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भारत-बांग्लादेश सीमा पर बढ़ी चौकसी : पूर्वी कमान प्रमुख ने त्रिपुरा और मिजोरम में सुरक्षा व्यवस्था को परखा

नई दिल्ली (एजेंसी)। पड़ोसी देश बांग्लादेश में व्याप्त राजनीतिक उथल-पुथल और अस्थिर वातावरण के बीच भारतीय सेना ने सीमावर्ती क्षेत्रों में अपनी सक्रियता बढ़ा दी है। इसी कड़ी में, भारतीय सेना की पूर्वी कमान के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल आरसी तिवारी ने त्रिपुरा और मिजोरम के महत्वपूर्ण सीमावर्ती इलाकों का दौरा किया। हालांकि सेना के आधिकारिक सूत्रों ने इसे एक नियमित दौरा बताया है, लेकिन वर्तमान क्षेत्रीय परिस्थितियों को देखते हुए रक्षा विशेषज्ञ इसे भारत की रणनीतिक तैयारियों और ‘हाई अलर्ट’ के संकेत के रूप में देख रहे हैं।

सीमा पर त्रिस्तरीय सुरक्षा और समन्वय

बांग्लादेश से सटे भारत के पांचों राज्यों में सुरक्षा एजेंसियां पूरी तरह मुस्तैद हैं। सूत्रों के अनुसार, सीमा पार से किसी भी संभावित घुसपैठ या अप्रिय घटना को रोकने के लिए भारतीय सेना, सीमा सुरक्षा बल (BSF) और खुफिया एजेंसियों के बीच आपसी तालमेल को और अधिक पुख्ता किया गया है।

दौरे के दौरान सैन्य प्रमुख ने अग्रिम मोर्चों पर तैनात जवानों के साहस की प्रशंसा की। उन्होंने स्पष्ट निर्देश दिए कि मौजूदा स्थिति को देखते हुए गश्त (Patrolling) और निगरानी में किसी भी प्रकार की ढील न बरती जाए।

मिजोरम के दुर्गम क्षेत्रों की समीक्षा

मिजोरम की भौगोलिक स्थिति सुरक्षा के दृष्टिकोण से अत्यंत चुनौतीपूर्ण है। लेफ्टिनेंट जनरल तिवारी ने स्पीयर कोर के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ मिजोरम के परवा सेक्टर में असम राइफल्स और बीएसएफ के ‘कंपनी ऑपरेटिंग बेस’ का निरीक्षण किया।

निगरानी: सैन्य प्रमुख ने तकनीकी और मैन्युअल निगरानी प्रणालियों की समीक्षा की।

रणनीति: उन्होंने बदलती क्षेत्रीय सुरक्षा चुनौतियों के मद्देनजर खुफिया जानकारी को साझा करने की प्रक्रिया को और तेज करने पर बल दिया।

भारत-बांग्लादेश सीमा का भौगोलिक विस्तार

भारत और बांग्लादेश के बीच साझा होने वाली 4,096 किलोमीटर लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा सामरिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसकी राज्यवार लंबाई इस प्रकार है:

राज्य,सीमा की लंबाई (लगभग)
पश्चिम बंगाल,”2,217 कि.मी.”
त्रिपुरा,856 कि.मी.
मेघालय,443 कि.मी.
मिजोरम,318 कि.मी.
असम,263 कि.मी.

विशेष रूप से मिजोरम की सीमा चटगांव हिल ट्रैक्ट्स (खागड़ाछड़ी, रांगामाटी और बंदरबन जिलों) से सटी हुई है। घने जंगलों और पहाड़ी रास्तों के कारण यह क्षेत्र हमेशा से सुरक्षा बलों के लिए एक बड़ी चुनौती रहा है, जिस पर अब सेना की पैनी नजर है।

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