कश्मीर घाटी में भारी बारिश से सेब की फसल को भारी नुकसान

कश्मीर (एजेंसी)। कश्मीर घाटी में हाल की मूसलाधार बारिश और बाढ़ ने सेब किसानों को बुरी तरह प्रभावित किया है। श्रीनगर-जम्मू राष्ट्रीय राजमार्ग के बंद होने से सेबों की सप्लाई रुक गई है, जिससे इस उद्योग को करीब 6 से 7 अरब रुपये का भारी नुकसान होने की आशंका है।
राज्य में हुई भारी बारिश और उसके बाद की बाढ़ ने सेब के बागानों को पूरी तरह बर्बाद कर दिया है। फलों से भरे सैकड़ों ट्रक राजमार्ग पर फंसे हुए हैं, जिससे किसानों और डीलरों की चिंता बढ़ गई है। कश्मीर वैली फ्रूट ग्रोवर्स एंड डीलर्स यूनियन के अध्यक्ष, बशीर अहमद बशीर के अनुसार, यदि यह स्थिति बनी रहती है, तो पूरे सीज़न का नुकसान होगा और यह क्षेत्र बर्बादी की कगार पर आ जाएगा। उन्होंने यह भी बताया कि यातायात में रुकावटों के कारण सेब की पैकेजिंग और ट्रांसपोर्ट की लागत में भी भारी बढ़ोतरी हुई है।
इस बार एक सेब के कार्टन को पैक करने की लागत 40 रुपये से बढ़कर 200 रुपये तक पहुंच गई है। भारत में सेब का अधिकांश उत्पादन कश्मीर और हिमाचल प्रदेश में होता है, और अधिकतर फल देश में ही खपत होते हैं, जबकि कुछ हिस्सा बांग्लादेश और नेपाल जैसे पड़ोसी देशों को निर्यात किया जाता है।
बाढ़ का प्रकोप खास तौर पर दक्षिण कश्मीर की नदियों के आसपास के बागानों में देखने को मिला। बाढ़ के पानी ने पेड़ों को उखाड़ दिया, फल गिरा दिए और तैयार हो चुके सेबों को मिट्टी में डुबो दिया, ठीक उस समय जब उन्हें तोड़ने का वक्त था।
रेलवे की पहल और किसानों की दुर्दशा
सेब किसानों को राहत देने के लिए भारतीय रेलवे ने एक विशेष पार्सल ट्रेन सेवा शुरू की है। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि 13 सितंबर से बड़गाम और आदर्श नगर, नई दिल्ली के बीच यह ट्रेन रोज़ाना चलेगी। इस सेवा के माध्यम से व्यापारी और किसान ऑनलाइन पोर्टल से पार्सल वैन बुक कर सकेंगे, जिससे उन्हें अपने माल को दिल्ली तक पहुंचाने में मदद मिलेगी।
वहीं, दूसरी तरफ, राष्ट्रीय राजमार्ग पर फंसे ट्रक ड्राइवरों की स्थिति दयनीय है। 12 दिनों से फंसे एक ट्रक ड्राइवर, आबिद अहमद लोन, ने बताया कि उनके ट्रक में लदे 10 लाख रुपये के सेब सड़ चुके हैं और उन्हें समझ नहीं आ रहा कि क्या करें।
पुल्वामा के एक किसान, शाहिद अहमद, का कहना है कि उनके परिवार की जीविका पूरी तरह से सेब के बागानों पर निर्भर थी, लेकिन इस बाढ़ ने सब कुछ तबाह कर दिया। पहले उनका एक बॉक्स सेब 1600 से 1700 रुपये में बिकता था, लेकिन अब कोई इसे कम दाम में भी खरीदने को तैयार नहीं है।
यह आपदा दिखाती है कि कैसे जलवायु परिवर्तन जैसी घटनाओं से किसानों के जीवन और उनकी आजीविका पर सीधा और विनाशकारी प्रभाव पड़ सकता है।
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