डिजिटल गिरफ्तारी घोटाला : सुप्रीम कोर्ट का CBI को त्वरित जांच का आदेश

नई दिल्ली (एजेंसी)। माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने ‘डिजिटल गिरफ्तारी’ से जुड़े धोखाधड़ी घोटाले को अत्यंत गंभीर मामला मानते हुए, केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) को इसकी जांच को सर्वोच्च प्राथमिकता पर रखने का निर्देश दिया है। शीर्ष अदालत ने टिप्पणी की कि यह घोटाला राष्ट्रीय स्तर पर तेजी से पैर पसार रहा है, और इसे प्रभावी ढंग से रोकने के लिए एक केंद्रित और मजबूत जांच प्रक्रिया आवश्यक है।
शीर्ष अदालत ने पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, कर्नाटक और तेलंगाना जैसे सभी राज्यों को यह निर्देश भी दिया कि वे CBI को इस मामले की जांच करने की अनुमति दें, विशेष रूप से उन राज्यों में जहां गैर-सत्तारूढ़ दलों की सरकारें हैं या जहां डिजिटल गिरफ्तारी से संबंधित मामले सामने आए हैं।
इंटरपोल की मदद से साइबर अपराधियों पर नकेल
न्यायालय ने आईटी क्षेत्र से जुड़े सभी मध्यस्थों (Intermediaries) को निर्देश दिया है कि वे जांच के लिए आवश्यक सभी तकनीकी जानकारी और डेटा तुरंत CBI को उपलब्ध कराएं। इसके अलावा, कोर्ट ने CBI को यह भी कहा है कि वह साइबर ठिकानों और टैक्स हेवन देशों में छिपे अपराधियों तक पहुंचने के लिए इंटरपोल (Interpol) की सहायता ले।
RBI से सवाल: AI का उपयोग क्यों नहीं?
सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को एक नोटिस जारी कर कड़ा सवाल पूछा है कि साइबर धोखाधड़ी में इस्तेमाल किए जा रहे बैंक खातों को तुरंत फ्रीज करने के लिए अब तक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) या मशीन लर्निंग (ML) जैसी उन्नत तकनीक का उपयोग क्यों नहीं किया गया है। कोर्ट ने जोर दिया कि जैसे-जैसे तकनीक का इस्तेमाल बढ़ रहा है, वैसे-वैसे अपराध के तरीके भी बदल रहे हैं, इसलिए जांच और रोकथाम के तरीकों को भी अधिक तेज और स्मार्ट बनाने की जरूरत है।
एक से अधिक सिम जारी करने की नीति पर आपत्ति
अदालत ने केंद्र सरकार के दूरसंचार विभाग (DoT) से कहा कि टेलीकॉम कंपनियों को एक ही उपयोगकर्ता को एक से अधिक सिम कार्ड जारी करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। कोर्ट ने चेतावनी दी कि इस प्रकार की ढील साइबर अपराधियों के लिए धोखाधड़ी का एक आसान रास्ता बन सकती है।
बैंक अधिकारियों की भूमिका भी जांच के दायरे में
न्यायालय ने स्पष्ट किया कि यदि किसी भी बैंक अधिकारी की मिलीभगत इस घोटाले में सामने आती है, तो CBI उसे भी अपनी जांच के दायरे में लाए। कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (UTs) को निर्देश दिया कि वे साइबर धोखाधड़ी में इस्तेमाल किए गए खातों को तत्काल फ्रीज करने के लिए CBI के साथ मिलकर काम करें।
साइबर अपराध समन्वय केंद्र बनाने का निर्देश
सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने सरकार की ओर से उपस्थित सॉलिसिटर जनरल से कहा कि गृह मंत्रालय, दूरसंचार विभाग और वित्त मंत्रालय सहित सभी संबंधित विभागों को न्यायालय के इन निर्देशों से अवगत कराया जाए। कोर्ट ने देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में साइबर अपराधों से निपटने के लिए क्षेत्रीय और राज्य स्तरीय समन्वय केंद्र (Coordination Centres) स्थापित करने का भी आदेश दिया।
















