरूप वाराणसी के काशी विश्वनाथ कॉरिडोर से प्रेरित होगा।

विस्तृत कनेक्टिविटी: कॉरिडोर न केवल मुख्य मंदिर, बल्कि आसपास के ऐतिहासिक स्थलों जैसे मड़वा महल, छेरकी महल, रामचुआ और सरोधा दादर को भी आपस में जोड़ेगा।

प्रवेश द्वार और सौंदर्य: परियोजना के तहत 6 भव्य प्रवेश द्वार, आकर्षक पार्क, एक आधुनिक संग्रहालय और मजबूत घेराबंदी (बाउंड्री वॉल) का निर्माण किया जाएगा।

जल संरक्षण और सौंदर्यीकरण: पहली बार ऐतिहासिक तालाब की जल गुणवत्ता सुधारने के लिए ‘वॉटर ट्रीटमेंट’ तकनीक का उपयोग होगा। तालाब के किनारों पर वॉकिंग पाथ (पैदल पथ) और बैठने की व्यवस्था की जाएगी।

भक्तों के लिए सुविधाएं: सावन के महीने में आने वाले हजारों कांवड़ियों और श्रद्धालुओं के लिए आधुनिक शेड, स्वच्छ पेयजल, बिजली और विश्राम गृहों का निर्माण किया जाएगा।

स्थानीय विकास और अर्थव्यवस्था पर प्रभाव

भोरमदेव कॉरिडोर केवल एक धार्मिक परियोजना नहीं है, बल्कि यह क्षेत्र के आर्थिक विकास का एक इंजन भी साबित होगी:

पर्यटन को बढ़ावा: अंतरराष्ट्रीय सुविधाओं के कारण विदेशी पर्यटकों की संख्या में वृद्धि होगी।

रोजगार के अवसर: पर्यटन बढ़ने से स्थानीय युवाओं के लिए गाइड, होटल व्यवसाय और हस्तशिल्प जैसे क्षेत्रों में रोजगार के नए द्वार खुलेंगे।

सांस्कृतिक पहचान: यह परियोजना छत्तीसगढ़ की प्राचीन वास्तुकला को आधुनिक सुविधाओं के साथ जोड़कर राज्य की सांस्कृतिक विरासत को राष्ट्रीय स्तर पर मजबूती प्रदान करेगी।

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